रोशन जहाँ
रोशन जहाँ


सदियों से आदमी जैसे सरपट दौड़ रहा था।बिना मंज़िल को जाने बस दौड़ता ही जा रहा था।
वह समंदर को नापने चला था।ज़मीं के गहरे अंदर तक जाकर अपने लिए कोयला और न जाने कितने तरह के धातुओं को भी खोज लाया था।
आसमाँ के आगे जहाँ और भी है इसी तर्ज पर आसमाँ के आगे जाकर पता नहीं कितने सारे ग्रहों और तारों की ख़बरें जुटाने चला था।और तो और उस को सूरज की आग का भी कोई खौफ़ नहीं लगता था।जंगलों को उजाड़ते हुए सारी दुनिया पर वह राज करने चला था।परिदों के घोसलों को या फिर जानवरों को उजाड़ना दोनो ही उसके एक खेल होने लगा था।
लेकिन यह क्या ?
यह अचानक क्या हुआ ?
कोई नहीं जानता यह कोरोना वायरस ने कहाँ से हमला कर दिया।दुनिया जैसी ठहर सी गयी है।आदमी जो दौड़ रहा था वह अपने घरों में जैसे क़ैद सा हो गया।इस जिंदगी ने कई चीजों के मायने बदल दिए है।
जो चीजें हमारे लिए आम थी,जिन्हें हम कोई तवज्जों नहीं देते थे आज इस lockdown में उनके लिए तरस से गये है।पता नहीं हमने क्यों वह सारे तामझाम पाल लिए थे जो आज के इस कोरोना के समय मे बेतुके और गैरजरूरी लगने लगे है।
लेकिन आज जो कुछ भी कोरोना कर रहा है उससे आदमी को ठहर कर सोचने का मौका दिया है।
आज हमें चीजों की कद्र करनी आ गयी है।आज कोरोना ने और उसके कारण से आये हुए इस lockdown ने कितनी सारी चीजों को ठीक करने की शुरुआत कर दी है।
दिन में आसमाँ का रंग नीला होता है जो कभी किताबों में पढ़ा था आज दिखने भी लगा है क्योंकि रास्तों पर बस इक्कादुक्का गाड़ीयाँ ही चल रही है।फैक्ट्रीज बंद है तो हवा भी साफ हो रही है।रंगबिरंगी तितलियाँ और ढेर सारे परिंदेँ भी नजर आने लगे है।रात को आसमाँ में चाँद के साथ साथ तारों की बारात भी दिखने लगी है....
चलो,हम जो अभी ठहर गए थे फिर से उठ कर चलने की कोशिश करते है।हमारी इस नीली धरती को बचाने की कवायत शुरू कर देते है।
समंदर की गहराइयों को नापते हुए वहाँ की रंगबिरंगी और छोटी बड़ी मछलियों के हक़ पर आँच नहीं आने देंगे।जंगलों को उजाड़ने का सिलसिला जो शुरू किया था,नदियों पर बाँध बांधने का दौर शुरू किया था उस को रोकते हुए उन परिंदों को और जंगली जानवरों का हक़ वापस दिलाते है।
आसमाँ के आगे जहाँ और भी है।
इस जहाँ की कद्र करते हुए इसे और रोशन करने की कोशिश करते हैं.....