आजाद हिन्द
आजाद हिन्द
कहानी की शुरुआत साल 1608 से होती है। जब पहली बार अंग्रेज भारत देश हिंद महासागर से होते हुए आए थे। इनके जहाज पर एक लुटेरा के जहाज ने हमला कर दिया होता है । लुटेरों का कप्तान जय सिंह और उसका वफादार राणा सिंह ने उनपर हमला कर दिया होता है। और हमला करके ब्रिटिश जहां से कप्तान से कहता है। निकल जा मेरे हिंद महासागर से इस पर केवल मेरा अधिकार है। पहली बार आने की वजह से उन्हें हिंदी समझ नहीं आती है। अंग्रेज कप्तान अंग्रेजी में कहता है। अटैक ऑफ पराईट इतना बोल कर उन पर हमला कर देता है। जिसे देखकर जय सिंह बोलता है। हमला करो इस बाहरी जहाज पर इतना बोलते हैं सारे लुटेरे एक साथ जहाज पर हमला कर देते हैं। दोनों के बीच बहुत लंबी लड़ाई चलती है। जिसमें कई सारे ब्रिटिश सैनिक मारे जाते हैं। और किसी तरह अपने जहाज को लेकर ब्रिटिश कप्तान वहां से भाग निकलता है। और पोरबंदर गुजरात पहुंचता है। जहां पर राजा भानु प्रताप सिंह उसका इंतजार कर रहा होता है। उसकी हालत को देखकर भानु प्रताप कहता है। लगता है इस बार फिर लुटेरों ने हमला कर दिया सभी घायल लोगों को इलाज के लिए राजमहल ले जाता है। सभी का इलाज करवाता है। राजा का प्यार देखकर ब्रिटिश कप्तान जॉर्ज जोन शुक्रिया व्यक्त करता है। लेकिन महाराज को भाषा की समझ ना होने के कारण समझ नहीं पाते लेकिन मुझे समझ जाते हैं किस खुशी व्यक्त कर रहा है अपने बचने की फिर कुछ साल तक अंग्रेज भारत में आते जाते रहे और पर हमले होते रहे धीरे-धीरे करके अंग्रेजों ने भारत पर कब्जा कर लिया लेकिन हिंद महासागर में अभी भी और कब्जा नहीं कर पाए थे उसका एक ही कारण था। लूटेरा जय सिंह और उसका दोस्त राणा उन दोनों ने मिलकर अंग्रेज सरकार की नाक में दम कर रखा था। एक बार इंग्लैंड से डग्लस मारकोनी इंडिया के लिए रवाना हुए थे। जैसे-जैसे वह समुद्र पार करते हुए हिंद महासागर तक पहुंचे ही थे कि उनके जहाज पर हमला हो जाता है। यह हमला किसी और नही जय सिंह और राणा ने किया होता है। दोनों जहाजों के बीच भारी युद्ध होता है। जिसमें जीत जय सिंह की होती है। और कहता आज हिंद महासागर को तुम लोगों से आजाद करा दिया उसी तरह एक दिन देश को भी आजाद करा लेंगे इतना बोल कर कहता है। आजाद हिंद जिंदाबाद
