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Kanchan Pandey

Drama

5.0  

Kanchan Pandey

Drama

|| पश्चाताप ||

|| पश्चाताप ||

4 mins
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तनु जिन्दादिली की जीती जागती तस्वीर उतनी हीं सुंदर दया तो मानो रोम-रोम में भरा हो। शादी के बाद पति का परिवार कभी पराया हीं नही लगा ननद को बहन जैसा मानना देवर को भाई सास ससुर तो माता पिता से बढ़ कर थे लेकिन न जाने उनलोगों के मन में क्या था जो इसके प्रत्येक काम में नुक्स निकालना आदत बन गया था। उससे मन होता तो कोई बात करता मन नही होता तब वह चुपचाप एक कोने में डरी सहमी रहती थी आठ –आठ दिन बीत जाता था लेकिन कोई बात नही करता था पहली रसोई में बोला गया की हमारे यहाँ बहू दो साल तक रसोईघर नही जाती है तनु ने सोचा माँ बोल रही है तब सही है लेकिन बाहर से आने वालों के सामने सास को यह बोलता सुन की बहू कोई काम नही करना चाहती है उसके आंसू बहने लगते थे लेकिन उस आंसू को इसलिए किसी को नही दिखा सकती थी कि सभी यह नही कहने लगे की इसे यहाँ मन नही लगता है मायका का याद आ रहा होगा। उसे उस दिन की याद आ गई जब वह मायके से फोन आने के बाद जब अपने पति के ख्यालों में खोई हुई थी कि सास ने ससुर जी से कहा माँ ने कुछ कहा होगा इसलिए मुँह बनाकर घर में बैठी है। दिन रात होने वाली शिकायतों से परेशान रहने लगी थी स्नानघर में बैठकर आंसू बहाना तो अब आदत बन गई थी किससे कहती क्या कहती। लेकिन उसके होठों की मुस्कान जो सभी के लिए थे वह हमेशा उसके दर्द को छुपा देते थे। एकबार उसके पिता आए तब देवर खिड़की से लगकर बात सुनने की कोशिश में लगा रहा |पिता के लाख पूछने पर की क्या हुआ वह उत्तर में आंसू भी नही बहा सकी उसे डर था कि सत्य उसे उसके पति से दूर नही कर दे। जब कभी खाना बनाने वह जाती तब किसी की आहट सुनकर शीला (सास ) कहती तनु जाओ अंदर यहाँ बाहर से आने वाले के सामने रहोगी तब पापा गुस्सा करेंगे और फिर उसी आदमी के सामने रोना शुरू तनु तो कुछ नही करती है। तनु यह सब सुनकर भी चुप रह जाती थी। सरूप ( ननद )तो हमेशा कहती रहती थी कि आप के आने के बाद मुझे बहुत काम करना पड़ता है शायद इसलिए की सास (शीला )तनु को कोई बहाने से मना करके वही काम सरूप से करवा कर घर से बाहर तक बहू कोई काम नही करती हैबताना चाहती थी तनु जब भी काम करना चाहती तब कोई न कोई बहाना से बात करना बंद कर देती थी तनु को हिम्मत हीं नही होती की वह रसोईघर के अंदर जाए। तनु माँ बनने वाली थी उसे खड़े होकर रोटी नही सेका जा रहा था कि सरूप ने जाकर माँ से क्या कहा कि अब तो घर में हल्ला शुरू हो गया तनु अपने आप को आग लगा रही थी |तनु के लाख कहने पर भी उसकी किसी ने नही सुनी। एक दिन तरुण(तनु का पति ) ने जब यह सुना कि उसकी माँ तनु से यह कह रही थी कि काम नही करती हो सिर्फ खाने आता है जब की अभी तनु माँ बनने वाली थी। तनु फिर भी अंदर हीं अंदर रो कर अपने बच्चे के लिए खाना खाई और अपने अंतर्मन में बोल उठी माँ आप हीं तो काम नही करने देती हैं | तरुण पिता माता से आज्ञा लेकर तनु को अपने साथ कुछ दिन के लिए ले गया। इसी बीच वरुण (देवर) की शादी लगी बहुत धूमधाम से शादी सम्पन्न हुई नीलू {देवरानी}के आते हीं घर की रंगत बदल गई जो अब तक राज कर रही थी उसकी एक नही चल रही थी क्योंकि वह वरुण की पत्नी थी और सभी बातों से अवगत था। आज नीलू को बाजार जाना है। आज नीलू श्रीनगर घुमने जाएगी और बात पूरी नही होने पर घर में जीना मुश्किल हो जाता था शीला का एक नही चल रहा था। अब घर ठीक ठीक चले (भरत) ससुर चुपचाप वरुण और नीलू को पैसे देने लगे लेकिन एक दिन नीलू ने अपनी आवाज की जोर से सास ,ससुर और ननद को घर से निकाल दिया। इनलोगों को भटकने के सिवाय कुछ उपाय नही था। अब तरुण और तनु को याद करके रोने के अलावा कोई उपाय भी नही था। भरत सोचने लगे की जब वे लोग पहली बार गए थे तब मैने हीं घर नही आने की बात कही थी और मेरे कारण वे दोनों दर –दर की ठोकरें खाए और आज वही हाल हमलोगों का है। सच कहते हैं इस जन्म के कर्म का फल इसी जन्म में भोगना पड़ता है ओह! नही जाने कहाँ होंगे मेरे (राम) तरुण और (सीता) तनु। हे ! भगवान उन्हें खुश रखना और सभी पश्चाताप के अग्नि में जलरहे थे।


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