Vinay Panda

Romance Tragedy

1.0  

Vinay Panda

Romance Tragedy

प्यार मेरा जिन्दा है !

प्यार मेरा जिन्दा है !

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470


उम्र रही होगी कोई यही 17-18 साल, उमंग पढ़ाई की थी ! अचानक उससे मुलाक़ात क्या हुई, वह तो मेरा दिल ले उड़ी..

1992 राजकीय क्वींस कालेज का वह पुराना हास्टल, बाहर खिड़की के पास काशी चाचा की चाय और बिस्कुट की दुकान पैसा पास नहीं होने पर भी सब मिल जाता था। शाम के चार बजे थे कि साइकिल से वह मेरे पास पहुंची। जान पहचान मेरी पहले की थी बस दोस्तों की नजर में नयी.. चाय पिये सब साथ धीरे से वह कान में कुछ बोली..कल बुआ के घर शादी है हम आपको लेने आयी हूँ..बात से उसके यार चाँद-तारे सब मारे ख़ुशी दिखने लगा। कुछ देर ठहरी फिर ओझल हो गयी.. फिर क्या दोस्तों की खिंचाई वाह भाई बड़े छुपे रुस्तम आप निकले.. इंतज़ार के पल गुजरते रहे दूसरे दिन शाम के 6 बज चुके थे मगर कोई लेने मुझे आया नहीं..

दिल उदास मन में मायूसी छाती चली जा रही थी कि अचानक एक साइकल आकर सामने रुकी..

हमीं से जब उसने मेरा पता पूछा एक करेंट सा दिल को झटका लगा जल्दी-जल्दी सबको चाय पिलाये और साथ उसके चलते बनें.. उस घर में हम अनजान थे सिर्फ उसके सिवा ..बीच-बीच में जब कभी पास आती एक दिलाशा देकर चली जाती थी..सारी रात मैं उसका नींद भरी आँखों से इंतज़ार करता रहा मगर पास मेरे वह आयी नहीं...डर कहिये इसे या उसका संकोच बुलाकर सिर्फ वह रातभर जगायी हमें ! भोर में ही हम भी गुरेज भरे कदमों से हास्टल वापस आ गये..

2 वर्ष गुजर गये पढ़ाई पूरी करके हम अपने गृह जनपद आ गये.. कुछ वर्षों बाद उसकी शादी हो गयी दिल मेरा भी टूटता गया उससे..!8-10 साल शादी के हुये थे उसकी बेचारी हँस खेल पायी नहीं वह विधवा हो गयी..इधर लम्बे अंतराल के बीच मेरी भी शादी हो गयी वो अपने में हम अपने जीवन में उलझते चले गये..!

आज भी कभी जब बात होती है थोड़ा दिल बहल जाता है उसका हम भी बीबी के चोरी महीनें में एक दो बार हाल समाचार ले ही लेता हूँ..!

हक वो आज भी जताती है मगर एक दोस्त की हैसियत से ..अभी जिन्दा है मेरा प्यार उसके दिल में ..पर उसकी परिस्थिति पर बड़ा दुःख होता है, सुनकर आवाज उसकी यारों दिल आज भी मेरा भर आता है ! ईश्वर से मन मेरा मांगता है रोज एक दुआ उसके सुखी जीवन के लिए...!


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