सार्थकता
सार्थकता
मंदिर में जल रहे दीपक ने सामने की अंधेरी गली में जल रहे दीपक पर गर्व से इठलाकर हेय भरी दृष्टि डाली। फिर दूसरे दीपक से कहा देखो उस दीपक की किस्मत एक अंधेरी गली में सड़क के किनारे वह भी गड्ढे के पास जल रहा है और हमारी किस्मत मंदिर में चमक रही है।
इस पर दूसरे दीपक ने जवाब दिया, दोस्त! हम सिर्फ जलने के लिए जल रहे हैं लेकिन वह दीपक गड्ढे के पास से गुजरने वाले लोगों के जीवन की रक्षा कर रहा है। इस तरह वह अपने होने की सार्थकता को प्रतिपादित कर रहा है। यह सुन घमंड में चूर दीपक की आंखें नीची हो गई और जब आंखें उठी तो उस दीपक के प्रति उसका दृष्टिकोण बदल चुका था।
