Kanchan Pandey

Inspirational

4.5  

Kanchan Pandey

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स्वच्छ भारत

स्वच्छ भारत

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जगत जी स्कूल से आते हीं चिल्लाने लगे

प्रेमा [पत्नी] घबराई हुई निकली क्या हुआ ? यह क्या है कोई कैसे ऐसी गंदगी में रह सकता है और बोलते ही स्वयं सफाई में लग गए प्रेमा बोली बच्चों ने.... छोड़ दीजिए लाख मना करने पर भी नहीं माने। सुबह उठते ही साइकिल लेकर पाठशाला निकलते हुए बच्चों को समझाते हुए बोले कि देखो बेटा जहाँ हम रहते हैं वहाँ चारों ओर साफ रखना चाहिए।

पत्नी ने पूछा आज इतनी जल्दी कुछ खा तो लो।

नहीं नहीं प्रेमा आज जाँच आ रही है पाठशाला की सफाई और व्यवस्था भी देखनी है आकर खा जाऊंगा, जानती ही हो सरकारी स्कूल की स्थिति शाम में गाँव के बच्चे आकर खेल कर चारों ओर गंदगी फैला दी होगी।

पाठशाला पहुंच कर सभी काम सम्पन्न ही हुई थी कि अफसर पहुंच गए क्या जगत बाबू स्कूल तो जगमगा रहा है जगत - जी –जी सर

अफसर –अब चलिए थोड़ा खर्च का हिसाब देख लें जी सर

अफसर चारों ओर देख लिए चाहे वह स्कूल की सफाई हो या फिर पैसे का हिसाब हो सभी साफ -सुथरी स्वच्छता से पूर्ण थीअफसर ने कहा देखिए जगत जी सभी चीज तो ठीक है लेकिन आपके बच्चे उतने नहीं हैं जो ..अब तो अफसर को मौका मिल गया था।

जगत - बोले नहीं सर आज बारिश के कारण कम बच्चे ....

 गाँव के वृद्ध ने कहा देखो कुछ देकर निपट लो जगत ने कहा नहीं मैं सही हूँ और स्वच्छ भारत का अर्थ बाहर की ही स्वच्छता नहीं प्रत्येक इनसान के हृदय से भ्रष्टाचार का अंत हो तब हमारा भारत स्वच्छ भारत कहलाएगा।



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