पश्चाताप
पश्चाताप
आनंद और अल्का संयुक्त परिवार का हिस्सा थे, तीन भाई, माता-पिता और सबके दो दो बच्चों को मिलाकर कुल पंद्रह लोगों का संयुक्त परिवार था। कोई नौकरी कर रहा था तो कोई छोटा मोटा बिज़नेस।
मध्यमवर्गीय परिवार बड़ी हंसी खुशी से एक दूसरे के सुख दु:ख बांटकर आराम से ज़िंदगी जी रहे थे। आनंद और अल्का के दो बच्चें थे विराज और श्रृति आनंद सरकारी स्कूल में शिक्षक की नौकरी करता था। बंधी हुई आय में भी बच्चों को सारी सुविधाएं देने की कोशिश करता। विराज बचपन से ही ऊँचे सपने देखने का आदी था। बारहवीं पास करते ही कॉमर्स कालेज में एडमिशन ले लिया। विराज को एम बी ए करके बड़ी कंपनी में अच्छी पोज़िशन पानी थी, पढ़ने में होशियार था। पर बड़ा होते ही संयुक्त परिवार में घुटन महसूस करने लगा। एक ही कमरे में चार-चार लोग गुज़ारा कर रहे थे। कई बार विराज अपने पापा से कहता पापा अब हम बड़े हो गए है कब तक इस घोंसले में पड़े रहेंगे, आप अलग घर लेकर रहने की क्यूँ नहीं सोचते? पर आनंद संयुक्त परिवार के फ़ायदे पर भाषण देकर चुप करा देता।
विराज जी जान से पढ़ाई करने में जुट गया। एक दिन कालेज में यामिनी नाम की नयी लड़की ने एडमिशन लिया। दिखने में हिरोइन जैसी गोरी, चिट्टी, सिल्की स्ट्रेट बाल और गोगल्स पहन कर जब अपनी गाडी से उतरती तब कई दिलों को घायल कर जाती। बड़े बाप की बेटी यामिनी के तेवर देखकर सारे लड़के उसे पटाने के चक्कर में आगे पीछे घूमते रहते। पर एक विराज था जो पढ़ने के सिवाय किसी और प्रवृत्ति में ध्यान नहीं देता, और यामिनी को विराज का ये एटीट्यूड अखरता उसे अपनी सुंदरता का अपमान लगता। विराज की पर्सनैलिटी भी अच्छी खासी थी, किसी भी लड़की को अट्रैक्ट करने वाली हर अदाएं उसके व्यक्तित्व में मौजूद थी। यामिनी कैसे बचकर रहती।
विराज के मौन को मुखर करने के लिए यामिनी अजीब-अजीब हरकतें अपनाती रहती कभी अपनी गाड़ी में खुद पंक्चर कर लेती, तो कभी कोई प्रश्न सोल्व करवाने के बहाने विराज से बात करने का बहाना ढूँढती। आख़िर कार यामिनी के पैंतरे काम कर गए। जवान खून प्यार की साज़िश और यामिनी जैसी सुंदरी से कब तक बचकर रह पाता। धीरे-धीरे विराज और यामिनी शिद्दत से एक दूसरे के प्यार में पड़ गए। विराज अपनी हैसियत भूल गया था, यामिनी शहर की सबसे बड़ी कंपनी के मालिक उदय प्रताप सिंह की इकलौती बेटी थी। पर कहते है ना प्यार अंधा होता है। दोनों का ग्रेज्यूएशन खत्म हो गया काॅलेज का आख़री दिन था तो यामिनी ने विराज से कहा अब? फ़्यूचर प्लान क्या है। मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकती कुछ भी करके मुझसे शादी कर लो। विराज ने कहा बस तीन साल दो मुझे एम बी ए खत्म करके मैं खुद तुम्हारे पापा से तुम्हारा हाथ मांगने आऊँगा। पर यामिनी की ज़िद थी पहले पापा से मिल लो फिर जो करना है करो। विराज ने कहा ठीक है चलो अगले रविवार को मिल लूँगा।
इधर उदय प्रताप यामिनी की शादी अपने बराबरी के खानदान में करना चाहते थे उनके बिज़नेस पार्टनर मि. सुनील ओबरोय के बेटे अमर के साथ, पर यामिनी ने अपने पापा को विराज से मिलने के लिए मना लिया। रविवार को विराज उदय प्रताप से मिलने आया विराज की पर्सनैलिटी और कोन्फ़िडेन्ट को देखकर उदय प्रकाश प्रभावित हुए। पर विराज के सामने शर्त रखी की एम बी ए करने के बाद विराज को उनकी कंपनी ज्वाइन करनी होगी और उनके यहाँ रहना होगा।
थोड़ी कश्मकश के बाद संयुक्त परिवार से उब चुके विराज ने तुरंत शर्त मान ली। देखते ही देखते विराज ने एम बी ए पूरा कर लिया। अब यामिनी कहाँ इंतज़ार करने वाली थी। विराज से कहा अब जल्दी से शादी की तारीख पक्की करो मिस्टर मैंने बहुत इंतज़ार कर लिया। चंद पल विराज को एक बात ने कचोटा कि कैसे बताऊँ घर में की इतने बड़े बाप की बेटी से शादी कर रहा हूँ, और घर छोड़ कर ससुराल में रहने जा रहा हूँ।
पर सुंदर भविष्य की कल्पना के आगे वो नन्हा खयाल दम तोड़ गया। और घरवालों के आगे विस्फोट करके विराज निकल गया एक अन्जानी राह पर।
शादी में न घरवालों को आमंत्रित किया न ख़बर दी। उदय प्रताप को कोई फ़र्क नहीं पड़ता था उसे बस अपनी बेटी की खुशी के आगे सारी दुनिया तुच्छ लगती थी।
विराज के परिवार में भूचाल आ गया बेटे के घर छोड़ते ही अल्का को दिल का दौरा पड़ा, मुश्किल से जान बची। आनंद का बुरा हाल था कितने अरमान से बेटे को पढ़ा लिखाकर काबिल बनाया और एक पल में पराया करके निकल गया। समय के चलते सारा परिवार मुश्किल से इस आघात से उभर पाया।
इधर धीरे-धीरे यामिनी के सर से प्यार का भूत उतरने लगा तो विराज की हर बात में कमियां दिखने लगी विराज की मिडल क्लास मैंन्टालिटी यामिनी को अब खटकने लगी।
यामिनी एक आज़ाद खयालों वाली पार्टियों का परिंदा थी। कभी-कभी शराब सिगरेट का सेवन भी कर लेती जो विराज के लिए हलक के नीचे उतारना मुश्किल था। इस बात को लेकर तू तू मैं मैं तो रोज़ होती, उपर से शादी के चार साल बाद जब विराज ने यामिनी को फैमिली प्लानिंग की बात करके बच्चे की इच्छा ज़ाहिर की तो उस पर यामिनी भड़क उठी, ये कह कर कि मैं कोई बच्चे पैदा करने की फैक्ट्री नहीं, मुझे अपना फ़िगर खराब नहीं करना। और बच्चों की झंझट पालना मेरे बस की बात नहीं। लाइफ़ एंजॉय करने के लिए होती है नांकि काम और बच्चों के चक्कर में ज़ाहिर करने के लिए।
और ये बात इतनी आगे बढ़ गई की तू तू मैं मैं से शुरू होते तलाक तक पहुँच गई। विराज को अब खुद के निर्णय पर पछतावा होने लगा। यामिनी को अंधा प्यार करने वाले उदय प्रताप ने अब विराज को नज़र अंदाज़ करना शुरू कर दिया। घर में विराज की कोई हैसियत नहीं थी, महज़ घर जमाई का लेबल चिपका था। विराज ने तय कर लिया अब और अपमान नहीं सहना और यामिनी से तलाक की अर्जी कोर्ट में भेजकर अपने परिवार के पास जाने के लिए निकल गया। विराज को लग रहा था माँ-बाप का दिल दु:खाने की सज़ा तो मिलनी ही थी। विराज पश्चाताप की आग में जल रहा था, आनंद और अल्का के पैर में गिरकर माफ़ी मांगते रो पड़ा। आख़िर माँ-बाप और अपना परिवार था, बच्चे को कैसे अकेला छोड़ देते। सबकुछ भूलकर सबने बड़े प्यार से विराज को गले लगाकर स्वागत किया। आज विराज को संयुक्त परिवार का महत्व समझ में आ रहा था, की अगर परिवार है साथ तो हर मुश्किल है आसान।

