Kamini sajal Soni

Drama

4.0  

Kamini sajal Soni

Drama

रूठी हुई खुशियां

रूठी हुई खुशियां

2 mins
11.2K


नलिनी जब शादी होकर ससुराल आई भरा- पूरा कुटुंब होते हुए भी सभी के दिलों में पता नहीं किस बात को लेकर मनभेद और मतभेद दोनों थे ! कोई किसी से आपस में बात नहीं करता और ना ही त्योहारों पर एक दूसरे के घर मिलने जाता।

जब भी कोई त्यौहार आता है और अपनों का साथ ना पाकर नलिनी का मन बहुत उदास हो जाता है हर पल वह सोचती की कैसे यह मनभेद दूर कर सकें और जो दिलों में एक दूसरे के प्रति गलतफहमिया की दीवारें हैं वह किसी तरह मिटा सके।

जब भी आंगन में अपने ससुर किशन जी को कुर्सी डालकर उदास चेहरे से अपने घर को निहारते हुए देखती तो मन ही मन दुखी हो जाती।

किशन जी की बातों से भी दर्द छलकने लगता था अपनों का।

सासू मां से बातों बातों में पता चला था कि किशन जी अपने भाइयों में सबसे बड़े थे तो उनकी आदत सभी को सही रास्ते पर लाने के लिए जरूरत से ज्यादा डांटने की थी। और यह डांटने की आदत कब हिंसात्मक रूप ले चुकी थी पता ही नहीं चला क्रोध में आपे से बाहर होकर किशन जी अब हाथ भी उठाने लगे थे अपने भाइयों पर

जब तक शादी नहीं हुई थी तब तक तो सब ठीक था लेकिन जैसे जैसे भाइयों के घर बसते गए दिलों में दूरियां पनपती गई

क्योंकि किशन जी अपनी डांटने की आदत से बाज नहीं आए थे बात बात पर डांटना उनका आज भी जैसे का तैसा था पर दिलों में प्यार बहुत था उनका अपने भाइयों के प्रति।

ना वह अपना प्यार कभी जता पाए और ना ही उनके भाई कभी उनका प्यार समझ पाए बस इतना सा मनभेद था।

अब बारी नलिनी की थी सारी सच्चाई जानने के बाद उसने तय कर लिया कि अपने ससुर जी के भाइयों को उनके अंदर छुपे हुए प्यार का एहसास अवश्य कराएगी

इस बार होली पर नलिनी ने ठान ही लिया कि वह सबके मन का मैल धोकर रहेगी बस एक थाली में मिठाई सजाकर हाथों में होली के रंग लेकर चल पड़ी सबके मन भेद दूर करने

उसकी इस खुशनुमा पहल से पूरा परिवार चहक उठा रूठी हुई खुशियां होली के बहाने फिर से दस्तक दे उठी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama