प्यार का तराना
प्यार का तराना
शादी से पहले की बात
वो सावन का ही महीना था , बाहर उमर - घुमड़ कर घटाएं एक दूसरे से गले मिल रही थी।
पपीहे की पीहू - पीहू दिल में कसक जगा रही थी ।कुआरे मन की कोयल कू कू कू की टेक भी तो नहीं ले पा रही थी , विरह की पीड़ा का यह पहला - पहला नया अनुभव था ...
ओ मेरे दिल के चैन ,
चैन आए मेरे दिल को दुआ कीजिए ।
पर आग तो दोनों तरफ लगी थी , दो जिस्मों में दो जोड़ी आँखें रातभर सोई नहीं थी । दर्द से कराहता उसका मन भी गा उठा ..
मार गई मुझे ,
तेरी जुदाई ,
डस गई ये तन्हाई ,
तेरी याद जो आयी ,
आंखों में नींद न आयी ।
सुबह सुबह पार्वती व्रत वाले दिन ..
हरी चूड़ियो के साथ वह दरवाजे पर थे । मैं चौंक उठी ..
आप यहां आए किसलिए ?
आपने बुलाया इसलिए ।
पूरा दिन दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था । मन तो उछल कर उनके पास जाने को बेकरार था किंतु लाज का पल्लू बार बार उड़कर मन की इच्छा को ढकने की कोशिश कर रहा था ।
ये शाम मस्तानी ,
मदहोश किए जाए ,
मुझे डोर कोई खींचें,
तेरी ओर लिए जाए ... I
दो जवान दिल बेकरार हो उठे थे , बीच के सारे पर्दे हटा देना चाहते थे । पर मर्यादा का पल्लू पकड़े , अलग अलग छोर को पकड़े प्रेम की पींगे बढ़ा रहे थे ..
रुप तेरा मस्ताना ,
प्यार मेरा दीवाना ,
भूल कहीं हमसे ,
न हो जाए .. I
और फिर आयी वो शादी की रात ..
ड्रीमगर्ल ...
किसी शायर की गज़ल ..
ड्रीम गर्ल ...
शादी के बाद ,
वही जो हमेशा होता है ..
मेरा जीवन
कोरा कागज ,
कोरा ही रह गया ।
पति जी ने प्यार से समझाया ..
खिलते हैं गुल यहाँ ..
खिल के बिछुड़ने को ..
आज वही सावन का महीना , वही करतल ध्वनि सी प्रकृति की तान ,
मन को आह्लादित कर देने वाला मौसम ..
पल पल दिल के पास ,
तुम रहते हो ..
जीवन मीठी प्यास ,
तुम कहते हो ।
पति ने साथ दिया ...
आसमां के नीचे ,
आज हम अपने पीछे ,
प्यार का जहां बसा के चले ,
कदम के निशां बना के चलें ।