पत्नी को पत्र
पत्नी को पत्र
फ़िज़ाओं ने रुख बदल रखा है शायद।
तेरी खुश्बू को जो तरस रहे हैं आज।।
मै ये तो नहीं कह सकता की हर काम में तुम्हारा हाथ बटाउंगा पर तकलीफों में तुम, अपने और तकलीफों के बिच हमेशा मुझे खड़ा पाओगी ये वादा है मेरा। और सुनो ना मै थोड़ा पुराने खयालातों का हूँ ये दिखावे तो मै कर नहीं सकता पर हाँ मै वो सब करूँगा जिससे ये दिखावा ना करना पड़े हमे।तुम्हारी सारी दिक्कतें मै खत्म कर दूंगा ये तो नही कह सकता मै पर! हर समस्या को तुम तक पहुँचने से पहले मुझसे दो-चार करना पड़ेगा हाँ ये वादा है मेरा।
तुम्हारे राह मे काँटे मै आने नही दूँगा ये तो मेरे औक़त मे नही है पर उन कांटों पर तुम्हारा पैर पड़े उसके पहले अपना पैर रख दूंगा ये वादा है मेरा।
मै चाँद-तारे तोड़ तेरे दामन में भर दूंगा सच ये बस का नहीं है मेरे! पर हाँ शादी में जो कसमे खाई थी मैंने उनके अक्षरशः पालन में कभी कोई कमी नहीं आएगी ये वादा है मेरा। पिछले १०-११ सालों में हो सकता है बहुत ख़ुशी भले ना दिया हो मैंने,पर खुश रखने के लिए किये गए प्रयासों में कभी कोई कमी का अनुभव नहीं किया होगा तुमने ऐसी उम्मीद है मुझे भी?
हाँ मानता हूँ मै भी ये की दिल का थोड़ा अक्खड़ हूँ थोड़ी कड़वी और कई बार झुंझलाहट के साथ बातें जरूर की होंगी मैंने पर उसके लिए तो मै माफ़ी का हक़दार समझता हूँ खुद को और उम्मीद है माफ़ कर भी दिया होगा तुमने?
कैसे देखते-देखते १०-११ वर्ष गये पता ही नही चला,इस बात का दुख हमेशा रहा दिल मे कि इतने सालों मे मैने कभी चिट्ठी नही लिखा तुम्हे, हां ये भी है कि कभी जरूरत नही पड़ी ज्यादा समय तुम मेरे साथ ही रही और जब नही भी रही तो भी आज के इस सुचना और प्रौद्योगिकीय साधनो ने इसकी कमी महसुस होने ही नही दी कभी।
ये वक्त इतना पर्याप्त था कि मैने अपने बारे मे तुम्हे सब कुछ बताया और तुम भी अपने बारे मे मुझे सब कुछ बताती रही और इसके बाद भी कुछ बच गया हो इसकी संभावना नही होनी चाहिए थी पर जिंदगी की आपाधापी मे बहुत सी बाते अनकही सी रह जाती हैं। और ये स्वभाविक भी है और हो सकता है हमारे बीच भी कुछ रह गई होंगी।
मै कुछ बताना चाहता हूं तुम्हे.. और साथ ही धन्यवाद भी करना चाहता हूं उस सबके लिए जो तुमने मुझे दिया इन बीते १०-११ वर्षों मे जो मुमकिन नही था मेरे अकेले के लिए।
कैसे तुमसे जुड़ाव ने मेरी जिंदगी को सकारात्मक मोड़ दे दिया?
कैसे हर चौराहे पर प्यार करने वाले को तुमसे हो जाने के बाद फिर किसी से हुआ ही नही?
कैसे किसी के समक्ष कमजोर तक न दिखने वाला तुम्हारे सामने फूट-फूटकर रोना सीख गया?
कैसे कभी किसी की चिंता न करनेवाले ने तुम्हारी परवाह को ही अपने जीवन का अहम हिस्सा बना लिया?
कैसे इन १०-११ वर्षों ने मुझे तुम लोगो का ख्याल रखने की खातिर खुद की सबसे ज्यादा चिंता करना सिखा दिया?
हां ये भी है कई बार बहुत तकलीफ भी दिया होगा मैने, पर सच मानो ऐसा जान-बूझकर कर कभी नही हुआ हां ठीक है उसके लिए माफी जरूर नही मांगा मैने, पर भावनाओं मे कलुषिता का न होना ही बिन मांगे क्षमा का हकदार तो बना ही देता है मुझे।
तेरे लिए दिल मे कुछ भी नही मोहब्बत के सिवा।
चाहो गर तुम मेरी हर धड़कन की तलाशी ले लो।।