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Aditya Vardhan Gandhi

Drama Action Classics

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Aditya Vardhan Gandhi

Drama Action Classics

भाग 10 टूनामेंट

भाग 10 टूनामेंट

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अगली सुबह तीनों उठते हैं। रोज का काम कर के स्कूल जाते हैं। स्कूल पहुंचने के बाद अपनी क्लास में जाते हैं। रोज की तरह वही गीसी पिटे लेक्चर अटेंड करते हैं। लेकिन आज खुशी का दिन था। यह तीनों को ही पता था। क्योंकि आज से टूर्नामेंट की स्टार्टिंग होगी इस बात से बहुत खुश थे। उनका आज टूर्नामेंट के लिए जोश को बढ़ाया जाएगा और एक बढ़िया सी स्पीच दी जाएगी इस बात से तीनों खुश थे। वरदान- समय और जय सुनो हमारे यहां पर कोन आने वाला है। हमारे जोश को बढ़ाने समय- इस साल तो शायद जहीर खान आ रहे हैं। उससे पहले अजीत आगरकर हमारी स्कूल टीम का हौसला बढ़ाने आया करते थे। जय - लेकिन इस बार जहीर खान हमारी स्कूल आएंगे और हमारा हौसला बढ़ाएंगे वरदान - दिल्ली में तो ऐसा कभी नहीं होता वहां पर तो बस कुछ रंज प्लेयर आकर हमारी स्कूल टीम को एक अच्छा सा भाषण देकर और जीतने की शुभकामना देकर चले जाते थे। समय - दोस्त यह मुंबई है। यहां पर बड़े प्लेयर्स को नहीं बुलाओ स्कूल में खासकर की क्रिकेट टूर्नामेंट में तो कोई ध्यान से सुनता भी नहीं कि सामने वाला क्या कहना चाहता है। जय - समय तेरी बात में दम तो है। ऐसा ही किस्सा जयपुर में भी हुआ था। जब राहुल द्रविड़ वहां पर विजिट करने आए थे।

तब सभी प्लेयर्स उनकी बात को बड़े ध्यान से सुन रहे थे। जिसके बाद हमने उस टूर्नामेंट में सबसे बढ़िया प्रदर्शन करके हमारी स्कूल को ट्रॉफी दिलाई थी। वरदान - चलो छोड़ो सब यह बातें ग्राउंड की ओर चलते हैं। वरना कोच हमे फटकार लगाएंगे और शायद पनिशमेंट भी देंगे यह सब नहीं चाहते हो चुपचाप मेरे साथ चलो जय - लेकिन वरदान इतनी जल्दी क्यों है। लंच करके जाते हैं ना वरदान - खाली पेट ही जाना ठीक है। अगर लंच करके गए सुस्ती आएगी और तेज गति से दौड़ नहीं पाएंगे जिसके बाद हमारी बोली मैं धार नहीं दिखेगी जो हमको स्कोर दिखा चुके हैं। और जहीर सर को दिखानी है। इसीलिए आज लंच नहीं करते हैं। प्ररक्टिस के बाद लंच कर लेंगे इतना बोल कर अपनी बैच से चलता है। विद्युत - भाई हमें भी ले चलो हम तीनों भी तुम्हारे थोड़ी मदद कर देंगे निशांत - और मुझे भी ले लो ग्राउंड पर कुछ चाहिए गा तो काम आ जाऊंगा समय - ठीक है भाई चलो जिंदगी में पहली बार कुछ काम आओगे वरना हमेशा मुझे परेशानी किया करते थे। वरदान - समय छोड़ पुरानी बातों को आज से हम सब अच्छे दोस्त हैं। और यह दोस्ती स्कूल के बाद ल कॉलेज के बाद कभी खत्म नहीं होगी। सुप्रिया - ओ मेरे महान प्लेयर हो जल्दी से ग्राउंड पहुंचे वरना कुछ तुम्हारी क्लास लगा देगा फिर रोने मत बैठ जाना जय - शुक्रिया याद दिलाने का मुझे चलो जल्दी करो तीनों ग्राउंड पर फटाफट पहुंचते हैं। साथ ही में सुप्रिया और विद्युत और निशांत भी आते हैं।

हेड कोच- सभी प्लेयर्स ध्यान दें इस साल का टूर्नामेंट आपकी जिंदगी का बेहद खास टूर्नामेंट में है। जिस में आपको बोहत अच्छा प्रदर्शन करना है। इस टूर्नामेंट में बढ़िया प्रदर्शन करने वाला एयरटेल चैंपियन लीग में सीधा सिलेक्ट हो जाएगा यह एक सुनहरा अवसर है। तभी अचानक से जहीर खान की एंट्री होती है। जहीर खान - सभी खिलाड़ियों से कहते हैं। इस टूर्नामेंट में अपने आप पर धैर्य बनाकर रखना होगा ताकि आप सभी अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाकर मुंबई की रणजी टीम में शामिल होने का मौका पा सकते हो अपनी स्पीच देखकर जहीर खान वाहा से चले जाते हैं। सभी खिलाड़ी अपनी प्रैक्टिस में लग जाते हैं। तभी बंटी नाम का एक लड़का वरदान के पास आता है। और उसे शराबी की औलाद कहकर छेड़ता है। वरदान - यह बात सुनकर झटका लगता है। उसके पिता के बारे में इसे कैसे मालूम बंटी - तू अपने आप को बहुत बड़ा फास्ट बॉलर समझता है ना तुझे तो इस टूर्नामेंट में विकेट भी नहीं मिलेगा वरदान - तुम कोन हो और तुम्हें मेरे पिता के बारे में कैसे मालूम बंटी - मुझे तेरे बारे में सब कुछ मालूम है।

किस तरह तुलसी स्कूल में आया है। और तेरी औकात क्या है। समय - ओय बंटी के बच्चे अपनी औकात मत भूल कोच को तेरी शिकायत कर दूंगा और इस टूर्नामेंट से बाहर करवा दूंगा तुझे बंटी - ठीक है धमकी मत दे समझा रही बात की जो अपने आप को बहुत बड़ा बोलर समझता है। सारी बातें हेड कोच भी सुन रहे थे। उन सब की तभी कुछ गुस्से में चिल्ला कर कहते हैं। बंटी तुम में जरा भी अक्ल नहीं है। खुद इतने घटिया बॉलर हो अपनी प्रैक्टिस पर ध्यान दो अपने आपको ग्राउंड पर साबित करो इस तरह सब के साथी खिलाड़ियों को परेशान कर कर तुम्हें कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि इस टुनामेंट के बाद तुम स्कूल से जाने वाले हो और कोच की डाट खा कर बंटी वहां से चला जाता है। कोच- देखो वरदान मुझे तुम्हारे पिता के बारे में कुछ नहीं मालूम था। जब तुम्हारी बॉलिंग देखी थी।

पर मुझे दिग्विजय पाटिल ने तुम्हारी सारी बातें मुझे बता दी थी। इसीलिए मैं तुमसे इतना ही कहूंगा जिंदगी में बंटी ऐसे लोग हमेशा मिलेंगे उनका डटकर सामना करना तुम्हारे पिता शराबी थे। तुम थोड़ी न शराबी हो इतना बोल कर कोच वहां से चल देते हैं। समय - सुनो वरदान तुम्हारी पीता के बारे में पूरी स्कूल को मालूम चल चुका है। पर तुम चिंता मत करो मैं और जय और पापा तुम्हारे साथ हैं। तुम्हें कोई परेशान नहीं करेगा। वरदान- रोते हुए कहता है। काश मेरे पापा शराबी ना होकर एक बढ़िया इंसान होते पर जो उनकी हालत थी। उसके जिम्मेदार वह खुद भी नहीं है। वक्त ने उनके साथ इतना गलत किया जिस कारण से वह ऐसे बन चुके थे। पर उनका अधूरा सपना मैं पूरा करूंगा मैं इस टूर्नामेंट में मैन ऑफ द सीरीज लेकर दिखाऊंगा इतना बोल कर वह रोने लगता है। समय - चुप हो जा दोस्त रो मत हम तेरे साथ हैं। चाहे कुछ भी हो जाए हम हमेशा तेरे साथ होंगे इतना बोल कर तीनो प्रैक्टिस में लग जाते हैं। कुछ घंटों की प्रैक्टिस के बाद तीनों बहुत थक जाते हैं। और अपने कोच से कहते हैं। हम अपने घर जा रहे हैं। कोच - रुको तुम तीनों कल जल्दी आना और स्कूल नहीं शिवाजी मैदान पर आना वहां से सीधा वानखेड़े जाना है। जहां पे टूर्नामेंट तो कल पहला मैच है। उसके बाद दूसरा मैच हमारा है। स्वामी विवेकानंद स्कूल से इतना बोल कर कोच उनको जाने का कहता है।


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