सांवरी
सांवरी
"सुन वो सोने की चिड़िया है, जरा अपना व्यवहार सही से रख"_शांति अपने बेटे राहुल को डांटती हुई बोलीं।
पर मां मुझे उसके पास जाने में ही अच्छा नहीं लगता उसको देखते मेरे तन बदन में आग लग जाती है_राहुल ने गुस्से से हाथ मलते हुए कहा।
समझदारी से काम ले बेटा,मुझे भी तो सभी रिश्तेदार ताने देते हैं कि, कहां से उठा लाई काली कलूटी बहु,लेकिन दुधारू गाय,और सोने की चिड़िया के हर नाज़ नखरे सहने पड़ते हैं।
राहुल कुछ बोला नहीं, और अपने कमरे में चला गया,सुधा कमरे में लैपटॉप पर अपना काम कर रही थी,राहुल को देख मुस्कुराई और लैपटॉप बंद कर सोने के लिए बिस्तर पर आ गई।
उसे बिस्तर पर आता देख, राहुल ने अपना तकिया और चादर उठाया, सोफे पर जाकर लेट गया।
सुधा आहत हो गई, उसके स्वाभिमान को जैसे किसी ने पैरों तले रौंद दिया हो, लेकिन ये रोज का ही नियम हो गया था।आज उससे रहा नहीं गया, वह बिस्तर से उठी और राहुल के समीप जाकर खड़ी हो गई ।उसने राहुल से कहा _तुम आज मेरी बात का जवाब दोगे, तुमने मुझसे शादी क्यों की।
राहुल चादर में मुंह ढंके ढके ही बोला मुझे नींद आ रही, सुबह बात होगी।
घायल शेरनी की तरह सुधा गुर्राती हुईं, बिस्तर पर लेट गई, उसकी आंखों से नींद कोसों दूर थी। पिछले कई महीनों की बातें उसके आंखों के सामने चलचित्र की तरह तैरने लगे।
मध्यमवर्गीय परिवार में पली सीधी साधी दिल की स्वामिनी, साधारण नैन नक्श वाली सुधा, उसका रंग पक्का था, जबकि माता पिता गोरे थे इसलिए सभी लोग उसे चिढ़ाते थे कि तुम्हें मिस्टर गुप्ता अनाथाश्रम से उठा कर लाए हैं।
सुधा को पहले सब पर बहुत गुस्सा आता, कोई उसके साथ खेलता तक नहीं था ,वह हर वक्त रंग को लेकर अपमानित होती तब कमरे में आकर रोती, और भगवान कृष्ण की तस्वीर के सामने जाकर कहती _ क्यों कान्हा तुम भी तो गोरे नहीं थे फिर भी तुम्हें कोई नहीं चिढ़ाता था, और तुम सबके पूज्य हो ।
एक दिन ऐसी ही शिकायत उसकी कान्हा जी से हो रही थी, सुधा के पापा उसकी बात सुन रहे थे, वे कमरे में आए और उसके पास बैठ गए, फिर रोती सुधा को चुप कराते हुए कहा _बेटा रंग से नहीं गुणों की पूजा होती है, तू इस तरह लोगों के तानों को सकारात्मक रूप से ले, ईश्वर ने तुझे कुछ बड़ा करने के लिए भीड़ से हट कर चुना है, तू खूब मन लगा कर पढ़, जो लोग तुम्हारा मजाक उड़ा रहे वही तेरी तारीफ में कसीदे पढ़ेंगे।
उसके बाद तो सुधा को जैसे मंत्र मिल गया था, खूब पढ़ती । 12 वीं परीक्षा में अव्वल नंबर से पास किया और देश के सबसे कठिन परीक्षा आईआईटी में चयनित हुई, उसकी पहली रैंक आई उसने आईआईटी मुंबई में दाखिला लिया। बीटेक होते होते बड़ी कंपनी में उसे नौकरी मिल गई, लाखों का पैकेज था।
सुधा बंगलोर चली गई। सुधा को कंपनी की तरफ से सुविधाओं से युक्त फ्लैट मिल गया।
एक दिन सुधा की मम्मी ने फोन आया_सुन सुधा मनु की शादी है, मैं और पापा आ नहीं सकेंगे तेरे भाई का 12 का एग्जाम है,और पापा की तबीयत भी सही नहीं रहती ।कोई नहीं जाएगा तो भाभी गुस्सा करेंगी, बेटा तू चली जा, मुझे पता है कि तू कहीं किसी शादी, फंक्शन में नहीं जाती,पर मेरी बच्ची एक बार वहां चली जा, और बैंगलोर में ही शादी भी है। जायेगी न, सुधा_मां ने बेबसी में कहा।
सुधा को हां कहना पड़ा, कभी कभी रिश्तों को बनाए रखने के लिए अपनी खुशी गौण हो जाती है।
सुधा को नहीं पता था, वहां उसकी किस्मत क्या रंग दिखाएगी।
सुधा की मामी, राहुल की मां की दूर की रिश्तेदार लगती थी। सुधा को आखिर ममेरे भाई की शादी में जाना पड़ा, वहीं राहुल की मां ने सुधा को देखा।
सुधा की मामी, राहुल की मां और कई महिलाएं बैठी थी, तब ही सुधा पानी लेकर आई ।राहुल की मां ने सुधा को देखते हुए मुंह बनाते हुए कहा _ये कौन है, जैसे लग रहा है कोयले की खदान से कोई आ गया है।सभी महिलाएं राहुल की मां की बात पर हौले से मुस्कुराने लगीं। सुधा कमरे से निकल गई ।
उसके बाद पता नहीं क्या हुआ, राहुल की मां, राहुल का रिश्ता लेकर मां पापा के पास आईं ।
पापा मां खुश थे, उनकी बेटी के लिए रिश्ता खुद चल कर आया था, तुरत हां कह दिया सबने बिना सबकुछ पता लगाए और फिर शादी हो गई ।शादी के बाद से ही ये सिलसिला, राहुल का मुझसे कटना, मम्मी की बात तो लगता है चासनी से लपेटी हो। सोचते सोचते थोड़ी देर में सुधा को नींद आ गई।
इधर राहुल की मां भी अपने ही ख्यालों में खोई थी।
शादी में अगर सुधा की मामी ने सुधा के बारे में न बताया होता तो इतना बढ़िया रिश्ता कहां मिलता, लेकिन इस राहुल का क्या करूं?
शांति देवी आराम कुर्सी पर पड़ी पड़ी बीते दिनों की यादों में हिचकोले लगाने लगीं।
सुधा की मामी ने उस दिन कहा था _ भगवान ने रंगत भले न दी हो, लेकिन सुधा जैसी अच्छा कमाने वाली, सर्व गुणसंपन्न लड़की लाखों में खोजे नहीं मिलेगी।लाखों की नौकरी करती है,चार, छह महीने में विदेश का दौरा भी लगा रहता है।
शांति के पति का बड़ा व्यवसाय था,राहुल एक रईसजादा,पिता की दौलत पर ऐश करने वाला।
उसे किसी बात की फिक्र नहीं थी बस बाप के पैसे उड़ा रहा था।
समय का पहिया घूमा, और सब कुछ बदल गया। पिता की कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई, विश्वास पात्रों ने धोखा दे दिया। वो लोग अर्श से फर्श पर आ गए। झूठी शानो शौकत बरकरार रखने के लिए बहुत सारा कर्ज ले लिया, ताकि लोगों को ये न लगे कि वे दिवालिया हो चुके हैं।
राहुल की मां ने सोचा ये अवसर सही है, राहुल की शादी अगर सुधा से कर दी जाए तो, उन लोगों को लगेगा की काली कलूटी के ऊपर हमने उपकार किया है, और सोने की चिड़िया आ जाएगी तो कर्ज भी निपट जाएगा।
सुबह सुधा की नींद देर से खुली,घड़ी देखी 8 बज गए थे।
हे भगवान, आज आंख भी नहीं खुली, मम्मी को सुबह समय से चाय देना होता है, और राहुल ने भी नहीं जगाया, वह बड़बड़ाती हुई बाथरूम में घुस गई, जल्दी जल्दी फ्रेश हो नहा कर निकली और दौड़ते हुए किचन की ओर जाने लगी, तभी किचन से आती आवाज सुन उसके पांव ठिठक गए।
राहुल अपनी मां को कह रहा था, मां अब मैं उस कलूटी के साथ नहीं रह सकता, मैं शीना के बंगले में रहने जा रहा हूं।
पर क्या हुआ? शांति ने कहा।
अरे वही रोज की कहानी, वही सवाल ? मैं शादी के बाद उसके करीब क्यों नहीं जाता, कटता रहता हूं।
राहुल तुझसे कई बार कहा, तुझे जो करना है बाहर कर आ, लेकिन उसके सामने अच्छे बना रह, वरना हम सड़क पर आ जाएंगे। कल से मैं उसे रात में दूध में नशे की गोली दे दिया करूंगी।
चलो हटो, उसे चाय देकर आती हूं_शांति ने हंस कर कहा।
वाह मां तुमने तो अच्छा आइडिया बता दिया, अब तो सब चकाचक होगा।
आहट सुन सुधा चुपके जाकर कमरे में जाकर बैठ गई।
अरे बहू, उठ गई....ये ले चाय_ शांति मुस्कुराती प्यार की चाशनी में शब्दों को चुन चुन कर बोल रही थी। बहुत काम न किया कर बहू।
ओह मम्मी जी! आप मेरा कितना ख्याल रखती हैं अभी पापा का फोन आया था, आज बुलाया है_सुधा मुस्कुराती हुई बोली।
ओह, ये तो अच्छी बात है, चली जा, समधी जी और समधन जी को मेरा प्रणाम कहना ।
जी मम्मी_सुधा मुस्कुराई।
उसके बाद सुधा ने अपना सब सामान पैक किया,और गाड़ी बुला ली।
सुधा सोच रही थी, उसके होने न होने से उसके घर वालों को कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था उनका मकसद सिर्फ मेरी तनख्वाह से था, आदमी अपने स्वार्थ में कितना अंधा हो जाता है कि किसे के दिल को दुखाने में जरा भी गुरेज नहीं होता। सीधा साधा दिल ही तो था मेरा बचपन से टूटता आया, किसी से मैंने क्या चाहा था सिर्फ प्यार ना, वो भी नहीं मिला।
गाड़ी आ गई, शांति सुधा को बुलाने कमरे में गई तो आश्चर्यचकित रह गई और जब रहा नहीं गया तो पूछ ही बैठी_बहू इतना सामान लेकर क्यों जा रही हो?
अरे मम्मी, मेरा क्या पता नहीं कब विदेश निकलना हो, कंपनी के काम से_सुधा मुस्कुराती हुई बोली।
सुधा अपने घर पहुंची तो सब देखकर हैरान रह गए।
सुधा ने सारी बातें अपने मम्मी पापा को बताई तो सबने एक स्वर में सुधा का साथ दिया।
अगले दिन उसने तलाक का पेपर भिजवा दिया, जिसे देख, राहुल और उसकी मां हैरान रह गए।
दौड़े दौड़े सुधा के घर पहुंचे, वहां शांति जी सुधा की मां, पापा से अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से समझाना शुरू किया ।
इस बीच सुधा आ गई और उसने कहा_ मम्मी जी, मैंने आप दोनों की सारी बातें सुन ली थी, इसलिए चिकनी चुपड़ी बातें तो अब आप करो ही मत, मैंने सारी बातें मम्मी पापा को बता दी है। जो मेरा निर्णय होगा उसमें उनकी इच्छा भी शामिल है।
मैंने अपना ट्रांसफर भी वॉशिंगटन करवा लिया है, आप लोगों से बहुत नम्रता से निवेदन है कि आप लोग तलाक के पेपर पर साइन कर दें, और मुझसे मुक्त हो जाएं, वरना मैं आप लोगों पर घरेलू हिंसा का केस भी कर सकती हूं।
राहुल के पास कोई रास्ता भी नहीं बचा था,तलाक देने के अलावा।
1 साल के कोर्ट कचहरी के बाद,सोने की चिड़िया आजाद थी, अपने पंखों से नई उड़ान के लिए।
समाप्त