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Kanchan Pandey

Children Stories

4  

Kanchan Pandey

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किसान और मछली

किसान और मछली

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एक दिन एक किसान अपने खेत पर काम कर रहा था की उसको बहुत जोरों की प्यास लगी। उसने बर्दाश्त करने की कोशिश लेकिन अब उससे उसकी प्यास बर्दाश्त नही हो रही थी तब उसने सोचा कि क्यों ना पास की नदी के पानी से पैर हाथ धो लिया जाए और पेड़ की छांव में थोड़ी देर आराम करने से और ठंडी हवा में प्यास की अनुभूति कम हो जाए लेकिन जैसे वह नदी के पास पहुंचा की उसे बहुत आश्चर्य हुआ और उसकी ख़ुशी का ठिकाना नही रहा इतना साफ पानी उसने पानी पिने के लिए जैसे हाथ बढाया कि उसकी नजर उस पानी में खेलते हुए मछली पर गया और मछली का ध्यान किसान पर गया वह डर गई और घबड़ाते हुए भागने लगी। किसान यह देखकर बोला मत डरो मैं तुझे कुछ नही करूँगा लेकिन उसको विश्वास नही हुआ

लेकिन अब किसान जब का जब भी मन करता वह नदी किनारे आ जाता और घंटों मछली की अठखेली देखता रहता। कुछ दिनों पश्चात दोनों में दोस्ती हो गई और धीरे धीरे किसान का मन वहीं रहने का होने लगा क्योंकि इतना साफ वातावरण ,स्वच्छ पानी हवा और कहाँ मिलता यह बात उसने मछली को बताया और बोला अब मैं हर समय तुम्हारे साथ हीं रहूँगा। मछली ने उसे मना किया देखो किसान हम रोज मिलते हीं हैं फिर यहाँ आने से क्या होगा तुम जहाँ रहते हो वह तुम्हारे लिए उपयुक्त है और यह स्थान मेरे लिए। किसान बोला क्या तुम मेरे यहाँ आने से खुश नही हो और किसान अपनी जिद्द से नदी किनारे रहने आ गया वह यहाँ आकर बहुत आनन्दित था अब जब उसका मन होता वह अपने घर से निकल कर मछली से मिलने चला जाता उसके साथ साथ उसके परिवार के सदस्य भी आ गए थे अब बच्चे नदी में घंटों तैरते डंडा से मछली को छेड़ते किसान के मना करने पर मान जाते लेकिन किसान के कहीं जाने पर वही करते ,धीरे धीरे किसान के रिश्तेदार उनसे मिलने आने लगे और वेलोग भी वहां का वातावरण देखकर वहीं रहने का मन बना लिए और कुछ दिन पश्चात वेलोग भी वहीं रहने लगे। अब सभी लोगों का उसी नदी के पानी में काम करने से नदी का पानी अत्यधिक गंदा हो गया जहाँ एक तरफ साबुन का झाग तो दूसरी ओर प्लास्टिक टूटे बर्तन,खिलौने और जूठन इस सबके बीच मछली का जीवन संकट में आ गया और वह वहां से जाने का मन बना लिया लेकिन जाने से पहले वह एकबार वह किसान से मिलना चाहता था लेकिन की दिनों से उसकी भेंट किसान से नही हुई थी उधर किशन भी परेशान था क्योंकि वह पानी के पास जाता था लेकिन पानी इतना गंदा था कि उसे मछली कहीं दिखाई नही देता था। एक दिन अचानक उसकी दृष्टि मछली पर पड़ गई वह उसे देखकर अत्यधिक खुश हुआ और बोला आज बहुत दिनों बाद तुम्हें देखकर मेरे ख़ुशी का ठिकाना नही है। मछली बोली मुझे भी तुमसे इतने दिनों बाद मिलकर बहुत प्रसन्नता हुई लेकिन दुःख की बात मैं तुम्हें बताना चाहती हूँ कि अब मैं यहाँ नही रह सकती हूँ मैने तुमको पहले हीं बोली थी कि जिसका स्थान जो है उसको वहीं रहना चाहिए लेकिन तुम अपने जिद्द के कारण इस स्थान को प्रदूषित कर दिए अब मेरा और मेरे परिवार का यहाँ रहना असम्भव है। किसान ने रोकने की बहुत प्रयास किया लेकिन मछली अपने परिवार के साथ वहां से निकल गई और एक हीं क्षण में ओझल हो गई। किसान पछतावा करके रोता रहा। सीख –हमें अपने चारों ओर साफ सुथरा रखना चाहिए और अपने काम से किसी को परेशान नहीं करना चाहिए।   



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