औजार
औजार
एक लोहार था। हथियार बनाने में निपुण। एक बार राजा ने मुनादी करवाई पड़ोसी देश हम पर कब्जा करना चाहते हैं कभी भी युद्ध की स्थिति आ सकती है। इसलिए सभी लोहार भाला बरछी तलवार वगैरह बनाकर राजा को सौंप दें इसके लिए उन्हें उचित पारिश्रमिक दिया जाएगा।
लोहार बड़े उत्साह से अपनी कुल जमा पूंजी लगाकर बेहतरीन तलवारें बना राजा के पास लेकर गया तब दरबारियों ने बताया इसे जमा कर दो जब ये उपयोग में आ जाएंगी तब तुम्हें इसका पारिश्रमिक प्राप्त हो जाएगा।
निराश लोहार घर पहुंचा। अब उसके पास पूंजी नहीं थी जिससे वह कुछ बनाकर बेच सके। बचे हुए लोहे के टुकड़ों को पिघला कर उसने जैसे तैसे एक दरांती बनाई और उसे लेकर बाजार पहुंचा। सिर्फ एक दरांती होने के कारण उसकी तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया।
तभी एक किसान की नजर उसपर पड़ी उसने उसे दरांती के बदले तीन छटांक अनाज देने का प्रस्ताव रखा।
लोहार सोच में पड़ गया। उसे सोचता देख किसान बोला अगर तुम्हें तीन छटांक कम लग रहा हो तब मैं तुम्हें सेर भर अनाज दे सकता हूँ।
लोहार ने अपनी व्यथा बताई नहीं ये बात नहीं है तीन छटांक अनाज इसका उचित मूल्य है। तीन छटांक अनाज मेरे परिवार के एक पहर के भोजन के लिए पर्याप्त है। परंतु मेरी समस्या ये है कि मेरे पास अब लोहा नहीं है। कल से मैं क्या करूंगा। मुझे कोई दूसरा काम भी तो नहीं आता।
किसान ने उसके कंधे पर हाथ रखा मेरे पिता एक सैनिक थे मेरे पास उनकी कुछ चीजें हैं जैसे जिरह बख्तर और कुछ पुराने जंग लगे हथियार भी। तुम चाहो तो मैं तुम्हें वह दे सकता हूँ। परंतु उसके बदले तुम्हें मुझे दो दरांतियां और बनाकर देनी पड़ेगी।
लोहार उसके पिछे चल दिया। किसान के घर पहुंचकर वह हैरान रह गया। दो दरांतियों के बदले किसान जो लोहा दे रहा था वह उसकी कुल पूंजी से करीब करीब दोगुना था।
अपनी खुशी छिपाते हुए उसने किसान से कहा अगर तुम ये सारा लोहा मेरे घर तक पहुंचाने में मेरी मदद करो तो मैं तुम्हारे हल की मरम्मत कर दूंगा। किसान तैयार हो गया।
किसान ने लोहा अपनी बैलगाड़ी पर लादकर उसके घर पहुंचा दिया। उसने भी किसान के हल की मरम्मत कर दी। समय बीता बारिश अच्छी होने के कारण खेती अच्छी हुई उधर युद्ध भी टल गया। राजा को खूब राजस्व प्राप्त हुआ। उसने सभी लोहारो को उनके हथियारों के पारिश्रमिक का भुगतान करने का ऐलान किया।
लोहार जब पारिश्रमिक लेने पहुंचा तब दरबारियों ने बताया उसका दिया हुआ हथियार गुणवत्तापूर्ण नहीं था। थोड़े समय में ही उसे जंग लग गया। इसके बदले उसे दस आने ही मिल सकते हैं।
लोहार क्रोधित हुआ हथियार को इस्तेमाल न करो तो जंग तो लगेगा। लेकिन दरबारियों के आगे उसकी एक न चली। वह दस आने लेकर गुस्से में लौट गया। रास्ते में उसे वही किसान मिला। किसान ने खुशी से बताया उसके बनाये गये औजारों से खेती में बहुत आसानी हुई। फसल भी खूब उपजी अतः वह उसे उपहार देना चाहता है। किसान ने उसे बोरी भर अनाज दिया। अनाज की बोरी सर पर रखे लौटते हुए वह सोच रहा था जंग तो उसकी बुद्धि को लगा हुआ था जिसके कारण वह औजारों के बदले हथियार बना रहा था।