रामू की होशियारी
रामू की होशियारी
गाँव के बाहर मैदान में कुछ लड़के खेल रहे थे वहीं मैदान के एक कोने में रामू और श्यामू भी खेल रहा था खेलने में दोनों इतना व्यस्त हो गए कि समय का ठिकाना ही नहीं रहा जब रामू ने चारों ओर देखा तो अँधेरा ने अपना पैर पसार दिया था। रामू ने कहा श्यामू बहुत देर हो गई है अब हमें घर चलना चाहिए देखो यहाँ खेल रहे सभी अपने अपने घर चले गए हैं श्यामू ने कहा तुम चिंता क्यों करते हो मैं एक रास्ता जनता हूँ जो सीधा अपने गाँव तक पहुंचा देगी अभी तो कुछ देर हम लोग और खेल सकते हैं
रामू ने कहा रात होने वाली है और किस रास्ते की बात कर रहे हो।
अरे रामू तुम बहुत डरपोक हो आगे एक चौराहा है उसी में से एक राह अपने गाँव की ओर जाता है अच्छा ठीक है लेकिन बहुत दूर चलने के बाद भी चौराहा नहीं मिला गाँव की ओर जाती हुई एक पतली मार्ग दिखी रामू अचम्भित होकर बोला श्यामू बातें छोड़ो यह क्या है यहाँ तो एक मार्ग है चौराहा तो नहीं दिखाई दे रहा है श्यामू ने हिम्मत बंधाते हुए कहा घबराओ नहीं अगर चौराहे की एक राह गाँव की ओर जा सकती तो यह क्यों नहीं, मैं भूल गया चौराहा तो मैदान के उस तरफ है।
दोनों उस मार्ग में आगे बढ़ने लगे आगे रामू ने जो देखा उसके पैर ठिठक गए आगे मार्ग खत्म हो चुकी थी और चार आदमी वहां बैठा हुआ था ,उसमें से एक ने हाथ से इशारा किया रामू ने श्यामू का हाथ पकड़ा और बोला भागो श्यामू लेकिन उन चारों में से एक पतला आदमी उनके पीछे भागने लगा जब ये दोनों कुछ दूर निकल गए तब पीछे मुड़कर देखा तो साफ़ तो कुछ नहीं दिख रहा था।
श्यामू ने कहा घबराने की कोई बात नहीं रामू मुझे लगत
ा है वह आदमी लौट गया मेरी सांसे भी फूल गई है इसलिए अब धीरे चलने में कोई हानि नहीं है।
रामू :नही नही मुझे लगता है अभी खतरा टला नहीं है चलो श्यामू
लेकिन श्यामू वहीं बैठ गया रामू समझाता रहा लेकिन श्यामू नहीं माना और रामू अपने दोस्त को छोड़कर नहीं जा सकता था।
कुछ समय पश्चात रामू क्या देखता कि उधर से एक नहीं चारों आदमी उनके ओर आ रहे हैं उसने कहा भागो श्यामू लेकिन जब तक श्यामू सम्भल पाता उसमें से एक आदमी आगे बढ़कर श्यामू को पकड़ लिया।
आदमी ने पूछा तेरा साथी कहाँ है।
श्यामू सिर्फ रो रहा था और पश्चाताप कर रहा था।
उन चारों ने श्यामू को लेकर निकलने की बातें करने लगे तभी ही झाड़ी के पीछे छिपा हुआ रामू ने सीधे रास्ते जहाँ ये दोनों से मुड़े थे अपने गाँव के लोगों को शायद उन दोनों को ढूंढते हुए देख लिया लेकिन उन तक उसकी आवाज नहीं पहुँच सकती थी, तभी झाड़ी के पास रामू को एक दियासलाई का डिब्बा मिला उसने तनिक देर नहीं की पास के पलार की ढेर में आग लगा दी और आग को फैलने में देर नहीं लगी और आग को देखकर गाँव के सभी लोग उधर दौड़े उन चारों ने सभी को आते देखा कि श्यामू को छोड़ भागने लगे तभी रामू झाड़ी से निकला और कहा इन्हें पकड़िये यह श्यामू को चुरा कर ले जा रहे थे। सभी के प्रयास से चारों पकड़ा गया और श्यामू ने रामू और गांववालों से माफ़ी मांगी और रामू की होशियारी के कारण आज वह बचा और श्यामू ने कहा की उसे गर्व है कि रामू ने उसकी रक्षा ही नहीं की बल्कि उसके साथ रहा।
गांववालों ने रामू को खूब शाबाशी और प्यार दिए।