अष्टम राहु।।
अष्टम राहु।।
हमारे देश में राजस्थान एक प्रांत है और राजस्थान मैं एक जगह है जिसका नाम भीलवाड़। इसी भीलवाड के एक छोटे से गांव का नाम है कारोई। ये गांव भरते बहुत मशहूर है क्योंकि यहां जा हर इंसान एक ज्योतिष शास्त्र में ज्ञानी है। देश के बेहतरीन ज्योतिषशास्त्री सब इसी गांव से हैं। यहां के हर इंसान के पास एस्ट्रोलॉजी, न्यूमरोलॉजी, होरोस्कोप आदि का अच्छा ज्ञान है। इसी गांव में एक परिवार है पंडित नारायण शास्त्री (55)का, जिनको पूरा गांव और आसपास के इलाके में बड़ी इज्जत प्राप्त है क्योंकि जिस समस्या का समाधान कोई नहीं कर सकता उसका समाधान नारायण जी के पास होता है। नारायण जी का एक लौता बेटा है शिव(30) जो वेद, उपनिषद, शास्त्रों में पंडित है और पिता के नक्शे कदमों पर चल के वो भी ज्योतिष शास्त्रों में PhD किया है। लेकिन उसके अंदर ज्योतिष शास्त्रों को लेकर रुचि कुछ ज्यादा है इसीलिए वो और गहरी अध्यन के लिए एक संस्था में नामांकन किया है। नारायण शास्त्री की पत्नी का देहांत हो चुका हैं और घर में बाप बेटे दोनों ही रहते हैं। कभी कवार नारायण जी का साला यानी शिव के मामा पीताम्बर(50) आते रहते हैं। वो भी ज्योतिष शास्त्रों में बिसारद हैं।
दूसरी तरफ शिव बचपन से ही एक लड़की नीलिमा(25) को पसंद करता है पर नीलिमा उसको नकार चुकी है। पर शिव अभी तक उम्मीद नहीं हारा और आज भी उसी से बेहद मोहब्बत करता है एक तरफा।
शिव को ये पता है भलीभांति की वो कभी उसकी नहीं होगी, फिर भी वो नीलिमा के प्यार में पागल है, एक दम अंधा हो चुका है। इसी तरह शिव और उसके जीवन की कहानी आगे बढ़ती है। शिव किसी खास विषय पर अध्ययन और गहन विश्लेषण कर रहा होता है।
वहीं हम देखते हैं की एक बड़े शहर में एक बहुत बड़ा रिसर्च लैब है, जिसमे बहुत सारे लोग नई नई तकनीक और साधनों के साथ किसी चीज के खोज में लगे हुए हैं। इस रिसर्च और परीक्षण के साथ सबकी धड़कन रुकी हुई है । हर एक पल एक तेज धड़कन के साथ आगे बढ़ता है । लेकिन रिसर्च नाकाम रहता है, जिसकी खबर मिलते ही एक बहुत बुजुर्ग आदमी कबीर प्रताप (70) भड़क उठता है। कबीर प्रताप उस लैब का मालिक और एक बेहतरीन वैज्ञानिक होता है। जो पिछले 30 साल से कुंडली में ग्रह नक्षत्र की दशा और दिशा बदलने के लिए तरकीब की तलाश कर रहा होता है। उसके रिसर्च को बेबुनियाद बता के उसको इंडियन साइंस सोसाइटी ने बर्खास्त किया होता है लेकिन वो अपने महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए अपने पैसों से एक लैब बना के उसमे अध्ययन कर रहा होता है। उसने ३० साल में बहुत से ऐसे साइंटिस्ट, एस्ट्रोलॉजर, ब्रिलियंट लोगों को साथ मिला कर एक टीम तैयार किया होता है। फिर भी सफलता उसके हाथ नहीं लग पाई अब तक। और वो जी तोड़ कोशिश कर रहा है एक फॉर्मूला बनाने की।
उधर शिव भी किसी फॉर्मूला के पीछे पड़ा है ओर गहरा अध्ययन कर रहा है। शिव धीरे धीरे उस ज्ञान को हासिल करने की रह में है और उसको अपने लैपटॉप में टाइप कर के रख रहा है। शिव जिस संस्थान में पढ़ता है वहां एक लड़की पढ़ती है जिसका नाम महिमा(२५) है और वो तेलंगाना राज्य से है। वो भी एक उच्च ब्राम्हण परिवार से है और ज्योतिष शास्त्र के साथ होरोस्कोप की पढ़ाई करने के लिए आई है। शिव के साथ उसकी दोस्ती होती है और महिमा एक तरफा शिव से प्यार करने लगती है। ये बात शिव के मामा को पता चलता है तो वो नारायण जी को बताते हैं। नारायण जी को भी ये बात अच्छी लगती है। शिव अपने पिता की बात कभी नहीं टालता। इसीलिए नारायण जी ने शिव से बिना बताए महिमा के घरवालों को बुला लिया और दोनों परिवार की सहमति से शादिबकी बात पक्की होगई, किंतु शिव इस शादी से खुश नहीं था।
शिव की शादी तो हो जाती है पर वो महिमा को पसंद नहीं करता। वो हर बार महिमा से दूर रहने के लिए कोई न कोई बहाना बना देता है। महिमा लेकिन अपनी पूरी कोशिश करती है की शिव को खुश रख सके। शिव अपनी विद्या और सिद्धियों में उलझा रहता है। और एक दिन शिव वो फॉर्मूला बना लेता है जिससे ग्रह नक्षत्रों की स्थिति कुंडली में बदला जा सके। शिव ये सिद्धि किसी से बांटना नहीं चाहता था क्योंकि उसको पता था की लोग इसका गलत इस्तेमाल करेंगे। इसीलिए वो ज्ञान सिर्फ अपने तक रखता है और लोगों की भलाई में लगता है ।
शिव अब धीरे धीरे ख्याति प्राप्त करने लगता है। एक बार वो एक राजनेता को बोलता है की तुम एक नहीं तीन बार देश के प्रधानमंत्री बनोगे। तुम इकलौते राजनेता होगे देश के, तुम्हारे विरोधी भी तुमसे प्रेम करेंगे। और तुम एक कारनामा करोगे जिसकी वजह से दुनिया में देश का नाम और सम्मान ऊंचा होगा । तुम इतिहास पन्नों में अमर हो जाओगे। सारी दुनिया के विरोध के बावजूद तुम परमाणु का परिक्षण करोगे । उस वक्त वो राजनेता को यकीन नहीं होता शिव की बात पर कुछ साल बाद जब वो प्रधानमंत्री बनते हैं तीसरी बार तो वो खुद शिव से मिलने आते हैं।
उसके बाद कई राजनेता, अभिनेता और विशिष्ठ ब्यक्तियां शिव के पास अपनी समस्या ले के आते हैं और शिव सबकी समस्याओं को अपने फॉर्मूला से समाधान कर देता है।इसी वक्त एक दिन नीलिमा शिव से मिलती है और अतीत में की हुई गलती की माफी मांगती है। धीरे धीरे दोनों की मुलाकात एयर बातचीत बढ़ने लगती है। इस तरह उसकी जीवन में नीलिमा आती है। नीलिमा उसको बहुत प्यार करती है और शिव तो पहले से ही नीलिमा के लिए दीवाना था ही। जितनी जितनी नीमा नीलिमा शिव के करीब आ रही थी, शिव महिमा से उतना दुर हो रहा था। महिमा लेकिन कभी भी शिव से कोई शिकायत नहीं करती , और ज्यादा कोशिश करती शिव को खुश रखने की।
शिव अपनी विद्या से कभी किसी अभिनेता की डूबती कैरियर को बचा लेता है तो कभी किसी निर्धन को धनी बना देता है।
शिव रोज कुछ न कुछ अपने लैपटॉप के गुप्त फाइल में लिखता है , लेकिन जब भी महिमा उसको पूछती है तो शिव नज़रंदाज़ कर देता है उसकी बातों को। शिव धीरे धीरे दुखी रहने लगता है, उदास रहता है, मायूस रहता है। किसी से ज्यादा बात नहीं करता । लोगों की समस्या का समाधान करता है लेकिन उसमें भी ज्यादा ध्यान नहीं दे पाता। फिर एक दिन शिव पहली बार महिमा से अपने किए गलती की माफी मांगता है और अपने पिता के गले लगता है। जब की वो रोज ऐसा नहीं करता तो नारायण और महिमा दोनों को थोड़ा अजीब लगता है। शिव दोनों से बोलता है की कुछ जरूरी काम है शहर में, तो आने में देर हो जायेगी। यह भी पहली बार था जब शिव कुछ ऐसा बोल रहा था। शिव इतना बोल कर चला जाता है। लेकिन महिमा गहरी सोच में डूब जाती है और सारी बातों को याद करने लगती है।
उधर शिव हंसते हंसते नीलिमा से मिलता है और उसके साथ उसके घर पे जाता है। नीलिमा और शिव बात करते हैं।
इधर महिमा को कुछ याद आता है तो वो शिव का लैपटॉप खोल के चेक करती है। जब वो शिव की लिखी हुई फाइल पढ़ती है तो चौंक जाती है। उसमें लिखा था नीलिमा उसको चाय में जहर देने वाली है आज। उसमें लिखी सारी बात अब तक सच हो चुकी थी।
उधर शिव नीलिमा के माया बंधन में था और नीलिमा उसको चाय में जहर देने वाली थी। शिव सब कुछ जान कर भी कुछ नहीं कर सकता था , बेबस था। उसको जहर पीना ही था।
तभी हम देखते हैं की चाय बनाते हुए नीलिमा बात कर रही है।
फ्लैडबैक -
शिव की प्रतिष्ठा बढ़ते ही खबर चारों तरफ फैल रहा था और न्यूज मीडिया सब जगह शिव छाया हुआ था। ये खबर जब कबीर के कानों में पड़ती है तो वो शिव के बारे में सारी जानकारी हासिल करता है। उससे पता चलता है की शिव ने वो विद्या , वो ज्ञान , वो फॉर्मूला हासिल कर लिया है जिसकी कबीर को 30 साल से खोज थी। कबीर इस बात से बौखला जाता है और किसी भी तरह शिव से वो फॉर्मूला छीनने की कोशिश करता है। जब शिव नहीं बिकता ना टूटता है तो वो नीलिमा को हत्यारा बना के शिव के पास भेजता है। नीलिमा कबीर के लैब में काम करने वाली एक लड़की होती है। कबीर के बोलने पर वो झट से राजी हो जाती है क्योंकि की उसको पता था की शिव उसके लिए दीवाना है और शिव को फसाना आसान है उसके लिए। नीलिमा पैसों की लालच में शिव को मारने की डील स्वीकार कर लेती है। फ्लैशबैक समाप्त।।
नीलिमा चाय बनाते हुए फोन पर कबीर से ही बात कर रही होती है। चाय बना कर ले के आती है और शिव को कप में डाल कर देती है। शिव बिना कुछ बोले और विरोध किए पीने वाला होता है की तभी महिमा आ कर उसको रोक लेती है। और शिव का ही फॉर्मूला इस्तेमाल कर के वो ग्रहों की दिशा बदल देती हैं जिससे शिव की मौत टल जाती है।
शिव अपनी शक्तियों को नीलिमा पर इस्तेमाल करता है और नीलिमा की वहीं पर मृत्यु हो जाती है। फिर शिव के मदद से कबीर भी पकड़ा जाता है।
ये कहानी एक ज्योतिष विद्वान की जरूर है पर इसमें एक पतिव्रता औरत के विश्वास और भरोसे की दास्तान है। एक सच्ची औरत चाहे तो कुदरत का कानून बदल कर सत्यवान को यमराज से छुड़ा सकती है। यह इस कहानी का मूल विचार है। इसीलिए ईश्वर के बिधि में पूर्व निर्धारित शिव का मृत्यु टल गया।
शिव अपनी किए पर पश्चाताप कर रहा होता है और महिमा को अपना लेता है और अपना शेष जीवन मानव कल्याण में लगता है।
समाप्त।।।