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Lokanath Rath

Romance

3  

Lokanath Rath

Romance

प्यार की जीत ...............

प्यार की जीत ...............

6 mins
262


आज प्रताप और सुकांति अपनी जिंदगी में खुश है .उनका बीटा श्रीकांत अभी दसवीं कक्षा में पढ़ रहा है .सूबे सूबे सुकांति चाय के साथ आकर प्रताप के पास बैठ गयी और एक प्याला चाय प्रताप को बढ़ाते हुए थोड़ा सा मुस्कुराते हुए बोली ,'' याद है तुम्हे हमारे वो दिन जब हम दोनों भी दसवीं कक्षा में थे और मिले थे ?''चाय के प्याला सुकांति के हात से लेते हुए प्रताप ने भी थोड़ा मुस्कुराये और बोले ,''हाँ सब कुछ याद है .मेरा मरते दम तक भूलूंगा नहीं .जिंदगी का वो सफर मेरे लिए एक मजेदार,संघर्ष और कठिन सफर था ''.

प्रताप दास एक निजी कंपनी में मैनेजर की नौकरी कर रहे हैं और उनका भी एक छोटा ब्यबसाय है .सुकांति उनकी पत्नी एक निजी स्कुल में टीचर की नौकरी कर रही है .उनका एक ही औलाद है नाम श्रीकांत . प्रताप जब आठवीं कक्षा में था तब उसके पिता जी का निधन हो गया था .प्रताप सबसे बड़ा लड़का था और उसके एक छोटी बहन और एक छोटा भाई भी थे .भाई छटवी में और बहन तीसरी कह्या में थे. उसके माँ ममता देवी एक गृहिणी थी .पीताजहि का निधन के बाद कैसे घर चलेगा और सबकी पढाई लिखाई होगा ,इसको लेके ममता देवी बहुत चिंतित थे .प्रताप भी बहुत चिंतित था .पिताजी जब थे उस समय प्रताप उनकी एक बुलेट मोटर बाइक चलना सिख लिया था .उम्र नहीं हुआ था तो ड्राइविंग लाइसेंस नहीं लिया था .जैसे तैसे करके पिताजी का पेनसन पैसे में घर चलने लगा .प्रताप दसवीं कक्षा में गया .तब प्रताप ने अपने माँ के नाम से बैंक से कर्जे ले कर एक ऑटो रिक्शा लिया .उसको भाड़े में लगा दिया .रोज सूबे और साम जाके ड्राइवर से हिसाब लेता था और आमदनी लाकर बैंक के कर्जे भरता था और कुछ पैसे घर की काम में लगता था .ये उसके माँ के लिए एक सहायता की कदम था .फिर दसवीं में पास करने के लिए उसको ट्यूशन जाना पड़ा .माँ ममता देवी चाहते थे की प्रताप पढाई करके कुछ काम करने लगेगा तो बाकी दो बचो के लिए थोड़ा ठीक से देख भल करने को मौका मिलेगा .वह टूशन क्लास में प्रताप के साथ सुकांति का मुलाकात हई और दोस्ती भी हो गई .प्रताप कभी कभी टूशन में थोड़ा देरी से पहुँचता था .एक दिन सुकांति ने उसे उसके कारन पूछा तो प्रताप सब कुछ बोल दिया .ये सुनके सुकांति के आँखों से आंसू बहने लगे .वो अपने आपको संभाल नहीं पायी .शायद उसको प्रताप से प्यार होने लगा था .इधर पैसो की कमी के लिए प्रताप ने सुकांति को बोलै की अगले मैंने से वो टूशन नहीं आपायेगा. सुकांति ने उसको बोली ,''देखो बुरा नहीं मान ना ,तुम टूशन में आयो और में तुम्हारा फीस भर दूंगी .मुझे जो रोज की खर्चे का पैसा मिलता है उससे वो हो जायेगा .तुमको ठीक से दसवीं पास करना है खुद के लिए और अपनी परिवार के लिए .मुझे मना मत करना .'' ये सुनके प्रताप कुछ कहे नहीं पाया ,शायद उसको भी सुकांति से प्यार हो गया था . फिर वैसा ही हुआ . दसवीं की परिख्या में दोनों प्रताप और सुकांति पास कर गए .सुकांति के घरवाले थोड़े अचे पैसेवाले थे .उन्होंने सुकांति को वही सहर में कालेज में दाखिला करवाए .प्रताप थोड़ी दूर एक कालेज में पढ़ने लगा .सयाद ये उपरवाले का इरादा था .प्रताप के कालेज जहाँ था वो एक बहुत बड़ा सब्ज़ियों की मंडी थी .प्रताप पढ़ते पढ़ते वहां से सब्जिया लाके दूर के जगा को भेजने लगा .इस ब्यबसाय में उसको थोड़ा ज्यादा कमाई होने लगा .उसने अपनी छोटे भाई और बहन को टूशन कराने लगा ,टा की वो लोग अचे पढ़ लिख जाये .ममता देवी ये देख के बहुत खुस होते थे की इस उम्र में भी प्रताप घर की जिम्मेदारी उठाने उनकी साथ दे रहा है .प्रताप का अपने भाई बहन के लिए प्यार देख के वो बहुत खुस हुआ करते थे .देखते देखते प्रताप १२ पास कर लिया और सुकांति भी .दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करने लगे और चुपके चुपके मिला करते थे .सुकांति ने सदा प्रताप को घर के और सबकी ख्याल रखने का सलहा दिया करती थी .

देखते देखते प्रताप के भाई रमेश ने दसवीं पास कर लिया और उस सहर की अछि कालेज में पढ़ने लगा .इस बिच प्रताप ने और एक ऑटो रिक्शा ले लिया था .इस ब्यबसाय में उसका आमदनी बढ़ने लगा था . फिर प्रताप ने ग्रेजुएशन कर लिया और सुकांति भी .सुकांति ग्रेजुएशन के बाद टीचर के लिए ट्रेनिंग लेने लगी और प्रताप नौकरी ढूंढ़ने लगा .प्रताप का दोनों ब्यबसाया ाचा चलत्ता था .एक साल के बाद प्रताप को एक निजी कंपनी में नौकरी मिल गया .बहुत बड़ी कम्पनी था .उसको मैंने में अच्छा तन्खा मिलने लगा .धीरे धीरे उसने सब्जी का ब्यबसाय बंद करदिया .रमेश अचे रिजल्ट के साथ १२ पास किया और प्रताप ने उसको इंजिनीरिंग में दाखिला करवा दिया .ममता देवी ने प्रताप का ये सहस देख के पूछे ,''बीटा इतना खर्चे तुम कैसे कर पायोगे?'' प्रताप ने उत्तर दिया ,''माँ मुझे रमेश और नलिनी (छोटी बहन ) को खुस देखना है .उन्हें ये नहीं लग्न चाहिए की पिताजी नहीं है .में तो हूँ ना ." ये सुन के ममता देवी रोने लगे और बोले ,''अब तू बड़ा हो गया । तेरी शादी करने के बाद में गांव चली जाउंगी और तुम इनको संभालोगे ." पहले प्रताप ना कर रहा था .पर जब सुकांति से बात किया और उससे सलहा करने के बाद वो अपनी माँ को सुकांति के बारे में सब बता दिया .ममता देवी भी बहुत खुश हो गए कि सुकांति पहले से उनकी घर की बहु की काम कर रही थी ,उन्होंने सुकांति के माता पिता से बात किये और दोनों का शादी हो गया .शादी के बाद सुकांति एक निजी स्कुल में टीचर की नौकरी करने लगी .इधर नलिनी भी ग्रेजुएशन ख़तम की और रमेश इंजीनियर बन गया .अब प्रताप और सुकांति नलिनी के लिए अचे रिश्ते देखे और ममता देवी के साथ बात करके बड़ी धूम धाम से उसकी शादी कर दिए .रमेश को एक अछि बड़ी निजी कंपनी में नौकरी मिल गया .उसने वहां अचे से काम किया .तब जा के प्रताप और सुकांति के गोद में श्रीकांत आया .ममता देवी अपनी पोते का नाम कारन के लिए अपनी पैसे से बहुत बड़ा पूजा किये और पार्टी भी दिए .श्रीकांत जब पहले स्कुल जाने लगा ,तब रमेश का भी शादी एक अच्छी लड़की से प्रताप ने करवा दिया .प्रताप ऑटो रिक्शा को बेच के नौकरी के साथ एक इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के बितरक बनगया .धीरे धीरे वो ब्यबसाय बढ़ने लगा और श्रीकांत भी बड़ा होने लगा .अब श्रीकांत दसवीं में है .ममता देवी उसका पूरा ख्याल रखते हैं .प्रताप और सुकांति के परिबार बड़े खुसी से दिन काट रहे हैं.

चाय ख़तम करते करते प्रताप ने सुकांति को बोला,''ये सब जो दिन हम पार कर लिए सुकांति ,सब ऊपरवाला और माँ के आशीर्वाद और प्यार के लिए .हाँ ये भी सच है की तुम्हारी प्यार मेरा सबसे बड़ा हिम्मत रहा और रहेगा भी .ये तो 'प्यार की जीत ' है .''



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