Aditya Vardhan Gandhi

Fantasy Inspirational Children

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Aditya Vardhan Gandhi

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भाग 8 जीवन की नई शुरुआत

भाग 8 जीवन की नई शुरुआत

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अगली सुबह तीनो उठते हैं। हाथ मुंह धो कर नाश्ता करने के लिए हॉल में जाते हैं। और टेबल पर बैठ जाते हैं। और नाश्ता करते हुए तीनों बात करते हैं और कहते हैं। आने वाला टूर्नामेंट बेहद खास है।हमें वह जीतना होगा ताकि हमारी स्कूल की टीम एयरटेल चैंपियन लीग में पार्टिसिपेट कर पाए जो ऑल ओवर इंडिया होता है। तीनों की बातें कर ही रहे थे। तभी शिवानी बोलती है। खाते वक्त बात नहीं करते बच्चे अपना अपना नाश्ता करो और स्कूल जाने की तैयारी करो तीनों बच्चे फटाफट नाश्ता खत्म करते हैं।                                                                            

तीनों नाश्ता खत्म करके उठने वाले थे। तभी वरदान कोच उसे रुकने का कहते हैं। और बोलते हैं। देखो बेटा यह तुम्हारे जीवन की नई शुरुआत होगी पिछली जिंदगी में जो भी हुआ उसे भूल कर आगे बढ़ो और इतनी मेहनत करो कि दुनिया तुम पर फक्र करें और तुम्हारे पिता की आत्मा को शांति मिले कोच अपनी बातें वरदान से कह रहे थे। तभी जसविंदर की बातों को दिग्विजय पार्टी बीच में ही काट देते हैं। और कहते हैं।                                                

अभी से स्कूल जाने दो वहां ट्रांसलेशन देना है। जिसके बाद उसका सिलेक्शन होगा उस ट्रायल में तीनों को पास होना पड़ेगा वरना टूर्नामेंट नहीं खेल पाएंगे तीनों दिग्विजय पाटिल की बात बड़े ध्यान से सुनते हैं। इन तीनों में से समय कहता है। पापा उसकी चिंता मत करो हम तीनों ही अपने स्कूल की तरफ से खेलने वाले हैं। यही न्यूज़ आपको शाम को मिलने वाली है। तीनों घर के बाहर पहुंचते हैं ।और बस का इंतजार करते हैं। बस थोड़ी देर में आती है। तीनों बस में बैठ जाते हैं। उन तीनों के बैठने के बाद सुप्रिया उनके पास आती है। और कहती है। तीनों जोकर आ गए तो समय कहता है। हम तीनों जोकर तुम क्या हो गुलाम सुप्रिया कहती है। कोई मजाक नहीं तभी विद्युत पीछे से कहता है। हम तुम्हारे पास बैठ सकते हैं। समय कहता है।                                                  

जगह नहीं है दोस्त तुम आगे बैठ जाओ विद्युत और निशांत चुपचाप आगे वाली सीट पर बैठ जाते हैं। कुछ ही देर में बस स्कूल पहुंचती है। जीसके बाद तीनो अपनी क्लास रूम में जाते हैं। लास्ट वाली बेंच पर जाकर बैठ जाते हैं। शुरू के तीन चार क्लास के बाद सभी बच्चों को जो क्रिकेट खेलते थे। उन्हें ग्राउंड पर बुलाया जाता है। सभी ग्राउंड पर पहुंचते हैं। स्कूल के हेड कोच मिस्टर नितेश शर्मा बोलते हैं। तुम्हारे बॉलिंग कोच अरुण लाल तुम सबको आज सिखाएंगे की बॉल कैसे करते हैं। तभी समय बीच में बोल पड़ता है। ट्रायल होगा हेड कोच कहते हैं। वह तो तुम्हारे बॉलिंग कोच पर डिपेंड करता है। थोड़ी ही देर में बोलीग कोच ग्राउंड पर आते हैं।                                                                

और सभी बच्चों से कहते हैं। मेरा नाम अरुण लाल है। और मैं तुम्हारा बॉलिंग कोच हूं। उनके बाद तन्मय वागले बैटिंग कोच भी आ जाते हैं। और सभी खिलाड़ी कहते हैं। इस टूर्नामेंट में हमें बेस्ट बोलिंग बेस्ट बैट्समैन दोनों की जरूरत है। और इस टूर्नामेंट को जीतने के लिए अच्छी फील्डिंग भी जरूरत है। तभी वरदान बीच में बोल पड़ता है। सर हमारी टीम में किस तरह से एंट्री होगी तो हेड कोच कहते हैं। तुम अपना अपना ट्रायल दो उसके बाद ही पता चलेगा कौन टीम में होगा कौन टीम के बाहर सभी का ट्रायल लेने के बाद कोचीन से कहते हैं। तो हमने लिस्ट बना ली जिसमें है । समय टीम का कप्तान होगा और वाइस कैप्टन जय होगा और वरदान तुम्हारी स्पीड तो कमाल की है। तुम्हें पहले मैंने कभी नहीं देखा तो समय बीच में बोलता है। सर यह अभी-अभी हमारे स्कूल में एडमिशन लिया है। इसलिए आप उसको पहली बार देख रहे हो कमाल का गेंदबाज है इसकी स्पीड जोरदार है। हम तीनों मिलकर प्रैक्टिस करते हैं। तो हेड कोच कहते हैं। चलो आज के लिए काफी हो गया कल से प्रैक्टिस शुरू होगी और सभी को टाइम पर आना होगा सभी बच्चे अपने-अपने क्लास रूम में चले जाते हैं। जिसके बाद वापस से पढ़ाई शुरू होती है। आज का दिन भी सभी का अच्छा गुजरता है कोई लड़ाई झगड़ा नहीं होता तीनों हंसी खुशी से घर पहुंचते हैं। आते ही सीधा दिग्विजय पाटिल से मिलते हैं ।और कहते हैं ।हमारे सिलेक्शन हो गया जिसे सुनकर दिग्विजय कहते हैं।                                                  

मुझे मालूम ही था कि तुम्हारे सिलेक्शन हुई जाएगा मुझे किसी बात की चिंता नहीं है। लेकिन अब तुम अपनी प्रैक्टिस पर ध्यान देना और इस टूर्नामेंट को जीतकर चैंपियन लीग में अपने स्कूल की टीम को री प्रजेंट करना और सुना मैच जीतकर महाराष्ट्र का नाम गोरांवित करना अपनी बात खत्म करके दिग्विजय पाटिल वहां से चले जाते हैं। उनके जाने के बाद तीनों अपने रूम में जाते हैं। हाथ मुंह धो कर बैग रखकर डायनिंग हॉल में पहुंचते हैं और खाने की टेबल पर बैठते हैं। और खाना खाते हुए आज के दिन की बात करते हैं। समय कहता है। इस टूर्नामेंट में हमें अपनी बोलिंग का लोहा मनवा कर रहेंगे और साबित कर देंगे हम किसी से कम नहीं तभी वरदान कहता है। हम सिर्फ बोलिंग से नहीं बैटिंग से भी और फीलिंडिंग से भी इस टूर्नामेंट को जीतना है।                                           

तीनों दोस्तों की बातें सुनकर दिग्विजय कहते हैं। तुम्हारा जोश देखकर लगता है। इस बार का टूर्नामेंट तुम जीत ही जाओगे तभी वरदान बोलता है। दिग्विजय सर पिछली बार टूर्नामेंट हम हार गए थे। तभी समय और जाए कहते हैं। हमारी टीम अच्छी बैट्समैन थे। और बोलो उसकी कमी रही थी। उस टीम का हिस्सा हम भी नहीं थे। हमारे सीनियर्स उस साल टीम में थे ।                                            

और हम टीम के बाहर लेकिन उनके जाने के बाद अब हम टीम में हैं। और तुम्हारे आने के बाद हमें लगता है।हम इस टूर्नामेंट को जीत सकते हैं। क्योंकि हमारे पास अच्छा बॉलर नहीं था। इस बार का टूर्नामेंट हम नहीं हरन वाले तो जय बोलता है।                                                   

मुझे भी लगता है इस बार टूर्नामेंट जीत सकते हैं। तीनों की बातें सुनकर दिग्विजय पाटील कहते हैं। तू खाना खत्म करो और ग्राउंड की ओर चलते हैं और थोड़ी प्रैक्टिस करते हैं। तीनों अपना खाना खत्म करके ग्राउंड की ओर निकल जाते हैं। जिसके बाद तीनों बहुत प्रैक्टिस करते हैं। और अपनी अपनी फिटनेस पर काम करना शुरू करते हैं। तीनों को इतनी मेहनत करता देख दिग्विजय बहुत खुश होते हैं। और बोलते हैं आज बहुत प्रेक्टिस कर ली तुम लोगों ने चलो घर चलते हैं अगर कोई चोट चोट लग गई तो खेल नहीं पाओगे दिग्विजय की बात सुनकर तीनों बच्चे वापस घर की ओर चल देते हैं। घर पहुंच कर तीनों हाथ पैर मुंह धो कर सोने की तैयारी करते हैं। दो मिनट बातें करने के बाद तीनों सो जाते हैं।


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