Aditya Vardhan Gandhi

Abstract Children

4  

Aditya Vardhan Gandhi

Abstract Children

भाग 9.... नए दोस्त

भाग 9.... नए दोस्त

5 mins
204


अगली सुबह तीनों उठते हैं। तो देखते हैं.के रूम के दरवाजे के बाहर दिग्विजय पाटिल और जसविंदर बाहर खड़े होते है। वरदान के कोच उसे रूम के बाहर बुलाते हैं.और वरदान हात मुंह ढोकर उनके पास जाता है. जिसके बाद कोच और वरदान की बात चीत शुरू होती है।

कोच:- "सुनो वरदान मैं कुछ वक्त के लिए वापस दिल्ली जा रहा हूं। तुम अपना ख्याल रखना और मेरे आने तक कोई बदमाशी मत करना कि पिछली बार की तरह मुझे और दिग्विजय को स्कूल आना पड़े"                              

वारदान:- "इस बार मैं आपको कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगा पिछली बार मैंने गुस्से में आकर उसकी पिटाई कर दी थी। पर मैं ऐसा कभी नहीं चाहता था। कोशिश करूंगा कि नए दोस्त बना सकूं और अपने आप को स्कूल में एडजस्ट कर सकूं"                                                  

कोच- "ठीक है वरदान मैं कुछ दिनों के बाद वापस आ रहा हूं तब तक अपनी प्रैक्टिस जारी रखना और अपनी स्पीड और स्किल्स पर बेहतर काम करके मुझे बताना इतना बोलकर कोच अपना सामान लेकर वहां से जाने लगते हैं।                                                                

वारदान - "तभी वारदान बोलता है। कोच रुको मैं कुछ लाया हूं। अपके लिए और अपने लोकर की ओर चल देता है। और एक बोल लाकर अपने कोच देता है। और कहता है। ये वो बोल हे। जो मेरे पापा ने दी थी। ये आप अपने पास रख लो ये उनकी आखरी निशानी है। मेरे पास इतना बोलकर वो उनको बोल दे देता है। और कोच उसे रख लेते हैं। वाहा से चले जाते हैं। "                                                 

समय - "ओय वरदान तूने अपनी बोल कोच को दे दी वो तो तेरे पिताजी का आखरी तोफा है। और तूने कोच को दे दिया  वरदान- में नहीं चाहता हूं। की उस बोल को कोई खरोच भी आए इसीलिए मैंने अपनी बोल अपने कोच को दे दी अब मैं निश्चिंत होकर अपने खेल पर ध्यान दे सकता हूं। ईतना बोलकर वरदान नहाने चला गया"                              

जय- "ओए समय जल्दी कर तू भी नहाने के लिए जा स्कूल जाना है और शिवजी मैदान भी आज जाना है।" इतना बोल कर जय भी नाहाने चले जाते हैं।तीनो तेयार होकर रोज का काम करके स्कूल जाते हैं। और स्कूल जाते हैं। और अपनी कॉल्स में जाकर बैठ जाते हैं। तभी अचानक उन तीनो के पास विद्युत आता है।               

विद्युत -"वरदान यार माफ करना हम दोनों को हम अब तुम्हारे दोस्त बन सकते हैं।"

वरदान - "चलो ठीक है माफ किया लेकिन अगली बार किसी भी दादागिरी मत करना वरना ऐसी पिटाई करूंगा जिंदगी भर नहीं भूलेगा"

विद्युत - "ठीक है मेरे बाप आज के बाद नो मारपीट नो झगड़ा इतना बोल कर अपनी जेब से विद्युत तीनों के लिए चॉकलेट निकालता है ।और उनकी टेबल पर रख देता है।"

समय- "वाह बेटा विद्युत आज तक हमसे तो कभी बड़े प्यार से बात नहीं की वरदान के आने के बाद उसकी हाथ की मार खाने के बाद सुधर गया निशात - मुझे भी माफ कर देना पर मैं कुछ लाया नहीं हूं। बस दोस्ती का हाथ बढ़ाकर तुम तीनों के साथ इस स्कूल में रहना चाहता हूं।" तभी सुप्रिया पाठक पांचों के बीच में बोल पड़ती है। और कहती है। पांचों आखिरकार दोस्त बन गए

 वरदान - "यार तुम भी हम सबकी दोस्त हो तुम और वरदान और सभी हस्ते और चॉकलेट खाने लगते है।"सभी अपनी जगह पर जाकर बैठ जाते हैं। और आज का दिन बढ़िया गुजरा घर पहुंचने के बाद खूब मस्ती की और आज प्रैक्टिस करने भी नहीं गए उधर दिग्विजय पाटिल तीनो कोई मस्ती करता देख गुस्से में चिल्ला कर बोले टूर्नामेंट का आगाज होने वाला है और तुम तीनों मस्ती कर रहे हो तभी दिग्विजय पाटिल का बेटा उनसे बोलता है "पापा हम तीनों मस्ती इसलिए कर रहे हैं ताकि आने वाले टूर्नामेंट में किसी भी तरह का प्रेशर हमें नहीं लेना है।हमें हमारी स्किल्स अच्छे से मालूम है। इसीलिए सोचा कि आज थोड़ी मस्ती कर ली जाए."

समय की बात सुनकर दिग्विजय पाटील उसे कहते हैं "ठीक है बेटा आज मस्ती कर लो कल से प्रैक्टिस डबल और मेरा एक पुराना दोस्त आ रहा है। तुम तीनों को बॉलिंग की थोड़ी प्रैक्टिस करवाने वाला है। तुम तीनों तैयार रहना वह बहुत स्ट्रिक्ट है। वह भी यही देखने वाला कि तुम मेरे बेटे हो अगर तुमने गलती की तो पनिशमेंट देगा समय वरदान और जए बड़े ध्यान से दिग्विजय पार्टी की बात सुन रहे थे।" तभी वरदान कहता है "आप उसकी चिंता मत कीजिए हम उन्हें शिकायत का एक भी मौका नहीं देंगे विजय पाटिल कहते हैं मुझे तुमसे यही उम्मीद है कि तुम मुझे शिकायत का मौका नहीं दोगे तीनो अगर किसी एक की गलती से शिकायत आई तीनों को पनिशमेंट मिलेगी" इतना बोल कर दिग्विजय पाटिल वहां से चले जाते हैं। तभी वरदान कहता है। "लगता है अंकल बहुत नाराज है। इसीलिए हमें कल अच्छी प्रैक्टिस करनी होगी वरना टूर्नामेंट में हम बाहर हो जाएंगे पर हम नहीं चाहते कि ऐसा हो इस टूर्नामेंट के बाद एयरटेल चैंपियन लीग होने वाली है जो पूरे भारत की टीम में आएंगी स्कूल लेवल पर और वहां पर अगर हमने अपना अच्छा प्रदर्शन किया तो आने वाले टाइम में मुंबई रणजी टीम में खेल सकते हैं।" सारी बातों को कहने के बाद वरदान दोनों से कहता है "चलो खाना खा लेते हैं। और सोने की तैयारी करते हैं बहुत देर हो चुकी है।"

तीनों हाथ मुंह धो कर डाइनिंग हॉल में पहुंचते हैं और खाना खाना शुरू करते हैं। अपना खाना खत्म करके सोने की तैयारी करते हैं। लेकिन समय कहता है वरदान। मेरे पास एक लिस्ट है। जिसमें किस किस टीम को हमें हराना है। और किस किस प्लेयर को हमें आउट करना है। समय एक-एक करके सभी टीम के प्लेयर्स का नाम बताता है। जो आने वाले टूर्नामेंट में उनके लिए खतरा साबित हो सकता है। वरदान कहता है। हमें इनकी इनकी कमजोरियों पर ध्यान देना होगा किस तरह से खेलते हैं।किस तरह से यह गेंद को छोड़ते हैं। जय और समय वरदान की बात को बड़े ध्यान से सुनते हैं। तभी बीच में समय वरदान की बात को काटते हुए कहता है। कैप्टंसी मैं करूंगा लेकिन प्लानिंग तुम बताना सारी बातें खत्म होती है ।और तीनो दोस्त सो जाने की तैयारी करते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract