प्यार कभी नहीं होगा,अध्याय १
प्यार कभी नहीं होगा,अध्याय १
घर पर आखरी दिन जयवर्धन सिंह अपने घर एक कमरे में बैठा सोच रहा था कि अब जयपुर छोड़कर उसे मुंबई जाना होगा इसी ख्याल में डूबा हुआ था तभी उसकी मां उसके पास आई और बोली "बेटा अपने घर का हर लड़का मुंबई ही जाता है बीकॉम करने के बाद सी ए की तैयारी करने" मां और आगे और बोलती तभी जय बोला "जाना जरूरी है" तभी एक कड़क आवाज आती है जो उसके की पिता की थी हर्षवर्धन सिंह की "जाना ही होगा" हर्षवर्धन जो खुद एक सी ए थे । वह चाहते थे कि उनका बेटा उनके बाद उनका सारा काम संभाले ,जय अपने पिता से बात कहने से भी डरता था तभी उसके चाचा महेंद्र वर्धन से अभी वहां जाते हैं बड़े प्यार से जैसे बोलते हैं "तो वो जाए मुंबई तो जाना ही होगा क्योंकि तुम अपना बेस्ट देखकर ही सिए बन सकोगे" पर जय कहां सीए बनना चाहता था । उसको तो कॉमेडियन बनना था । अपने चाचा को जय "बोला ठीक है चाचा जी मैं मुंबई जाऊंगा" अगले दिन सांगानेर हवाई अड्डे से हवाई जहाज पकड़कर मुंबई हवाई अड्डे पर पहुंचा हवाई अड्डे से निकल कर सीधा बोलो लोकल की तरफ बढ़ा लोकल पकड़ने के बाद दादर की ओर निकला दादर पहुंच कर उसके मामा रघुवीर सिंह शेखावत के घर पहुंचा!
जय पहली बार मुंबई नहीं आया था अक्सर गर्मी की छुट्टियों में उसकी मां के साथ आया करता था उसे उसे पहले से ही पता था कि कहां से कहां जाना है । मामा के घर पहुंचने के बाद सारा सामान कमरे में रख कर बिस्तर पर लेट गया और सीधे अगले दिन ही वह उठा नींद से जागा मामा उसके सामने ही बैठे थे और मामा ने कहा जा नाहा ले चाय नाश्ता करले और दादर वाले सी ए कोचिंग सेंटर का एड्रेस हे वहां पर जाकर एडमिशन ले ले और क्लास ज्वाइन कर ले आज से लो ! और लोकल पकड़ कर ही जाना इतना बोलकर मामा वहां से चले गए और जय भी निकल गया घर से नीकल कर लोकल पकड़ कर सीधा दादर वाले सी ए कोचिंग सेंटर पहुंच गया एडमिशन ले लिया और क्लास ज्वाइन कर ली! जिस बेंच पर वह बैठा था उसी बेंच पर शिवानी भी बैठी थी दोनों का पहला दिन था! जय किसी को सोच में डूबा हुआ था तभी शिवानी ने चुटकी बजाए उसे नींद से उठाया और बोला मिस्टर ऐसे बनो कि सी ए जय बड़ी हैरानी से उसे देख रहा था कोन हे ये तभी शिवानी बोली "मेरा नाम शिवानी है मैं भी सीए करने आई हूं" जय उसे हैरानी से बस देखता ही रहा कौन है ये ?
