Devendra Tripathi

Crime

4.5  

Devendra Tripathi

Crime

रेड ट्रैफिक सिग्नल

रेड ट्रैफिक सिग्नल

12 mins
447


ये कहानी पाँच किरदारों के इर्दगिर्द घूमती है, जो ट्रैफिक सिग्नल के रेड होने से शुरू होती है और सिग्नल ग्रीन होते ही खत्म हो जाती है। आशा करता हूँ आप सभी को कहानी पसन्द आएगी।।

अरे चच्चा उधर देखो सिग्नल रेड होने वाला है धीमन (गैंग का सरदार) बूढ़ी आंखों में पेट की भूँख लिए भवानी (घर से निकाला हुआ बुजुर्ग) को बोलता है। सिग्नल की ओर देखते पीछे से एक बाइक का हल्का सा धक्का लगने से गिरते हुए भवानी को बचाता हुआ (सोनू लावारिस बच्चा)!!!!! अरे! चाचा संभल के, नही तो गिर जाओगे आप।

पैर के दर्द से कराहती हुई मालती (पति के मरने के बाद अकेली) उठ नही पा रही है, सहारा देते हुए नीतू (मानव तस्करी की शिकार) उठाती है!!!अम्मा अब आप मत आया करो यहाँ???????!!!

सबके हिसाब से उनके काम फिक्स्ड है भवानी और मालती ट्रैफिक सिग्नल पर पेन, ईअर बड (कान साफ करने वाला) और टिश्यू पेपर बेंचते है, साथ मे भीख भी मांगना है। सोनू कार की सफाई कर भीख माँगता है और नीतू हर एक बाइक वाले और कार से भीख मांगती है।

यही चलता है रोज सुबह आठ बजे से रात नौ बजे तक!! एक चौराहे पर ये दस आँखे!!!! हर एक मिनट पर सिग्नल रेड होने का इंतजार। ये आज से नही चला आ रहा है, पिछले पचासों सालों से, बस फर्क इतना है कि पहले आदमी अपने पेट को पालने के लिए खड़ा होता था, आज किसी और के लिए, जो उससे कहता है, उसे वही करना है, नही तो फिर इस जिंदगी का पता नही क्या हस्र होगा। वही मजबूरी, वही सूखी आँखे, वही सूखते और रोज चूर होते ढेर सारे सपने चारो ओर दिखते है। न रहने का ठिकाना, न तन पर पूरे कपड़े!!!!! है तो बस केवल बस दो जून की रोटी का विश्वास ..... जिसके लिए दिन भर तपकर वो पैसे इकट्ठा करते है।

आज का दिन भी बीत गया, सभी लोग अपनी अपनी कमाई लेकर अड्डे पर पहुँचते है। धीमन सिगरेट की कश लगाता हुआ--

"आ जाओ!! आ जाओ!! सब चलो एक एक करके सबलोग निकालो आज की कमाई।"

सभी लोग- जी, और एक एक करके अपनी दिन भर की कमाई और बचा हुआ सामान वापस करते है।

आज के १५ साल पहले कब धीमन शहर आया था, तो वो भी ऐसे ही चौराहे पर सिग्नल पर भीख मांगता था। वो भी सिर्फ आठ साल का था, जब माँ पिता जी के साथ हरिद्वार जा रहा था, और रास्ते में गलती से ट्रेन से उतर गया बहुत रोया था, बहुत दिन तक पुलिस के पास था , लेकिन जब उसे किसी ने नहीं छुड़ाया और कोई खोजने नहीं आया। पुलिस वालों ने उसे छोड़ दिया और धीमन खाने पीने की तलाश में ट्रैफिक सिग्नल पर एक आदमी के चंगुल में फंस गया और सिग्नल पर खड़े होकर भीख मांगने लगा। कच्ची उम्र में पैसा मिलना और गलत लोगो का साथ दिनों दिन धीमन का मन बढ़ाता चला गया। साथ ही बुरी संगत में पड़ दारु और सिगरेट की लत लगा बैठा। धीमन अब जवान है और २२ साल का हो गया है, झुग्गी झोपडी में रहते रहते उसने थोड़ी बहुत पढाई कर ली है, इसलिए वो बहुत लोगो से होशियार और समझदार है। धीमन का आज सिग्नल गैंग में बड़ा नाम है, इसीलिए तो धीमन के पास सबसे ज्यादा पैसे देने वाला चौराहा है, क्योंकि ये शहर का मुख्य चौराहा है और यहाँ से सबसे ज्यादा गाड़ियाँ निकलती है। शहर में धीमन जैसे बहुत से लोग है जो रोज हर सिग्नल पर खड़े होते है।

"धीमन- भवानी, मालती, सोनू और नीतू को- देखो आप लोग अच्छा काम कर रहे हो, जल्दी ही थोड़ा पैसा और बढ़ाएंगे।"

चच्चा आप सुनिए- थोड़ा इधर उधर भी देखा करिए, आज सोनू नहीं संभालता तो आप तो गए होते।

भवानी- हाँ बेटा!

धीमन सिगरेट की डिब्बी चच्चा की फेंकता है और भवानी एक सिगरेट निकालकर जलाते है।

धीमन- "बाकी चच्चा कोई दिक्कत??"

भवानी- "नहीं बेटा! सब सही है? बस दर्द हो रहा है, हाथ जो मोटर साइकिल लग गयी थी।"

धीमन- "ये लो चच्चा! दो घूँट पियोगे सब दर्द खत्म और गिलास में एक पैग बनाकर भवानी की तरफ बढ़ाता है। "

भवानी- "दारु नहीं पीते है, लेकिन उनके पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है, इसलिए पीकर लुढ़कने लगते है।"

धीमन- "सोनू! चच्चा को सँभालो ??"

मालती धीमन से- "बेटा मेरा पैर बहुत दर्द करता है, मै जल्दी से उठ नहीं पाती। बेटा कुछ दवाई करवा दो।"

धीमन-" ताई! कल बुलाऊंगा डॉक्टर को यहीं, ठीक है????"

मालती-" जी बेटा !"

धीमन-" सोनू! तुम अच्छा कर रहे हो सोनू! बस ऐसे ही काम करो! थोड़ा बाइक वालों की पर्स मारना भी सीखो अब! गाड़ी की सफाई से आगे काम नहीं चलेगा।"

सोनू- जी ठीक है भैया जी!

नीतू- मेरी जान! छम्मक छल्लो! तुम तो सबसे मस्त हो, बहुत अच्छा काम कर रही हो तुम। बहुत ध्यान से देखते है तुम्हे लोग ट्रैफिक पर।। आओ जरा मेरे पास आओ! थोड़ी मस्ती हो जाये तुम्हारे साथ, आओ मेरे पास....

सबका खाना आ गया है, सब लोग खाना खाओ और मै जरा सा आराम करके आता हूँ- धीमन बोलता है।

शराब के नशे में धीमन नीतू के कंधे पर हाथ रखकर अंदर कमरे में जाता है, और नीतू के साथ हमबिस्तर हो जाता है। इधर सोनू, मालती, और भवानी खाना खाकर सो जाते है। थोड़ी देर बाद धीमन बाहर निकलता है, और नीतू भी अपना कपड़ा संभालते हुए बाहर आती है।

ठीक है डार्लिग- मज़ा आ गया मेरी जान! बहुत नमकीन हो तुम- धीमन भी वहीं गिर जाता है। नीतू भी वही सो जाती है।

दूसरे दिन सुबह सुबह- 

धीमन- सिगरेट पी रहा है, कि फ़ोन आता है। हेलो! हाँ भाई! बताइये, क्या हाल चाल है।

उधर से आवाज आती है, सब ठीक है, कल रात को तुम हिसाब देने क्यों नहीं आये? 

अरे भाई! कल थोड़ा थक गया था, इसलिए नहीं आया, आज कल का और आज का पूरा हिंसा दूँगा।

हाँ आज आ जइयो! नहीं तो तुम्हारी हेकड़ी निकाल दूंगा।

कैसी बात करते है भाई! कभी मेरा हिसाब गड़बड़ हुआ है क्या? 

अच्छा चल! मस्का नहीं लगा! ठीक है शाम को आना।

अच्छा सुन- तुझे फोन इसलिए किया है कि आज बॉस की बेटी का बर्थडे है, तो आज का टारगेट डबल है तेरा।

अरे क्या भाई! चार लोग है मेरे पास नहीं हो पायेगा! थोड़ा कम दो भाई।।।।।

ज्यादा नहीं बोल नहीं तो टारगेट और बढ़ जायेगा तेरा।

उधर से फ़ोन कट जाता है।

फोन उधर फेंकते हुए-

अरे सुनो रे! चच्चा, ताई, सोनू और नीतू! सब आओ जल्दी से, कहाँ चले गए सब ????????

थोड़ी देर में सब इकट्ठा हो जाते है। हाँ भाई! बताइये!!!

आज का टारगेट डबल है, रे भाई लोग! आज पूरी मेहनत से लगके काम करना है, आज बड़े बॉस की बेटी का बर्थडे है।

सब एक दूसरे का मुँह देखते है! कुछ नहीं हो सकता है ! बहुत बात कर ली, कोई सुनवाई नहीं है।

सोनू- भैया! डबल????? थोड़ा मुश्किल है, लेकिन कोशिश करेंगे।

धीमन- चलो! जल्दी से सब तैयार हो जाओ, चलो जल्दी करो सब अपना सामान रखो निकलो।

फिर से वही सिग्नल, वही जगह, वही गाड़ियाँ, वैसा ही दिन चारो लग गए अपने काम पर। दोपहर तक धीमन क टीम ने काफी पैसे कमा लिए! लगभग दिन भर के बराबर! 

धीमन- मजा आ गया! आप लोग बहुत अच्छा काम कर रहे हो!!!

भवानी- बेटा, मुझे इस महीने पैसे दे दोगे पूरा तो मै अपने घर चला जाऊँ।

धीमन- अरे चच्चा! बस ऐसे ही करते रहो! अगले महीने तुम जरूर जाओगे अपने गाँव!

मालती- बेटा! डॉक्टर को दिखा दो मुझे! चल नहीं पा रही हूँ अब तो मै।

अरे ताई, बस आज का टारगेट डबल हो जाए बस शाम को डॉक्टर के पास चलते है न।

लंच करते ही सब फिर से चौराहे पर निकलते है, और काम में लग जाते है। तेज़ धूप में तपते हुए और कंधे पर बोझा लादे हुए, मालती को सिग्नल का भ्रम हो जाता है और एक तेज़ आ रही कार मारकर चली जाती है।

धीमन मालती को गिरते देख तुरंत पहुंचकर एम्बुलेंस में लादकर अस्पताल पहुँचता है। साथ ही नीतू, सोनू और भवानी को अपना काम जारी रखने के लिए बोलता है।

तीनो बहुत डर जाते है कि पता नहीं क्या होगा आंटी को। शाम तक कोई खबर नही आती है, और न ही धीमन और मालती लौट कर आते है। सोनू, नीतू और भवानी अस्पताल पहुँचते है।

अस्पताल के गेट पर ही धीमन सिगरेट पी रहा होता है। नीतू, सोनू और भवानी- क्या हुआ??? कैसी है मालती आंटी??????

 धीमन- कुछ नहीं! बहुत चोट लग गयी है! डॉक्टर ने देखा है! वैसे होश में है लेकिन अभी २४ घंटे अस्पताल में ही रहेंगी।

चलो तुम लोग हिसाब दो कितना हुआ आज का ????

सबलोग हिसाब देते है, ये और दिन भर की कमाई तो डबल हो जाती है लेकिन, दोपहर तक जो भी कमाई हुई थी, वो तो आंटी की दवाई में लग गयी?

क्या हुआ भैया???? पैसे कम हो गए क्या???

धीमन- पैसे तो यार हमने डबल कर लिए थे लेकिन, ये ताई की दवाई में लग गए। क्या करे????? कुछ समझ नहीं आ रहा?

बॉस मुझे नहीं छोड़ेगा। गोली मार देगा, अभी कल का भी हिसाब नहीं दिया है? 

सोनू- अरे भैया! आप बता देना! ऐसा हादसा हो गया इसलिए थोड़े पैसे कम हो गए!

धीमन- तुम लोग नहीं जानते वो लोग बहुत खतरनाक है, कुछ नहीं सुनते, बस गोली से बात करते है।

क्या करूं भगवान्! कोई रास्ता दिखा दो, कि इतने में धीमन का फ़ोन बजता है।

हेलो! धीमन, कब पहुँच रहा है तू! सबलोग हिसाब किताब कर गए, बॉस तेरा इंतज़ार कर रहे है, उन्हें भी जल्दी निकलना है, तुरंत आओ! और फ़ोन काट देता है।

धीमन- तुम लोग ताई के पास चलो! मै आता हूँ! और धीमन वहाँ से निकलता है। रास्ते में धीमन अपने एक दो दोस्त से मदद माँगता है लेकिन वो पैसे का इंतज़ाम नहीं कर पाता।

धीमन- बॉस के ऑफिस पहुँचता है? 

आइये आइये धीमन जी! मिल गयी आपको फुर्सत! आप तो सबसे ज्यादा व्यस्त है आजकल! हिसाब किताब के लिए भी आपके पास टाइम नहीं है।

धीमन- ऐसी बात नहीं है सरकार! एक जगह फंस गया था इसलिए थोड़ा लेट हो गया।

बॉस- मेरे अलावा तुम कहाँ फंस सकते हो धीमन!

धीमन- वो मालती जो मेरे साथ काम करती है, उनका एक्सीडेंट हो गया था, इसलिए उन्हें अस्पताल लेकर जाना पड़ा, इसीलिए थोड़ा लेट हो गया। माफ़ी चाहता हूँ, सरकार! 

बॉस- अरे! शहर में रोज २०-२५ लोग एक्सीडेंट से मरते है, वो भी मर जाती! वैसे भी उस बुढ़िया को कौन पूँछ रहा है, मर जाने देते।

धीमन- अच्छा बिजनेस देती है मालिक ! ऐसे नहीं छोड़ सकते थे???

बॉस- अच्छा! तो अब तेरी जबान भी चलने लगी है।

धीमन- नहीं सरकार! मेरा वो मतलब नहीं था।

बॉस- अब तुझे मतलब तो मैं समझाता हूँ! पहले हिसाब कर।

धीमन कल और आज के पूरे पैसे बॉस के आदमी को पकड़ाता है।

बॉस- तुम्हारे चौराहे का रोज का बिज़नेस ५००० रूपये है , उसके हिसाब से १५००० रूपये होने चाहिए?

बॉस का आदमी- सर, ये तो १२००० रूपये ही है।

बॉस- क्यों धीमन! कहाँ है और तीन हज़ार। 

धीमन- मालिक, आंटी की दवाई में लग गये है साहब, कल मै पूरे कर दूँगा।

बॉस- यही तो! तुम लोग कभी भी ऊपर नहीं उठ सकते! नाली के कीड़े हो नाली में ही मर जाओगे। तुम लोगो का कुछ नहीं हो सकता।

धीमन- बॉस,मै कल हिसाब कर दूँगा, गुस्से में ??

बॉस- बहुत बुरा लगता है क्या? हँसते हुए! भाई नाली के कीड़े भी अब सवाल जबाब करेंगे। वैसे आज मेरा कोई मूड नहीं है कुछ करने का, मेरी बेटी का जन्मदिन है, इसलिए आज तुम्हारी किस्मत अच्छी है। आज खूनखराबा नहीं करना है मुझे।

धीमन, कल तुम तीन हज़ार का ६००० रूपये दोगे ! समझे तुम? 

धीमन- नहीं बॉस! मै ज्यादा नहीं दे पाऊंगा।

बॉस- क्या! आज जिन्दा नहीं जाना चाहते हो यहाँ से ! काट के लटका दूंगा, कोई पूँछने भी नहीं आएगा, जानते हो या नहीं तुम किससे बात कर रहे हो। इस पूरे शहर का ट्रैफिक सिग्नल चलाता हूँ, कोई अंदाजा है तुम्हे!!!

धीमन- जी सरकार! जानता हूँ, लेकिन कल मै इतने पैसे नहीं दे पाउँगा! मेरे पास केवल तीन लोग ही बचे है??

मुझे तुम्हारी कोई बकवास नहीं सुनना है, अगर नहीं संभाल सकते इतना बड़ा चौराहा, छोड़कर कोई छोटा ले लो, मै उस्मान को दे दूँगा।

मेरे सिग्नल पर कोई निगाह उठाकर देखे तो वहीं खत्म कर दूंगा, उसे!- धीमन बोलता है।

बॉस अपने आदमी से- इसका इलाज बहुत ज़रूरी है, बाँध दो इसे।

धीमन- मालिक, आज जाने दो मुझे! कल आपको जो करना है कर लीजियेगा।

बॉस- जबान लड़ाता है, ये कमीना। बांध दो इसको, इस खम्भे में !

बॉस के आदमी धीमन को जबरदस्ती पकड़कर खम्बे में बांध देते है और मारने लगते है।

बॉस- निकालो- इसकी सोने की चैन, ये मोबाइल और अच्छे से इसकी खातिरदारी करो, कोई कमी नहीं रहनी चाहिए।

धीमन को बहुत मारते है, और अधमरा कर देते है, धीमन पानी पानी चिल्लाता है, लेकिन उसे कोई पानी भी नहीं देता है।

अब इसका जवानी का भूत उतर जायेगा- बॉस बोलते है।

धीमन धीरे आवाज में मालिक आप ये ठीक नहीं कर रहे है??????

बॉस ये सुनते ही अपने जेब से रिवाल्वर निकाल धीमन के सीने में दाग देते है। धीमन वही ढेर हो जाता है।

जिस चीज से डर रहा था, वही करना पड़ा मुझे- बॉस बोलते है! ले जाओ! लगा दो इसकी लाश कहीं ठिकाने!

साले! हमारी ही रोटी पर पलते है और फिर हमे ही आँख दिखाते है, यही तो इनका अंजाम है, धरती के बोझ! नाली के कीड़े।

कल से धीमन का चौराहा उस्मान देखेगा, फ़ोन करके बता दो उसे और रोज ६००० का बिजनेस चाहिए मुझे वहाँ से बता देना। अगर नहीं कर सके तो पहले ही बता दे, किसी और को दे दे। टीम वही रहेगी। जिस औरत को चोट लगी है, वो कर पाए तो ठीक है नहीं तो उसको हटाकर दूसरी औरत रखो उसकी जगह पर।

जी बॉस- और धीमन की बॉडी को ठिकाने लगाने चले जाते है।

रात बीतती जा रही है लेकिन , धीमन वापस नहीं आया, सब लोग बहुत चिंता में है, इधर मालती की तबियत अब ठीक है, तो डॉक्टर ने उसे ले जाने के लिए बोल दिया है। भवानी, सोनू, नीतू और मालती चारो लौटकर आते है, तो वहाँ भी धीमन नहीं आया है। इन चारों में किसी को ये भी नहीं पता कि धीमन कहाँ गया है?????

सुबह होने को आयी है धीमन के साथ काम करने वाले चारो लोग एक तक लगाए दरवाजे की तरफ देख रहे है कि धीमन अभी आ रहा होगा। इतने में एक गाड़ी आकर रूकती है, और उसमे से उस्मान उतरता है। अंदर आता है, और पूंछता है कि धीमन आप लोगो के साथ काम करता है- सब लोग हाँ बोलते है।

उस्मान- ठीक है! धीमन को बॉस ने बहुत दूर किसी काम से भेज दिया है। आज से तुम लोग मेरे साथ काम करोगे। चलो तैयार हो जाओ सबलोग अपने अपने काम के लिए। ताई आपजब तक ये सब पट्टी नहीं खुलती है, तुम सिग्नल पर किनारे बैठकर भीख मांगोगी। ठीक है, सब लोग समझ गए! चलो निकलो सब लोग अपने का पर।

सबके चेहरे पर हज़ारो सवाल लेकिन एक भी जबाब नहीं! ऐसा नहीं कि ये पहली बार था इनके साथ ये तो हर साल दो साल पर होता ही रहता है। फिर से वही काम, वही चौराहा और वही रोजमर्रा चलता ही रहता है, दिन भर एक मिनट के रेड सिग्नल के साथ।।।।।

धीमन जैसे हज़ारों बच्चे किसी करणबस अपने माँ बाप से बिछड़ जाते है, और गलत लोगो के हाथ लग अपनी जिंदगी गवां देते है या जीवन के बड़े अन्धकार में कहीं खो जाते है। क्या इनके प्रति हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए, एक बार जरूर सोंचने की आवश्यकता है।




Rate this content
Log in

Similar hindi story from Crime