जंगली फूल
जंगली फूल


उसके हुस्न के चर्चे हमने दूसरे कॉलेज में पढ़ने वाले अपने दोस्त से सुने थे। कई दिन पूरे कॉलेज में हर लड़की को संजीदा होकर निहारा, लेकिन किसी में वह बात नहीं थी जो दोस्त ने बताई थी ।
आज भी खाली वक्त में ग्राउण्ड से गेट की तरफ जाने वाले रास्ते पर नजरें टिकाए बैठा था । तब वह आकर बैठ गई। कुछ देर मेरी नजरों का पीछा सा करती रही फिर मुझे घूरा "क्या ढूंढ रहे हो ?"
दोस्त की सारी बात बताई उसे तो वह तमक कर खड़ी हो गई " मिल गई तो क्या करोगे । "
ये तब तक नहीं सोचा था वाकई में ।
"कभी मुझे देखा है क्या पता मैं ही होऊं वो ", बोलते हुए इतराई वह ।
गौर से देखने की कोशिश की उसे। उसने शायद मेरी आँखों में उलझन देख ली। धम्म से बैठती हुई बोली " छोड़ यार , जिनके पास दिल है ये उनकी आफत है । "
मैं हड़बड़ा उठा " तो क्या मेरे पास दिल नहीं है ? "
"तुम्हारे पास सिर्फ दिल का हार्डवेयर है सॉफ्टवेयर बिना यूजलेस है ऐसा दिल ",कहकर उसने नजरें दूसरी तरफ कर ली ।
एक नीरवता सी छा गई अचानक से , जिनमें दो आवाजें खलल डालने की पुरजोर कोशिश कर रही थी । एक बगल के प्राइमरी स्कूल में ,समवेत स्वर में पढ़ा जा रहा तेरह का पहाड़ा , तेरा का तेरा , तेरा दूनी छब्बीस ।
दूसरा हमारी घड़कनों की धक धक ।
प्रेम शायद कोई जंगली फूल है बेमौसम खिलजाने में ही उसकी सुंदरता है ।