kumar gourav

Drama Inspirational

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kumar gourav

Drama Inspirational

फार्मूला

फार्मूला

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स्टाफ रूम में सब हीही खीखी कर रहे हैं। गणित वाले मोहनबाबू के पिताजी की शादी है । निमंत्रण पत्र आया है।


मोहनबाबू इस सरकारी हाईस्कूल में गणित के शिक्षक हैं और यहीं इसी कस्बे में सपरिवार रहते हैं। उनके पिताजी चार साल पहले रिटायर हो चुके हैं अब गाँव में ही रहते हैं। माँ का देहांत बचपन में ही हो गया था। 


लज्जा और क्रोध से भरे मोहनबाबू कुर्सी लेकर बरामदे में अलग बैठे हेडमास्टर के पास जाकर बैठ गये। 


नौवीं कक्षा का एक छात्र किताब लेकर पहुंच गया " सर देखिए न इ माँ बहन वाला सवाल नहीं हल हो रहा है।"

उन्होंने उसे झिड़क दिया " नहीं हल हो रहा है तो जो हल हो रहा है उसको हल करो। जाओ, मेरा दिमाग मत चाटो।" 


छात्र सहम गया। हेडसर से उसे बुलाया "इधर आओ बेटा बोलो क्या सवाल है। "

" जी , राहुल के माँ की बहन की माँ की बहन की बेटी राहुल की क्या लगेगी?" 

हेडसर मुस्कुराये " ये बड़ा आसान है। राहुल की जगह खुद को रखो और तब हल करो।"

छात्र हल करने लगा , मेरी माँ की बहन यानि मौसी , मौसी की माँ यानि नानी , नानी की बहन यानि उसे भी नानी ही कहेंगे तब उसकी बेटी यानि मौसी ।

छात्र खुश हुआ "मौसी लगेगी सर ,मौसी। ये तो बहुत आसान है सर ऐसे की कुछ और फार्मूला बता दीजिए की मैं क्लास में फर्स्ट आ जाऊँ।"

हेडसर हँसे " हाँ मौसी लेकिन तुम्हारी नहीं राहुल की मौसी लगेगी। "

छात्र झेंप गया और किताब समेटते हुए वापस मुड़ गया। 

मोहनबाबू ने उठकर हेडसर का हाथ पकड़ लिया और थैक्यूं कहा तो हेडसर चौके "आप क्यों थैंक्यू कह रहे हैं।"

मोहनबाबू ने हाथ जोड़ लिया "फार्मूला बताने के लिए सर, जब खुद को बाबूजी की जगह रखकर सोचा तो मुझे भी हल मिल गया।"


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