रेप एक गंभीर समस्या
रेप एक गंभीर समस्या


लेखिका रितू सिंह रावतरेप एक गंभीर समस्या जो बीमारी की तरह फैल रही हैआज एक गंभीर समस्या पर आप का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगी जो सदियों से यू ही बनी हुई है आप लोगों को अजीब सा लगे पर बात करना जरूरी है यह समस्या हम सब की है बेटी मेरी नहीं आप की भी है क्या रेप जैसी बात सुनकर आप कलेजा नहीं फटता ,आप की आत्मा नहींं रोती और अगर दर्द होता है तो फिर हम क्या करते हैं सिर्फ अफसोस या दो - चार दस दिन प्रदर्शन फिर घर में चुपचाप शांत बैठ जाते है यही हमारा कार्य होता है।
क्योंकि हम पर नहीं बीती होती है क्योंकि दूसरे की तड़प का अन्दाजा किसी को नहीं होता है इस देश में कानून की कमी नहींं है कमी है तो सिर्फ ऎसे जघन्य अपराध करने वालो का साथ देने वाले सरकार में बैठे लोगों की जो सरकार के साथ और पीड़ित परिवार के साथ अन्याय करते है थोड़े से फायदे के लिए पूरे देश और समाज के साथ धोखा करते है सरकार कभी नहींं चाहती कि हमारे देश में ये सब हो इन सब के लिए हम सब भी जिम्मेदार है क्योंकि हम सब रेप पर बात करने में डरते है खुलकर बात नहीं करते अपने बच्चों को सही गलत नहींं बताते हम अपनी बेटी से पूछते है तुम को देर कैसे हुई पर क्या कभी बेटो से पूछा है।
इतनी देर कहा थे क्या कर रहे थे किस के साथ थे बेटी से हजार सवाल पूछते हो पर बेटे से एक सवाल नहींं पूछ सकते क्योंकि उस का तो जन्म सिद्ध अधिक है ना पूछने का , इस देश मे हम सब की भी जिम्मेदारी बनती हैं कि हम अपने बच्चों का खयाल रखें क्योंकि माँ बाप से ज्यादा कोई नहींं जानता अपने बच्चे के हावभावों को, सरकार बदलती रहती है पर अपराधियो की मानसिकता नहीं बदलती जो लोगों ऐसा जघन्य अपराध करते है वो मानसिक रूप से लम्बे समय से मानसिक बीमारी के शिकार होते हैं।
इसके लिए सरकार को और हम सब को खुलकर बात करनी होंगी इस पर किताबे छापने से कोई फायदा नहींं होगा जब तक खुलकर बात नहींं होगी और कानून की पकड़ मजबूत नहीं होगी इसलिए सरकार और हम भी जिम्मेदार है क्योंकि ऐसे जघन्य अपराध करने वालों की समाज में कोई जगह नहींं है क्योंकि जिंदगी सबके लिए अनमोल है अपराध का साथ देने वाले भी अपराधी है सरकार में रहने वाले और समाज में रहने वाले, जो ऐसे जघन्य अपराध करने वालो का साथ देते है वो भी समाज के लिए अपराधी है देश की सभी सरकारे गंभीरता से सोच इस देश की महिलाओं के सम्मान के लिए ये रोज रोज की दिलदहलाने वाली खबर से समाज मे पल रही बेटियों पर क्या असर पड़ रहा है।
क्या बेटी होना गुनाह है कब तक हम बेटियों की चौकीदारी करेंगे कब वो खोलकर खुली हवा में सांस ले पाएगी डॉक्टर इंजीनियरिंग प्रधानमंत्री राष्ट्रपति से लेकर आसमान में उड़ गई फिर भी सुरक्षित नहींं है क्या हमें इसके प्रति सोचने की जरूरत नहींं है बेटी सब के घर में है सोचो कब सोचोगे।