Rishab k..

Inspirational

3  

Rishab k..

Inspirational

प्यारी की प्यारी कहानी।

प्यारी की प्यारी कहानी।

6 mins
117


आज में जो कहानी आपको बताने जा रहा हूँ, वो एक छोटी सी बच्ची की है। जिसका नाम है प्यारी, प्यारी 10 साल की है, रंग साँवला और भरपूर सूझबूझ से भरी। वैसे तो प्यारी का नाम उसके दादी ने अंजना रखा था पर जैसे जैसे वो बड़ी हुई जिद्द से अपना नाम प्यारी रखने के लिए कहा, कहती थी अंजना बहुत पुराना नाम है, मुझे अपना नाम प्यारी रखना है क्योंकि में मुझे मेरे रंग की वजह से कोई प्यार नहीं करता, सब मुंह मोड़ लेते है कोई बात करेंगे भी तो अजीब सा शक्ल बनाते है, प्यारी नाम रखेंगे तो उस नाम में ही प्यार है, इसी बहाने सबको प्यारी तो लगूँगी में बाते करना प्यार प्यारी का हुनर हो ।

प्यारी के घर में उसकी माँ, पापा, छोटी बहन और 2 साल का एक छोटा भाई है। प्यारी की माँ लोगों के घर का काम करके घर चलाती है। सोमवार का दिन था प्यारी की माँ की तबीयत अचानक से बहूँ त खराब हो गयी और काम पर जाना भी जरूरी था, तो प्यारी ने उसकी माँ को खाना बना के दिया और दवाई दे कर सुला दिया और उसकी माँ की जगह पर काम करने चली गयी। प्यारी की मां सबसे पहले सुबह सुबह जोशी मैडम के वहाँ काम करती थी फिर पटेल मैडम के पास दि नभर बच्चा संभालने का काम करती थी क्योंकि वो दोनों पति पत्नी काम पर जाते थे। प्यारी उसके माँ के काम के बारे

में सब जानती थी तो उसने वैसे ही काम करना शुरू किया। पहले वो जोशी मैडम के घर गयी उनको सुबह सुबह गर्म गर्म रोटियां चाहिए होती है। जाते ही उन्होंने प्यारी को बहुत डाँट लगाई, प्यारी ने हँसते हुए कहा की "मौसी मैं छोटी हूँ लेकिन मुझे सब आता है अब से कुछ दिन मैं ही आऊंगी मां की तबीयत बहुत खराब है, जैसे ही माँ ठीक होगी माँ ही आएँगी" तो जोशी मैडम ने कहा "ठीक है"। फिर प्यारी ने अपना काम निपटा के पटेल मैडम के यहाँ चली गयी।

दरवाजा बजाती है "ठाक ठाक। "

पटेल मैडम "कौन चाहिए तुम्हें ? और बेल क्यों नहीं बजायी ?"

"Aunty, मैं सविता की बेटी हूँ आपके यह काम करती है वो मेरी माँ है, कल रात से अचानक से बहुत बीमार है, जब तक वो ठीक नहीं होती में ही आपके यह काम करूंगी।" प्यारी बताती है।

राय मैडम को यह सुनकर एकदम से चौक जाती है सोचती है ये तो छोटी सी बच्ची है। अब क्या करूँ मैं ?? ये कैसे कर पाएगी, बच्चे को इसके भरोसे कैसे छोड़ के जाऊँ ?

उतने में ही प्यारी कहती है दीदी आप बेफिक्र होकर जाइये मेरा छोटे भाई को में ही संभालती थी जब माँ दिन भर आपके यह होती थी। और देखना ये छोटा लल्ला भी मेरे साथ बहुत अच्छे से खेलेगा। इसपर पटेल मैडम कहती है बाते तो तू बहुत अच्छी करती है। पर क्या तुम्हें नहीं लगता अभी इन सबके लिए अभी तुम छोटी हो। इसपर प्यारी कहती है ।

"हाँ दीदी, छोटा पैकेट बड़ा धमाका हूँ मैं। "

पटेल मैडम- अच्छा चलो एक काम करती हूँ मैं आज और कल की छुट्टी लेती हूँ फिर देखते है क्या किया जाए।


प्यारी दिन भर बच्चे के पास ही रहती है उसको सुलाती भी है। बच्चा इतने अच्छे से प्यारी के साथ खेल रहा होता है की जैसे मानो उसकी अपनी बड़ी बहन हो।

बच्चा सो जाता है तो पटेल मैडम प्यारी के साथ गप्पे लड़ाने बैठती है। प्यारी से कहते है की प्यारी आपको पता है की 14 साल के अंदर किसी भी बच्चे को काम पर रखना गुनाह है। इसी लिए मुझे तुम्हारी फिक्र हो रही है। इस पर प्यारी कहती है, "दीदी हम गरीब है काम नहीं करेंगे तो खाएंगे क्या? माँ ही काम कर रही थी पर माँ की तबीयत खराब हूँ आ तो माँ नहीं आ पा रही। और अगर ये काम चले गए तो हमारे घर में सब भूखे मर जाएंगे।

इसपर पटेल मैडम कहती है, "क्यों, तुम्हारे पापा नहीं कमाते?"

प्यारी- (आँख भर आयी) जब तक पापा कमाते थे कभी माँ काम पर नहीं गयी, हर दिन तीनों समय अन्न सुख से सारा परिवार मिल के खाते थे हम, किसी भी चीज़ की कमी नहीं थी। पर एक हादसे में मेरे पापा के दोनों पैर कट गए। और पापा को हमेशा के लिए घर बैठना पड़ा। वैसे घर बैठे पापा भी बहुत अच्छे अच्छे चित्र निकालते हैं। पर इसका कोई फायदा नहीं, उनकी इस कला को सराहते तो सब है पर उससे पैसे नहीं काम सकते ना। मैंने देखा था एक रोज पापा माँ से बात कर रहे थे तब रो रहे थे। माँ से कह रहे थे की मैं किसी भी काम का नहीं हूँ मुझे ये जिंदगी व्यर्थ लगती है, उनकी बाते सुनी तब से मुझे स्थितियों को समझने की पहचान हुयी।

"बचपने में ही मुझे बड़प्पन की समझदारी आ गई"

पटेल मैडम तुम कौन सी कक्षा में हो ?

प्यारी में स्कूल नहीं जाती, हमारे पास इतने पैसे नहीं की में स्कूल जाऊँ। माँ जो पैसे कमाती है उसमें दो वक्त का खाना भी मुश्किल से मिलता है। मैं पहले जाती थी दूसरी कक्षा तक ही पढ़ी हूँ। उसके बाद पापा का वो हादसा। सबकी जिंदगी हम बदल गया।

देखते देखते वक्त बीत गया और प्यारी घर चली गयी ।

दो दिन पटेल मैडम घर पर ही थी लेकिन उसके बाद

उनको छुट्टी लेना मुश्किल हूँ आ तो वो अपने काम पर जाने

लगे, प्यारी भी उनके बच्चे का बहुत खयाल रखती थी।

कुछ दिन बीत गए हमेशा की तरह प्यारी पटेल मैडम के घर काम पर आयी।

पटेल मैडम ने उसे कहा की चलो मुझे तुम्हारे घर ले चलो। प्यारी पहले थोड़ी डर गयी कहने लगी क्या हूँ आ दीदी क्या मुझसे कोई गलती हो गई?

पटेल मैडम नहीं बेटा आप चलिए तो सही, आपकी माँ के हालचाल भी पूछ लूँ।

प्यारी उसे अपने घर ले गईं। बहुत छोटा सा कमर था उसमें 5-6 लोग रहते है ये देख कर उन्हें बुरा लगा। प्यारी के माँ के हाथों में उन्होंने उनकी सैलरी दी और उनसे कहा की अगर आप बुरा न माने तो आपसे कुछ बात करना चाहते है।

प्यारी की माँ जी दीदी कहिये ।

पटेल मैडम - "हम आपकी बेटी प्यारी को गोद लेना चाहते है। "

ये सुनकर सब हैरान रह गए। प्यारी की माँ को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो क्या कहे।

पटेल मैडम ने उन्हें समझाया की वो प्यारी को बहुत खुश रखेंगे उनको हमेशा से बेटी भी चाहिए थी लेकिन उनको 9 साल बाद लड़का हूँ आ और फिर से वो गर्भवती नहीं रह सकती थी। प्यारी को वो हर चीज देंगी जिसके वो पात्र है। उसके असली घर वालों से भी मिलने के लिए कभी नहीं टोकेंगी। वो प्यारी को एक अच्छी जिंदगी देना चाहते है।

कुछ देर मौन के बाद प्यारी की माँ ने कहा- "मैं आपके कैसे एहसान चुकाऊँ समझ नहीं आ रहा। आप प्यारी को गोद ले सकती है। प्यारी को भी कोई आपत्ति नहीं थी।

लीगली प्यारी को गोद लिया गया। प्यारी को अच्छे स्कूल में भरती कराया, प्यारी के बहन और भाई का भी स्कूल में दाखिला करवाया। प्यारी की माँ को एक फैक्टरी में काम पर लगाया, प्यारी के पिताजी के चित्रों को exhibition के लिए लगाया जिससे की उनके पूरे परिवार की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया।

पटेल मैडम ने उनकी जिंदगी नए सिरे से शुरू की, प्यारी लल्ला को भी सगी बहन से ज्यादा प्यार दे रही थी। लल्ला भी बहुत खुश था।

"कुछ साल बीत गए"

प्यारी 12 वीं कक्षा फर्स्ट क्लास से पार की उसके बाद प्यारी ने डॉक्टर की डिग्री के लिए दूसरे राज्य में चली गयी।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational