रामराज्य

रामराज्य

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जानकी देवी परित्यक्ताओं के आश्रम की संचालिका है। यूं तो उनके माथे पर सिंदूर रेखा और ललाट पर बिंदी हमेशा शोभायमान रहती है लेकिन उनके परिवार के बारे में कोई कुछ नहीं जानता। 
वो हमेशा मंदिर आती और सीढीयों पर बैठे भिखारियों को खिला पिला कर लौट जाती हैं। मंदिर के अंदर कभी नहीं जाती हैं। 
आज जब चुनावी गहमागहमी जोरों पर है तो मंदिर की सीढ़ियों पर भी श्रद्धालुओं के चर्चा का विषय चुनाव ही है। जानकी देवी को देखकर एक महिला ने पूछा "दीदी आप किसे वोट देंगी।" 
वो मुस्कुराकर रह गई। उसने फिर पूछा "अच्छा हमें किसको वोट देना चाहिए।" 
अबकी हँस पड़ी वो" ये तो इस पर निर्भर करता है कि कैसी सरकार चाहती हो।" 
पूछनेवाली ने दांत दिखाए" हम तो ऐसी सरकार चाहते हैं जो देश में रामराज्य ले आए।" 
जानकी देवी ने साड़ी का पल्लू लपेटकर गर्दन के बड़े से निशान को ढंकते हुए सिर्फ "हूं" कहा और सीढ़ियों से ही भगवान के हाथ जोड़े" हे भगवान सबको सद्बुद्धि दें।"


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