रक्त सफेद होना
रक्त सफेद होना
यूँ तो वर्षों से अपने पुत्र और पोते को हर बात में याद करते थे लेकिन जबसे रामरतन बीमार पड़े तबसे नाती और बेटी से बार-बार फोन कर बुलाने के लिए कहते। बेटी फोन करती लेकिन उसका फोन कोई उठाता ही नहीं। रटते-रटते रामरतन अन्तिम यात्रा पर निकल गए। सात बहनों का इकलौता भाई ना तो बहनों के गले लग दिलासा देने आया और ना अन्धी माँ का सहारा देने आया। जब बेटा ही नहीं आया तो बुआ-चाचा-मामा क्या आते..! एक दूसरे को दिलासा देती बहनें खुद को ज्यादा समझाती, –"चार दिन बाद उसकी बेटी की शादी है भला कैसे आ पाता..!"
–"हाँ! तुम ठीक कह रही हो। लड़की की शादी दस तरह का डर लगा रहता है।"
–"दिन बढ़ाने पर कहीं लड़के वाले किसी तरह का बहाना बनाकर इन्कार कर देते तो...,"
–"मरनी पर सात पुश्तों को हड्डी का छूत लगता है दीदी..! भला लड़के वाले ऐसे घर में पानी कैसे पीने आयेंगे?" घर की सहायिका से बर्दाश्त नहीं हो सका तो वह उबल ही पड़ी।
–"तुमको इससे क्या लेना-देना? तुम अपने काम से मतलब रखो। घर के मामले में मत बोलो। तुम क्या जानों समय बदल गया है। अब ऐसी रूढ़ि परम्परा की बातों को आधुनिक लोग नहीं मानते हैं..! " कई बहनें एक साथ बोल पड़ीं।
–सच में मुझे क्या मतलब दीदी। लेकिन कह देते हैं कहीं आगे पछताना ना पड़े। अभी कहीं यह बात लड़के वालों से छुपा लिया हो। समाज कितना भी आधुनिक हो जाये। मरनी में पूजा-पाठ नहीं होता तो शादी-ब्याह... तौबा-तौबा...!"