प्यार की तड़प
प्यार की तड़प
हमारी दुकान के करीब रहने वाली सलोनी को में दिलोजान से चाहने लगा था। उसके बगैर एक पल भी जीना मुझे गवारा न था। आए दिन वह मेरी दुकान में आती रहती थी लेकिन मैं उसे कभी अपने दिल की बात कह नहीं पाया था। लेकिन आज मैंने सलोनी को मेरे दिल की बात कहने का फैसला कर लिया था।
मेरे इस फैसले से मैं बेहद खुश था लेकिन कुदरत को मानो यह मंजूर नहीं था। अचानक उस दोपहर को मेरे सीने में तेज दर्द हुआ। पीड़ा से छटपटाटे हुए मैं वही पर बेहोश हो गया। तकरीबन शाम को पांच बजे मुझे होश आया तब मैंने अपने आप को एक होस्पिटल में पाया! वहाँ मौजूद नर्स ने बताया की मेरी दुकान के अड़ोस पड़ोस के कुछ दुकानदार मुझे बेहोशी की हालत में यहाँ लेकर आए थे। जब डॉक्टर वहाँ आए तब मैंने उनसे पूछा, “मुझे क्या हुआ है डॉक्टर?”
डॉक्टर ने कहा, “सौरवजी, आपके रिपोर्ट देखकर मैं इतना ही कह सकता हूँ कि आप अब चंद घंटों के मेहमान हैं । फिर भी हम आपको बचाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं ।“
यह सुनकर मेरा दिमाग सुन्न हो गया। डॉक्टर ने आगे जो कुछ भी कहा वह मैं समझ ही नहीं पाया। मेरे दिमाग में बस एक ही बात घूमने लगी, “मेरे पास अब सिर्फ चंद घंटे बचे हैं.... चंद घंटे...”
मैं बोला, “डॉक्टर, मेरे जीवन के यह आखरी घंटे मैं इस होस्पिटल में बिताना नहीं चाहता। मैं इन अंतिम घड़ियों को जी भरकर जीना चाहता हूँ।“
डॉक्टर ने मुझे रोकने की बहुत कोशिश की मगर मैं माना नहीं।
मैं सलोनी से एक बार मिलकर उसके दिल की बात जानना चाहता था। क्या वह भी मुझे मोहब्बत करती थी या फिर यह मेरा एक तरफा प्यार था? मेरे इन सवालों के जवाब जाने बिना मुझे मौत को गले लगाना कतई मंजूर नहीं था।
मैंने अपनी कलाई पर बंधी घड़ी में देखा।
उसमें वक्त मानो तेजी से दौड़ रहा था।
मेरे लिए अब एक एक मिनट कीमती थी।
“हे ईश्वर! मुझे अपनी सलोनी से जल्द मिलने दो... उफ़! अभी गुजर जाएंगे यह अनमोल चंद घंटे।“
*****
मैं जैसे तैसे खुद को सँभालते हुए सलोनी के घर पहुँचा तो उसके घर के दरवाजे पर ताला लगा था!
मायूस होकर मैं वहाँ से लौट ही रहा था तभी सलोनी के पड़ोसी ने कहा, “इस परिवार के साथ बहुत बुरा हुआ।“
मैंने हैरत से पूछा, “क्यों क्या हुआ?”
पड़ोसी बोला, “आपको नहीं पता? तीर्थयात्रा पर गया हुआ सलोनी का पूरा परिवार आज दोपहर को वहाँ आए हुए बाढ़ में बह गया।“
मैंने चीखकर पूछा, “और सलोनी???”
पड़ोसी ने कहा, “वह भी नहीं बची...”
मेरे पैरो तले की जमीन खिसक गई।
यकीनन इसलिए आज दोपहर को मेरे सीने में तेज दर्द हुआ था।
मैं सदमे से वहीं घुटनों के बल बैठ गया।
मैंने अपनी कलाई पर बंधी घड़ी में देखा।
उसमें वक्त मानो थम सा गया था।
मेरे लिए अब एक एक मिनट सदियों जैसा था।
“हे ईश्वर! मुझे अपनी सलोनी से जल्द मिला दो... उफ़! कब गुजरेंगे यह मनहूस चंद घंटे!“
सौरव की आँखों से बहते आँसुओं के साथ बहने लगे उसके जीवन के बचे खुचे वे चंद घंटे।