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Rishab K.

Horror

4  

Rishab K.

Horror

रास्ता

रास्ता

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यह बात तब की है,जब मैं दसवीं कक्षा में पड़ता था। 10 वीं कक्षा में , मैंने गणित की कोचिंग लगा रखी थी। मेरी कोचिंग का समय रात 8 बजे का होता था। मेरी कोचिंग मेरे घर से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर थी। बाकी दिन तो कुछ नहीं हुआ। मेरी कोचिंग सही चलती रही, पर एक दिन मेरे साथ वो हादसा हुआ। जिसने मेरी ज़िन्दगी बदल के रख दी। हुआ कुछ यू कि जब मैं अपनी कोचिंग जा रहा था, तब मैंने वो रास्ता चुन लिया, जिसे चुनने के लिए लोगों को सो बार सोचना पड़ता था। बात यह थी कि मैं कोचिंग के लिए लेट हो गया था और जल्दी पहुंचने के चक्कर में, मैंने वो रास्ता ले लिया। वो रास्ता वैसे एक शॉर्ट कट था। जब मैं थोड़ा आगे पहुँचा, तो मुझे याद आया कि मैं जिस रास्ते से जा रहा हूँ, उस रास्ते से जाने से लोग मना करते हैं। पर मैं कोचिंग के लिए काफ़ी लेट हो चुका था। इसलिए मैं आगे बढ़ता गया। थोड़ी देर बाद , मैंने देखा कि एक आदमी मेरे आगे से जा रहा था। देखने में वो कोई भिखारी लग रहा था। मैंने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और मैं आगे बढ़ने लगा। जैसे ही , मैं उस भिखारी से आगे बढ़ता वो ना जाने कैसे मेरे आगे आ जाता। ऐसा कम से कम तीन-चार बार हुआ। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ? मैं ईश्वर को याद करने लगा और जैसे-तैसे करके उस जगह से निकल गया।


यह कहानी एक ऐसे लड़के के बारे में है जिसके साथ में कुछ ऐसा होता है जिस चीज़ से निकलने में उसे पुरे 5 साल लग जाते है या फिर नहीं। यह कहानी दिमाग से लड़ने के बारे में है।क्या मैं सपने में हूँ या मैं एक शैतानी जाल में फंसा हूँ। मैं यहाँ कैसे पहुँचा , मुझे नहीं पता। मैं यहाँ फंस चूका हूँ। 


कहानी के अंदर का एक भाग- एक गलत रास्ता 


मैंने देखा कि वह शैतान कुछ खा रहा था। उसके आसपास बस खून ही खून था और थोड़ी देर बाद मुझे पता चला कि जिस इंसान को वह खा रहा था वो और कोई नहीं बल्कि मैं खुद था। यह कैसे हो सकता था? मेरा मतलब मैं तो यहां खड़ा हूं, फिर यह मुझे कैसे खा सकता है?


मैं आश्चर्य और अचंभे से वहाँ खड़ा होकर खुद के ही शरीर को खाता हुआ देख रहा था। मैं इस सदमे से उभरा ही था कि मैंने देखा वह शैतान वहां से कहीं गायब हो गया। सामने मेरा खाया हुआ मृत शरीर पड़ा था। ठीक उसी समय मेरा मृत शरीर खड़ा होने लगा। वह पूरी तरह से खड़ा हुआ और मेरी तरफ भाग कर आया।


वह मुझे पकड़कर जोर से चिल्लाया " जो रास्ता तुमने चुना है, वो तुम्हे नरक तक ले जाता है। "तभी मेरी आंख खुली और मैंने देखा कि मैं एक कब्रिस्तान में लेटा हुआ हूँ ।


पर.......... पर मैं यहां कैसे? मैं तो अभी उस अंधेरी जगह पर था, तो मैं यहां कैसे पहुंचा? मैं उस कब्रिस्तान के बाहर जाने लगा। ज्यों ही मैं बाहर जाता त्यों ही मैं उस कब्रिस्तान के और अंदर पहुंच जाता था।


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