Aditya Vardhan Gandhi

Action Fantasy Inspirational

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Aditya Vardhan Gandhi

Action Fantasy Inspirational

भाग 6 बूलिस

भाग 6 बूलिस

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उन दोनों के जाने के बाद समय और जय वरदान के पास आते हैं। और बोलते हैं। चले रूम में तीनों रूम की जाने लगते हैं। रूम में पहुंचने के बाद वरदान दोनों से पूछता है। हमारी क्लास में कौन-कौन अच्छे हैं। और बुरे हैं। जय और समय एक साथ बोलते हैं। दो नमूने है। आपनी क्लास में निशांत और विद्युत ये है। जो बड़े गुड़ा गर्द्र वाला काम करते हैं। वो तो आज आए नहीं वरना तुझे हमे परेशान करने से पीछे नहीं रहते हैं। इतना बोल कर दोनों उसे गुड नाइट बोल कर सो जाते हैं। उन दोनों के सोने के बाद वरदान सोच में पड़ जाता है। कल कैसा गुजरेगा मेरा दिन अच्छा गुजरेगा या बुरा इसी सोच के साथ वह भी सो जाता है। अगली सुबह बड़े आराम से उठता है। उठने के बाद रोज वाले काम करके स्कूल बस का इंतजार करता है। तीनों स्कूल बस में बैठ चुके होते हैं। बस उनके घर से निकल चुकी होती है। अगले स्टॉप पर से निशांत और विद्युत बस में चढ़ते हैं। जिसे देखकर सारे बच्चे अपनी अपनी सीट को कस के पकड़ कर बैठ जाते हैं। सभी विद्युत निशान स कहता है। लगता है कोई नया चूहा आया है। उधर वरदान नई सोच उसके दिमाग में पहले से ही बैठ गई थी। तभी विद्युत वरदान के पास आता है।और कहता है। ओय लड़के पहली बार तुझे देख रहा हूं बस में तभी निशांत कहता है। तभी निशांत कहता है। मैं भी इसक पहली बार देख रहा हूं। वरदान खड़ा होता है। और दोनों से कहता है। मेरा नाम वरदान है। मैं दिल्ली से आया हूं।                                                                     

तभी विद्युत कहता है। मेरा नाम विद्युत है।ईसका नाम निशांत और तू हम दोनों की जगह पर बैठ गया है। वरदान हंसते हुए कहता है। जगह पर नाम तो नहीं लिखा है। विद्युत गुस्से में उससे कहता है। तू अपने आप को हीरो मत समझ और हमें विलन तभी बीच में जय बोल पड़ता है। अरे भाई जाने दो मत लड़ाई करो यार तभी निशांत कहता है। जय वर्धन सिंह चुप कर आज तक हमारे बीच में कोई नहीं पड़ा तू कहां से आ गया उधर बैठा समय उसको भी गुस्सा आ रहा था। और खड़ा होकर उन दिनों के पास गया और बोला चुपचाप भी सीटों पर बैठ जाओ वरना ऐसी की तैसी हो जाएगी विद्युत समय का गुस्सा देखकर बोलता है। चूहे तेरे मुंह में भी जबान आ गई क्या तभी अचानक विद्युत के चेहरे पर एक जोरदार मुक्का पडता है।                                                            

और मुक्का मारने वाला समय और जय नहीं होता है। मुक्का मारने वाला वरदान होता है। और कहता है। समझ क्या रखा है । इतना बोल कर दो चार मुक्का और रख देता है। समय वरदान और जय तीनो विद्युत और निशात को बस में मारने लगते हैं। और पूरा बस और ड्राइवर कुछ भी नहीं कहते बस थोड़ी ही देर में स्कूल पहुंच जाती है। स्कूल पहुंचे तक भी उन सब का झगड़ा खत्म नहीं होता जिसके बाद ड्राइवर प्रिंसिपल को बूला जाता है। प्रिंसिपल के आने तक भी वह सब लड़ते रहते हैं। प्रिंसिपल चिल्ला के कहता है। बंद कर लेना तुम सब यह कोई सरकारी स्कूल नहीं है। प्रिंसिपल की बात को इग्नोर करते हुए पांचों लड़ते हैं। जिसे देखकर प्रिंसिपल पागल हो जाता है। और दोनों के पेरेंट्स को बुलाता है। उन पाचो को प्रिंसिपल अपने रूम में बैठता है। और बोलता है। तुम वरदान नए होकर ऐसा करते हो। तभी वरदान प्रिंसिपल से बोलता है। सर मैं बदतमीजी बर्दाश्त नहीं करूंगा और विद्युत ने मुझे परेशान किया बस में इसलिए मैंने गुस्से में आकर मुक्का मार दिया उस उसके बाद उसने फिर बदतमीजी की तो समय ने गुस्सा में आकर उसे एक और मुक्का मार दिय निशांत ने जय को मुक्का मारा जिसके बाद मेरा गुस्सा और बढ़ गया मैंने और समय ने मिलकर इस की पिटाई कर डाली जिसके बाद हम आपके सामने खड़े थोड़ी ही देर में दिग्विजय पाटील शिवानी और जसविंदर स्कूल पहुंच चुके थे।

निशांत और विद्युत के पेरेंट्स भी आ चुके थे। निशांत के पिताजी और विद्युत की मां स्कूल आ चुकी थी। सभी पेरेंट्स प्रिंसिपल रूम पहुंच चुके थे। इसके बाद प्रिंसिपल सभी बच्चों को दूसरे कमरे में बिठा देता है। उनके पेरेंट्स से बात करता है। दिग्विजय पाटील और शिवानी प्रिंसिपल से सॉरी बोलते हैं। उनके बच्चे दोबारा कभी ऐसा नहीं करेंगे तभी विद्युत की मां सबसे बोलती है। माफ कर दीजिएगा मेरे बेटे को उसके पिताजी दुनिया में नहीं रहे हैं।तब से ही वह थोड़ा गुस्से वाला हो गया है। निशांत के पिताज कुछ इसी तरह की बात प्रिंसिपल से करते हैं। तभी प्रिंसिपल उन सबस बोलता है। आगे सब सभी ध्यान देंगे क्या आपके बच्चे एक दूसरे से लड़ते ना मिले वरना मैं स्कूल से बाहर निकाल दूंगा तभी प्रिंसिपल बगल वाले कमरे से सभी बच्चों को बुला लेता है। और एक सख्त आवाज में कहता है ।अगली बार लड़ते तुम दिखे तो तुम सबको मैं स्कूल से बाहर निकाल दूंगा सभी प्रिंसिपल की बात को सुनकर जी सर कहकर वहां से चले जाते हैं।

प्रिंसिपल के रूम के बाहर निकलने के बाद वरदान जसविंदर शिवानी दिग्विजय से सॉरी बोलता है। और कहता है। मैं गुस्से में आकर भूल गया था। तभी शिवानी प्यार से कहती है। देखो बेटा अपने गुस्से पर काबू करना सीखो पास खड़ा समय कहता है। मां उन दोनों ने हम सबको कितने वक्त से परेशान करके रखा है। आज जो भी हुआ अच्छा ही हुआ हम से लड़ने की कोशिश तो नहीं करेंगे अब उसके बाद शिवानी सभी को समझाती है और कहती है। दोस्ती यारी करनी चाहिए लड़ाई लड़ाई में कुछ नहीं रखा है। सभी पेरेंट्स अपने अपने घर चले जाते हैं। और बच्चे क्लास रूम में चले जाते हैं। पूरी क्लास में एक ही बात चल रही होती है। नए लड़के ने विद्युत और निशांत को क्या सबक सिखाया है। विद्युत और निशांत यह बात सुनकर चेहरा नीचे करके अपनी अपनी जगह पर बैठ गए तभी क्लास की मॉनिटर उन सब से कहती है। टीचर आने वाली है। सभी शांति से बैठना इतना बोल कर सुप्रिया पाठक अपनी जगह पर जाकर बैठ जाती है। स्कूल का दूसरा दिन बड़ी टेंशन में गुजरता है। और शाम को उसी बस में पांचों एक साथ लास्ट वाली लाइन में जाकर बैठे होते हैं। एक दूसरे की तरफ देखते भी नहीं जय वरदान और समय अपने घर पर उतर जाते हैं।


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