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Aditya Vardhan Gandhi

Drama Others

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Aditya Vardhan Gandhi

Drama Others

(भाग 3) सपना या हकीकत

(भाग 3) सपना या हकीकत

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घर पहुंचने के बाद उसकी बीवी ममता उसका भी दरवाजे पर इंतजार कर रही होती है। अपने पति विजय को देखकर ममता भागती हुई उसके पास जाती है। ममता जब उसके पास पहुंचती है। तब उसका चेहरा उदासी से भरा हुआ होता है। जिसे देखकर ममता बहुत सारे सवाल करती है।                      

ममता - विजय लाडो कहां है। और आप रो क्यों रहे हो मुझे कुछ बताओगे रवि तू तो बता आखिर क्या बात है बेटा मेरी बेटी कहां है तुम दोनों बताओ ना पुलिस वालों ने क्या कहा अरे तुम दोनों कुछ तो बोलो रोए जा रहे हो यार कब से  

 रवि - मां बात कुछ ऐसी है। जो मैं आपको बताऊंगा तो आप का दिल टूट जाएगा मैं कैसे बताऊं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा बात यह है कि हमारी लाडो कहीं गई नहीं है। उसने दूसरे जात के लड़के से शादी कर ली और पापा को किस बात का इतना धक्का लगा कि वह भी बेहोश हो चुके थे। जैसे तैसे करके वह होश में आए थे। लाडो एक बात नहीं सुनने को तैयार थी। पुलिस ने भी हमारी कोई मदद नहीं की इस बारे में इसलिए पापा को लेकर मैं घर आ गया   

ममता - बेटा तू मजाक कर रहा है ना मेरी बेटी ऐसा नहीं कर सकती वह तो अपने पापा की लाडो है। वैसा कैसे कर सकती है। चल मेरे साथ पुलिस स्टेशन मैं पुलिस वाले से बात करती हूं। मेरी बेटी कभी भी ऐसा नहीं कर सकती है।  

विजय - ममता मेरी बात सुनो तुम्हारा बेटा सब कुछ सच कह रहा है। जिस बेटे को मैं आज तक डांटता रहा जिसे ठीक से मैं बात भी नहीं करता वह बेटा मेरे साथ खड़ा है। मेरी वह लाडली बेटी जिसके लिए मैं दुनिया से लड़ता रहा मेरी उसी लाडली बेटी ने मेरा विश्वास तोड़ दिया मुझे कहीं का नहीं छोड़ा उसने अब मैं क्या मुंह दिखाऊंगा पूरी दुनिया को अपना मेरे लिए तो जीते जी नर्क बना दिया उसने इतना बोल कर विजय वहां से अपने कमरे की ओर चला जाता है।  

रवि - रवि अपने पिता को जाता देख उनके पीछे पीछे जाता है। क्योंकि वह शायद डर रहा था कि कहीं पिताजी आत्महत्या ना कर ले अपने पिता के पास जाकर बैठता है। और उन्हें खूब दिलासा देता है और कहता है। पापा मैं लेकर आऊंगा अपनी बहन को चाहे मुझे कितना भी संघर्ष ही क्यों न करना पड़े अपने पिता के पैरों से जूते निकालकर उन्हें बिस्तर पर सुला कर रवि कमरे से बाहर निकल जाता है।   

ममता - रवि को बाहर आता देख ममता उस से पूछती है। कैसे हैं तुम्हारे पिताजी हालात पहले से ठीक है या नहीं मेरी बेटी ऐसा नहीं कर सकती मुझे पूरा विश्वास है उसको बड़े लाड प्यार से हम ने पाला है अच्छी शिक्षा दी है। हमारी बेटी ऐसा नहीं कर सकती यह सब उस लड़के का खेल है। उसने हमारी बेटी को बहला कर फुसलाकर अपने साथ ले गया है। 

 रवि - नहीं वो अपनी मर्जी से गई है। उस लड़के का का दोष नहीं है। दोष हमारा भी है मां हमने हमारी घर की लड़की को हद से ज्यादा छूट दे दी जिसका उसने गलत फायदा उठाया और हमारी परिवार की इज्जत सरेआम बाजार में भी नीलम कर दी तभी रवि अपने पिता के कमरे में जाता है। सोता देख बड़े चैन से बैठ जाता है। अगली सुबह जब विजय अपने बिस्तर से उठता है। सबसे पहले नहा धोकर मंदिर जाने का सोचता है। जिसके बाद वह बाथरूम की ओर जाता है नहा धोकर मंदिर जाने के लिए तैयार होता है। और अपनी बेटी को आवाज देता है। लेकिन उसकी बेटी की आवाज ना सुन कर वह वापस कल वाले किस्से को याद करके फिर से रोने लगता है। अपने आंसुओं को साफ करके मंदिर जाने की ओर निकलता है। जब रास्ते में चलते हुए मंदिर पहुंची रहा था। तभी उस गली के बैठे हुए कुछ लोग उसकी बेटी के बारे में बात कर रहे थे। और विजय की बेटी ने तो उसकी इज्जत को ऐसे उड़ा दिया जैसे कोई मजाक हो दुनिया भर के ताने सुनकर जब घर लौटता है। तो उससे रहा नहीं जाता और अपने कमरे की ओर जल्दी से जाता है। और दरवाजा बंद करके फांसी का फंदा लगा देता है कि तभी अचानक विजय का सपना टूटता है। उसकी नींद खुलती है। वह पसीने से तरबतर हो चुका था। उसके पास उसकी बेटी बैठी थी। और वह कहती है क्या हुआ पापा आपने कौन सा भयानक सपना देखा जिससे आप इतना डर गए, तभी विजय अपनी बेटी को गले लगा कर कहता है। बेटा जिंदगी में तो ऐसा कोई काम मत करना जिससे तेरे बाप को जीते जी आत्महत्या करनी पड़े मेरा यह सपना जिंदगी में हकीकत ना बने तो ही अच्छा है। वरना दुनिया का कोई भी बात कभी भी अपनी बेटी पर विश्वास नहीं कर पाएगा।


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