Bhavna Thaker

Tragedy

4  

Bhavna Thaker

Tragedy

वारसदार की महिमा

वारसदार की महिमा

3 mins
470



आज 'सनशाइन विला' को स्वर्ग सा सजाया गया है, मेहमानों को दावत दी गई है, सबकुछ होते हुए भी एक कमी अखर रही थी पूरे परिवार को। बेटे की कमी, वारसदार की कमी, पोते की कमी जो मैंने पूरी कर दी है। आज हमारे घर खुशियों ने दस्तक दी है दो बेटियों की बलि चढ़ा कर ये नेमत पाई है। 

बेशक आज सासु माँ की खुशी का ठिकाना नहीं है पोते का मुँह तो कोई खुशनसीब ही देखता है, ऐसा उनका मानना है। उससे भी ज़्यादा मैं आसमान में उड़ रही थी, ससुर जी जता नहीं रहे थे पर एक सुकून उनके चेहरे पर दस्तक दे रहा था, जब से मेरा बेटा पैदा हुआ है। जी हाँ मैं विधि विकास मेहरा 'सनशाइन कंस्ट्रक्शन कंपनी' के इकलौते बेटे विकास की पत्नी। इज्ज़तदार अरबपतियों की श्रेणी में हमारे घराने की तुलना होती है। मेरी शादी को सात साल हो गए दरमियान दो बेटियों को हमने मेरी कोख में ही काट कूटकर दफ़ना दी थी। आख़िरकार मेहरा परिवार की मन्नत पूरी हो गई। दो महीने पहले मेरी कोख से बेटे ने जन्म लिया 'जी हाँ बेटे ने जन्म लिया' जो बेटा इस वंश को आगे बढ़ाएगा, दादा दादी को स्वर्ग की सीढियों तक पहुँचाएगा, अपने बाप को इज्जत दिलवाएगा, सनशाइन कंपनी का वारसदार जो ठहरा। आगे जाकर कूल का नाम बढ़ाएगा और बिज़नेस संभालकर मेहरा खानदान का नाम रोशन करेगा। 

बेटियाँ बेचारी खामखाँ पल्ले पड़ती, आधी रात को उठकर खाना मांगती, किसीके साथ भाग जाती और मेहरा खानदान की बदनामी होती। होनी ही नहीं चाहिए, बेटियाँ बोझ होती हैं। किसी ओर के लिए पच्चीस साल तक पालो पोषो और दहेज के लिए लाखों जोड़ो, फिर भी कौन सा बाप का नाम आसमान पर लिखवाती बेटियाँ बला होती हैं। 

ऐसी मेरी सोच नहीं जी, मेरे पढ़े लिखे प्रबुद्ध ससुराल वाले ऐसा मानते हैं। मैं तो एक सीधे सादे शिक्षक की बेहद खूबसूरत, गोरी चिट्टी बड़े घराने की शोभा बढ़ाने वाली कठपुतली हूँ। मुझे कोई निर्णय लेने का हक कहाँ, कुछ भी बोलने पर तलाक की धमकी मिलती है, जो मेरे जैसी आम इंसान की बेटी को परवड़ता नहीं। मुझे सिर्फ़ तमाशबीन बनकर देखना है, हुकूम की तामिल बजाते बेटियों का अपनी ही कोख में कत्ल करना है। 

शशश...बहुत हुआ ज़्यादा बोल नहीं सकती आज मेरे बेटे का नामकरण है। सत्यनारायण की पूजा संग कन्या पूजन भी रखा है। ग्यारह बालिकाओं के पैर धोकर भोजन करवा कर पूरा परिवार कन्याओं को दान दक्षिणा देकर वंदन करेगा। घर की शोभा बढ़ाने के लिए हमें बेटी चाहिए नहीं। पर मानते है न हम बेटियों को देवी माँ का रुप। 

अब मैं बताऊँ दो बेटियों की कातिल माँ आज खुश क्यूँ है? आज बेटे को जन्म देकर नौकरानी से महारानी जो बनी हूँ। आज घर में सबकी नजरों में मेरा सम्मान बढ़ गया है मुझे बेटा जो हुआ है। बेटे के जन्म से पहले कहा गया था या तो इस बार तू बेटा जनेगी, या हंमेशा के लिए मायके जाएगी। नौ महीने रोते हुए मातारानी से प्रार्थना करते बिताए, तब जाकर अपना वजूद प्रस्थापित कर पाई हूँ। खुश क्यूँ न होऊँ आख़िर बेटे की माँ जो ठहरी। 

चलो कंजक आ गई प्रायश्चित के तौर पर दिखावे की पूजा कर लें, देखो सासु माँ कितने प्यार से कन्याओं को पाट पर बिठा रही है, मैं पानी में पश्चात्ताप के चार बूँद अश्रु के मिलाकर कन्याओं के पैर धो रही हूँ, ससुर जी ने उस पानी का चरणामृत लिया, पति देव ने कन्याओं को वंदन किया। हम सब मिलकर कंजकों को बड़े प्यार से शिरा पूरी खिला रहे है। सबको दक्षिणा में देने के लिए सोने के झूमके लिए है, देखा हमें बेटियाँ कितनी प्यारी हैं। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy