रेड लाइट , भाग - पाँच
रेड लाइट , भाग - पाँच
( संतराम से यह पता चलते ही कि वह नवाबगढ़ की रहने वाली है
और मिलन चौक के आस पास ही उसका घर हो सकता है , निशा बिना कुछ सोचे - समझे नवाबगढ़ पहुँच जाती है । नवाबगढ़ शहर नहीं , एक कस्बा था ।जब निशा वहाँ पहुँची तो काफी रात हो चुकी थी , अकेली लड़की देखकर कुछ मनचले उसे छेड़ने लगे ….. अब आगे )
निशा को अपनी स्थिति पर रोना आ रहा था … आज के पहले उसने कभी भी भगवान को दिल से याद नहीं किया था ।इसी बीच एक लड़के ने निशा का हाथ पकड़ते हुए बोला ….’ बात में टाइम खराब मत कर …. ले चलते हैं इसे ।निशा अपने को उसकी पकड़ से छुड़ाने लगी तभी निशा के चेहरे पर तेज रोशनी चमकी ।निशा को छेड़ रहे लड़के वहाँ से भाग खड़े हुए ।द्रौपदी को बचाने इस कलियुग में कृष्ण कहाँ से आते , पर शायद भगवान ने निशा की प्रार्थना स्वीकार कर ली थी ।पुलिस की जीप वहाँ आकर रुकी , उसीकी हेड लाइट निशा के चेहरे पर पड़ी थी , शायद मनचले इस लाइट से वाकिफ थे इसलिए तुरन्त भाग खड़े हुए ।
इंस्पेक्टर विशाल पुष्कर ने जीप में बैठे ही बैठे सधी नज़रों से निशा को देखा ।पुष्कर युवा थे और कमीशन से आये थे ।इंस्पेक्टर को यह समझते देर न लगी कि यह बाहर की लड़की है पर धंधे वाली नहीं है ।पुलिस की नज़र इस मामले में बहुत तेज होती है , अगर पुलिस - प्रशासन चाहे तो मन्दिर से एक चप्पल की चोरी नहीं हो सकती अपराध तो दूर की बात है ।इंस्पेकटर इस बात को लेकर परेशान था कि इतनी रात में यहाँ की लड़कियाँ बाहर नही निकलती ….. ये यहाँ क्यों आई है ? ….. यहाँ पूछताछ करना उसे ठीक नहीं लगा .
"जीप में बैठो ।" इंस्पेक्टर के कहते ही निशा चुपचाप जीप में बैठ गई ।वह मन ही मन भगवान को पुलिस भेजने के लिए धन्यवाद दे रही थी ।थाना में निशा ने इंस्पेक्टर को नवाबगढ आने का जो कारण बताया वह सुनकर तो वह हक्का बक्का रह गया .
"बस मिलन चौक के नाम पर तुम सत्रह साल पुराना अपना घर और घर वालों को खोजने चली आयी और वह भी आधी रात में ? "….. निशा क्या बोलती , वह तो पहले ही इसे अपनी बेवकूफी मान चुकी थी ।इंस्पेक्टर के सामने अब यह सवाल था कि रात को इस लड़की को कहाँ रखना ठीक होगा , उसने निशा से ही पूछ लिया - "तो रात में कहाँ रुकने वाली हो ? "
निशा ने सहमते हुए कहा - "मेरा तो यहाँ कोई नहीं है , आप कहते तो आज की रात यहीं रह लेती । "
"नहीं "….. इंस्पेक्टर ने छूटते ही कहा ।एक सुंदर - जवान लड़की को थाने में रखने का खतरा मोल लेने को वह तैयार नहीं था , छ महीना पहले ही बगल के थाने बलीरामपुर में हाजत में ही रेप काण्ड हुआ था और वहाँ के इंस्पेक्टर को काफी फजीहत उठानी पड़ी थी ।कुछ सोचते हुए वह बोला - "तुमको मेरे घर चलना होगा "।निशा ने इंस्पेक्टर की तरफ देखा ….. इंस्पेक्टर झेंपते हुए बोला - "मेरे घर में मेरी माँ हैं । "
दूसरे दिन लगभग दस बजे निशा को लेकर इंस्पेक्टर मिलन चौक एरिया में गया , एक - दो लोगों से इस बारे में पूछताछ भी की पर कुछ पता नहीं चला ।घूमते - घूमते अचानक एक घर के सामने निशा ने रुकने का इशारा किया ।निशा को उस घर के चबूतरे पर बड़ा सा नीम का पेड़ देख कर एक धुँधली सी स्मृति सजीव हो उठी ।निशा को संतराम लगभग सात साल की उम्र में उठाया था , सात साल के बच्चे को पुरानी जगह पर ले जाया जाय तो उसे वह पहचानने की कोशिश कर सकता है ।निशा को पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा था कि यह नीम का पेड़ देखा देखा सा लग रहा है …. उसके बाबूजी इस पर सावन में झूला लगाते थे , उसने ध्यान से घर को देखा और घर के मुख्य किवाड़ के ऊपर हाथी का चित्र बना देख उसके मुँह से हठात निकल गया …. "यही मेरा घर है ….’ इंस्पेक्टर के किवाड़ खटखटाने पर एक अधेड़ औरत ने दरवाजा खोला , दरवाजा खुलते ही निशा भागकर आँगन में पहुँच गयी ।घर में बहुत कुछ बदलाव नहीं हुआ था ।बर्तन धोने की जगह पर आज भी चापाकल ही था , बस पत्थर की पटिया की जगह सीमेंट का चबूतरा सा बना दिया गया था ….. निशा खुशी से चिल्ला उठी - "यही मेरा घर है …’ ।अधेड़ औरत हा किये ये सब देख रही थी …. उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था ।निशा का घर मिल जाने से इंस्पेक्टर उससे भी ज्यादा खुश था ।इंस्पेक्टर ने उस औरत को मुस्कुराते हुए बताया "बधाई हो माँ जी , यह निशा है , बचपन में खोयी हुई आपकी बेटी "…. इंस्पेक्टर को लगा था कि यह खबर सुनकर वह औरत खुशी से पागल हो जाएगी पर उस औरत ने बिना एक पल गंवाए कहा - "मेरी तो कोई बेटी ही नहीं है ".......
क्रमशः
( अगली कड़ी 3 मार्च 2021 को )