भाग 7 नया परिवार
भाग 7 नया परिवार
जब तीनो घर पहुंचे तभी दिग्विजय पाटिल उनको रोका और बोले "ये कोन सा तरीका होता है,अपने क्लास के बच्चो से लड़ने का" तभी उनकी इस बात का जवाब समय देता है और बोलता है " वो दोनो इसी लायक थे। हर बार हमको परेशान करते थे।" तभी वारदान बीच में बोल पड़ता है "गलती मेरी है मैं ने ही मारा था। उनको पहले पर मुझे परेशान कर रहे थे। मुझे गुस्सा आगया तो मेने मारा उसके बाद समय वाहा पे गुससे में आया और विद्युत को मार बैठा और वो निशात उसका दोस्त ने जय को मारा।"
वरदान के मुंह से पूरी बात सुनने के बाद दिग्विजय पाटिल "बस एक लाइन बोले तुम तीनो को ये बात हमे आकर बतानी थी। इस तरह मार पीठ नही करनी चाहिए थी।" तभी शिवानी और जसविंदर भी आते हैं। और दोनों उन तीनो की ओर देख कर बोलते हैं। ये गलत तरीका था। तभी समय बोलता है। मां में और जय कब से परेशान थे। उन दोनों से पर कभी नहीं बयाता पर आज हद करदी उन दोनो वो वरदान पहले से डरा हुआ था। और वो दोनो उसको परेशान करने आगए सभी समय की बात सुनने के बाद सब चुप हो जाते हैं। थोड़ी देर में दिग्विजय पाटिल बोलते हैं। आज जो हुआ वो कभी मत करना और बेटा वरदान तुम नए हो में समझ सकता हूं। तुम्हारी हालत को आगे मत करना इतना बोलकर वो शिवानी और जसविंदर वहा से जाने लगते हैं। वो तीनो भी अपने रूम जाकर बैठ जाते हैं। और तीनो एक दुसरे का चेहरा देखते हैं। और बोलते हैं। हम कभी भी किसी से अब लाडिया नही करेगे श्यामा की छह बजे एक साथ टेबल पे मिलते हैं। और तीनो एक साथ सोरी बोलते हैं। दिग्विजय पाटिल और जसविंदर और शिवानी को तीनो बड़े उनका यू माफी मांगते देख हसने लगते हैं। और दिग्विजय बोलते हैं। तूम लोगो को गलती का ऐहसास तो हुआ सब हंसने लगते हैं। सबको हंसते देख जय वरदान और समय भी हस पड़ते हैं। कुछ देर तक हंसते सब तभी दिग्विजय पाटिल बोलते हैं। सब खाना खाले इतना बोल कर दिग्विजय पाटिल चुप हो जाते हैं। और खाना खाने लगते हैं। सब का खाना होने के बाद समय और जय वरदान ग्राउंड की ओर चल पड़ते हैं। क्रिकेट खेलने चले जाते हैं। और दो घंटे खेलेने के बाद तीनो घर चले जाते हैं। रात को तीनो दोस्त सोने से पहले अपने बेग को पेक कर देते हैं। अगली सुबह तीनो खाने की टेबल पे मिलते हैं। खाना खाने के बाद तीनो स्कूल चले जाते हैं। वरदान अपनी सोच में डूब जाता है। और मन ही बोलता है। नया परिवार मिला और हर कदम पे मेरा साथ देता आता आ रहा है। अपने सोच डूबा वरदान को सुप्रिया पाठक उसे उसकी सोच से बारह निकालती हैं। और बोलती है। ओय लड़के कहा खो गया है। तभी वारदान सोच से बारह आता है। और कहता है। मेरा नाम वरदान है। सुप्रिया पाठक जावबा देते हुए बोलती है। मेरा नाम सुप्रिया हे तभी वरदान अपना नाम बताता है। दोनो की दोस्ती हो जाती है। तभी अचानक जय और समय भी वाहा आजते है। और बोलते हैं। सुप्रिया तुम यहां कब आई दोनो का सवाल का जवाब देते हुए बोलती है। ये वरदान को उठाने पता नहीं कहा खो जाता है। हर बार अब चारो दोस्त एक साथ रिसस में कैंटीन जाते हैं। पिज्जा बर्गर सैंडविच का ऑडर देते हैं। तभी अचानक विद्युत और निशांत आते हैं। और कहते हमे माफ कर दो तभी सुप्रिया कहती है। माफ भी कर दो इन्हें वरदान निशांत और समय वहां से चले जाते हैं। और उन दोनों की तरफ देखते भी नहीं जिसके बाद विद्युत और निशांत अपना चेहरा नीचे करके वह भी चले जाते हैं। चारों को जाता देख सुप्रिया कहती है। चारों इधर आओ गुस्से में कहती है। उसे गुस्सा करता देख चारों वापस आते हैं। और नीशांत और विद्युत जय समय वरदान सभी एक साथ खड़े होते हैं। विद्युत ओर निशान माफी मांगते हैं। तीनों एक साथ उन्हें माफ किया कहकर वहां से निकलते हैं। जिनके पीछे सुप्रिया भी उन तीनों के पीछे जाती है। जिसके बाद अपना लंच करके सभी क्लास में चले जाते हैं। आज का दिन बड़ा अच्छा गुजरता है। जो जब तीनो घर पहुंचते हैं। तीनो घर पहुंचते हैं तब उनके लिए एक सरप्राइज होता है। उसे देखकर वह तीनों बहुत खुश होते हैं। और कहते हैं थैंक यू वेरी मच आपने हमारे लिए इतना सब किया दरअसल क्रिकेट किट होता है जो तीनों के लिए लाए होते हैं। जिसे देखकर तीनों खुश होते हैं। अपना-अपना क्रिकेट किट लेकर तीनों ग्राउंड की ओर निकल जाते हैं। और प्रैक्टिस करना शुरू कर देते हैं। आने वाले कुछ दिनों बाद क्रिकेट टूर्नामेंट जो होने वाला था। और तीनों दोस्त चाहते थे। एक साथ मैन खेलें तीनों अपनी-अपनी प्रेक्टिस में लग जाते हैं। जिसके बाद थक हारकर घर पहुंचते हैं। घर पहुंचने के बाद वरदान जय समय अपना हात मुंह ढोकर खाने की टेबल पर बैठ जाते हैं। तीनो अपना खाना खाया और अपने रूम में जा हि रहे हैं। तभी अचानक से वरदान रुक जाता है। और कहता है। "धन्यवाद आप सब का मुझे इस परिवार मे शामिल किया और नया मोका दिया" तभी कोच जसविंदर बोलते हैं"बेटा जिस वक्त तुम्हे एक परिवार की जरुरत थी। और में अकेला इंसान इसीलिए मैं तुम्हें मुंबई ले आया और अपने दोस्त के परिवार पास ताकि तुम जल्दी उस हादसे से बारह निकल सको और अपनी जिन्दगी में आगे बढ़ सको" तभी जसविंदर की बात को बीच में काट कर वरदान उन्हें धन्यवाद कहता है। और आगे कहता है। अगर आप उस दिन ना आते तो शायद मैं जिंदगी की कहानी कुछ और ही चल रही होती कभी पाटिल बोल पड़ते हैं बीच में दोनों के अरे बात तो सब छोड़ो थोड़े दिनों बाद टूर्नामेंट स्टार्ट होने वाला है। उसकी तैयारी करो वरदान हैरान होकर पूछता है। कौन सा टूर्नामेंट सर कभी जय कहता है। स्कूल का क्रिकेट टूर्नामेंट होता है हर साल जिसके लिए हमें चार मैच खेलने होते हैं। और जो चारों में जीतता है सेमी फाइनल और फाइनल मुकाबले खेलता है। दूसरी स्कूल से सभी के बातें खत्म होती हैं। और तीनों अपने रूम में जाते हैं। और सो जाते हैं।
