प्यार में पागल और जिम्मेवारी का एहसास सही फैसला
प्यार में पागल और जिम्मेवारी का एहसास सही फैसला
निशा एक साधारण, मध्यमवर्गीय परिवार की प्यारी बेटी थी। उसके परिवार में उसकी मां, पिता और छोटी बहन नेहा थीं।
निशा कॉलेज में पढ़ती थी और अपनी पढ़ाई और दोस्तों के साथ समय बिताना उसकी दिनचर्या थी।
उसके परिवार का प्यार और उसके साथ बिताए हुए पल उसकी जिंदगी का सबसे अनमोल हिस्सा थे।
लेकिन जिंदगी में अचानक कुछ ऐसा हुआ, जिसने उसके दिल को दुविधा में डाल दिया।
कॉलेज में उसकी मुलाकात रोहित से हुई।
रोहित तेज-तर्रार, स्मार्ट और बेहद आकर्षक था।
निशा को उसकी बातों और व्यवहार ने बहुत प्रभावित किया, और धीरे-धीरे वह उसके साथ ज्यादा वक्त बिताने लगी। रोहित का नजरिया अलग था; वह खुले विचारों का था और दुनिया को नए तरीके से देखता था। निशा को यह बहुत अच्छा लगा।
जल्द ही दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई, और यह दोस्ती प्यार में बदल गई।
रोहित और निशा का प्यार धीरे-धीरे इतना बढ़ गया कि रोहित ने उसे शादी करने और भागने का प्रस्ताव दे दिया। रोहित उसे यकीन दिलाता कि वे अगर भागकर शादी कर लेंगे, तो उनकी जिंदगी किसी सपने से कम नहीं होगी।
निशा के दिल में प्रेम की दीवानगी छा गई, और वह इस विचार में खोने लगी। उसे लगने लगा कि अगर वह रोहित के साथ चली जाती है, तो उसकी जिंदगी खुशहाल और रोमांचक हो जाएगी।
वह अपनी अधूरी पढ़ाई की भी चिंता नहीं करती है। रोहित ने उसे कहा होता है तू घर से पैसे और गहने चुराकर के साथ लेकर आना।
दिन तय करते हैं की किस दिन भागना है
एक रात, निशा और रोहित ने तय किया कि वे अगली सुबह भाग जाएंगे। निशा ने अपने कपड़े और जरूरी सामान मां के सारे गहने और ₹20000 रू चुपके से पैक कर लिया।
वह इस ख्याल में खोई रही कि जल्द ही वह रोहित के साथ एक नई दुनिया में होगी, जहां कोई बंदिशें नहीं होंगी, कोई सवाल नहीं पूछे जाएंगे।
रात में, जब निशा सो रही थी, उसे एक अजीब सपना आया। उसने देखा कि उसकी मां रो रही है, उसके पिता गुस्से में हैं और नेहा, उसकी छोटी बहन, उसे पुकार रही है। उसकी मां सपने में उससे कह रही थीं, "बेटी, हमसे दूर मत जा। हमारा क्या होगा? तू ही हमारी दुनिया है।" निशा का दिल धड़क उठा, और वह सपने से हड़बड़ाकर उठ गई।
उसका दिल तेजी से धड़क रहा था, और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे।
वह बिस्तर पर बैठकर सोचने लगी। उसका मन भारी हो गया था। उसे अपने मां-पिता और बहन की याद आने लगी।
उसे उनका प्यार से रखना छोटी बहन का आगे पीछे घूमना और बचपन से अभी तक का सारा समय उसकी आंखों के सामने घूम गया।
उसने खुद से सवाल किया, "क्या मैं सच में अपने परिवार को छोड़ सकती हूं? जिन्होंने मुझे इतने प्यार से पाला, उनका क्या होगा?" उसे महसूस हुआ कि वह केवल एक क्षणिक आवेग में आकर इतना बड़ा कदम उठाने जा रही थी।
उसके परिवार का प्यार, उनकी देखभाल, नेहा का निशा के बिना अधूरा होना, सब उसकी आंखों के सामने घूमने लगा।
सुबह का सूरज निकलने से पहले ही निशा ने एक कठोर निर्णय लिया।
उसने तय किया कि वह रोहित के साथ नहीं भागेगी। निशा ने रोहित को एक पत्र लिखा। उस पत्र में उसने साफ शब्दों में कहा:
"प्रिय रोहित,
मुझे तुमसे बहुत प्यार है, लेकिन यह प्यार मेरे परिवार की जिम्मेदारी से बड़ा नहीं हो सकता। मैंने रात भर सोचा और मुझे समझ में आ गया है कि मैं अपने मां-पिता और बहन को छोड़कर नहीं जा सकती। वे मेरी दुनिया हैं, और मैं उनके बिना अधूरी हूं। हम जो कर रहे हैं, वह सही नहीं है। प्रेम में भाग जाना सच्चाई से मुंह मोड़ने जैसा है, लेकिन सच्चा प्रेम जिम्मेदारियों को समझने में है। तुम भी समझने की कोशिश करो और सही रास्ता चुनो। मैं अपने परिवार से दूर नहीं जा सकती, न अब, न कभी।"
अभी तो हमारी पढ़ाई भी अधूरी है₹20000 और गहने
यह खत्म हो जाएंगे फिर क्या हमको नौकरी कहां मिलेगी।
हमको क्या हक है कि हम हमारे मां-बाप को बदनाम करें जिन्होंने हमको पाल पोस कर इतना प्यार से बड़ा किया है
इसकी जगह हमेशा क्यों नायह करें।
अभी अच्छी तरह पढ़ाई करके और समय आने पर अपने मां-बाप को बताएं और वह हमारी शादी तय करें ।
और हमको सच्चे प्यार का भागीदार बनाएं।
उसने पत्र को मेल कर
अपने कमरे के दरवाजे को खोला, तो उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे।
उसकी मां उसे देखकर चौंक गईं, लेकिन कुछ नहीं बोलीं। निशा दौड़कर अपनी मां के गले लग गई और जोर-जोर से रोने लगी। उसकी मां ने उसे गले लगाकर प्यार से सहलाया। निशा ने अपनी बहन नेहा को भी गले लगाया और उसे कभी न छोड़ने का वादा किया।
उस दिन निशा ने समझ लिया था कि सच्चा प्रेम केवल किसी के साथ भागने में नहीं, बल्कि अपनी जिम्मेदारियों को समझने और निभाने में है। उसने अपने परिवार को चुना, जिसने उसे जन्म दिया और पाला।
निशा का यह निर्णय उसकी जिंदगी का सबसे सही निर्णय था
निशा को यह एहसास हो गया कि सच्चा प्रेम केवल किसी को पाने में नहीं, बल्कि अपने कर्तव्यों और परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने में है। परिवार का प्यार कभी भी किसी क्षणिक भावुकता से बड़ा होता है, और निशा ने इस सच्चाई को समझकर एक नई राह चुनी।
उधर रोहन को तो ऐसा लगा जैसे हाथ में आया हुआ खजाना हाथ से छूट गया हो उसने निशा को बहुत फोन करें उसकी इच्छा यह थी उसके साथ थोड़े दिन मौज मस्ती करे, और फिर उसको छोड़ दे पैसे खत्म हो और उसको छोड़ दे। उसका यह प्लान कामयाब नहीं हुआ और वह हाथ मलता रह गया।
उसने फोन पर निशा को बहुत समझाने की कोशिश करी मगर निशा ने मना कर दिया
निशा बहुत बड़े धोखे से बच गई। सही समय पर सही विचार आया
काश घर से भागने से पहले हर लड़का लड़की यह विचारे अपने परिवार के बारे में भी विचार कर अपना निर्णय लेते ज्यादा अच्छा है।