Prashant Subhashchandra Salunke

Fantasy Inspirational Children

4  

Prashant Subhashchandra Salunke

Fantasy Inspirational Children

जान है तो जहान है

जान है तो जहान है

3 mins
328


बहुत पुरानी बात है किसी गाँव मे एक किसान रहता था। उन दिनों गाँव पर मुसीबतो का पहाड़ टूट पड़ा था। गाँव मे सुखा पड़ा था। लोगों को पीने के पानी के लिए भी लाले पड़ गए थे। धरती बंजर हो गई थी। और आसमान से बारिश गिरने के कोई भी आसार नजर नही आ रहे थे।

ऐसी परीस्थिती मे गाँव वालोने गाँव छोड़कर कही दूर जहाँ पानी मिले ऐसी जगह जाने का तय किया। सभी लोग गाँव छोड़ने की तैयारी करने लगे पर बस वह बूढ़ा किसान गाँव छोड़ने के लिए तैयार नही था। सभीने उसे बहुत समझाया पर वह बूढ़ा एक ही बात पर अड़ा रहा "जैसे अच्छे दिन आकर चले गए वैसे ही यह बुरे दिन भी चले जाएंगे। मे यह गाँव छोड़कर कही नही जाऊंगा।"

गाँव वाले भी क्या करते? आखिरकार सबने अपने अपने सामन को बेलगाड़ी मे लादकर पानी की तलाश मे निकल पड़े। रास्ते मे बहुत बड़ा तूफान आया। उड़ती धूल और तपती धरती मे वे बेबस लाचारों की तरह अपने सामान को तितर बीतर होता देखते रहे।

एक गाँववाला बोला " उस बूढ़े की बात मान ली होती तो अच्छा होता।“

इस पर मुखिया बोला " जान है तो जहान है। सब लोग जो सामान मिले उसे अपनी बेलगाड़ी मे डाले सही स्थान पर पहुँचकर हम अपने अपने सामान का बटवारा कर लेंगे।

सभी ने कुछ मिनटो मे सामान को बटोर लिया अब वे फिर अपनी मुसाफिरी पर निकल पड़े कई दिनों की लंबी मुसाफिरी के बाद वे एक झील के किनारे पहुँचे। सबने पहले पेट और मन भर के पानी पिया। और फिर तम्बू लगाये गए। अब वे उस जगह पर आराम से रहने लगे। कुछ महीनो बाद मुखिया बोले "अब शायद हमारे गाँव मे बारिश हुई होगी मे कुछ लोगों के साथ जाकर गाँव की स्थिति देखता हुं अगर सब सही हुआ तो हम तुम्हे भी वहां बुलालेंगे और अगर अभी तक वहाँ अकाल होगा तो....”

एक किसान : “तो......”

मुखिया : “तो इसबार किसीभी तरह उस बूढ़े बाबा को हम यहाँ बुला लेंगे।”

मुखिया के साथ कुछ लोग गाँव की और लौट पड़े। गाँव जाकर उन्होंने देखा हर तरफ हरियाली थी। कुए पानी से भरे थे। उन्होंने बूढ़े बाबा की तलाश की पर वे नही दिखे। एक युवान हाफता हाफता आया और बोला " मुखियाजी मुखियाजी गाँव के पेड़ के पास एक इंसानी कंकाल पड़ा है"

सभी लोग वहाँ गए। जिस पेड़ के नीचे कंकाल पड़ा था उस पेड़ पर लिखा था "बुजदिलो मरते दम तक मैने गाँव नही छोड़ा।"

सभीने मुखिया की और देखा। मुखिया बोले "अगर हम भी गाँव नही छोड़ते तो हमारे भी कंकाल यहाँ वहाँ पड़े होते। परीस्थिती को समझना बेहद जरूरी है। परीस्थिती से लाचार होने के बावजूद वही मोत आने तक डटे रहना समझदारी नही है। हम बुजदिल नही क्योंकी हम परीस्थिती को परख कर सिर्फ कुछ वक्त के लिए पीछे हटे और पीछे हटने के लिए भी हमे संघर्ष करना पड़ा। बूढ़े बाबा उस संघर्ष से डर गए। और यहाँ ही पड़े रहकर संघर्ष करना उन्हें आसान लगा...नतीजा आज हम सब इस गाँव मे मौजूद है और वे.......

आगे का वाक्य मुखिया पूरा न कर आँख मे आए पानी को पोंछते वे बोले "जंग मर कर नही जीती जाती।"


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Fantasy