नादान दोस्त
नादान दोस्त
एक पेड़ पर एक कौआ और एक कोयल रहती था दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी दिन भर दोनों इधर उधर से दाना चुग कर आते हैं और रात में एक साथ पेड़ पर रहते थे। एक दिन अचानक वहां एक कबूतर आ गया और उन दोनों के पास चुपचाप आकर बैठ गया। कौआ और कोयल ने जब कबूतर को देखा तो खुश हो गया क्योंकि इससे पहले कोई उन दोनों के पास आकर नहीं बैठा था यह बड़ी ख़ुशी की बात थी लेकिन कबूतर की चुप्पी उन दोनों को बहुत परेशान कर रहा था फिर उन दोनों से नहीं रहा गया और थोड़ा उसके पास जाकर पूछने लगा। क्या हुआ तुम इतने चुपचाप क्यों हो कोई परेशानी है कहाँ रहते हो ? कबूतर उड़कर दूसरी डाली पर चला गया और बोला मुझे कोई परेशानी नहीं है लेकिन आज जब मैं यहाँ से गुजर रहा था तब तुम दोनों को देखकर यहाँ चला आया। क्या तुम दोनों यहीं रहते हो ?
कबूतर का यह व्यवहार पसंद नहीं आया लेकिन उस बात को भूलते हुए कोयल ने जवाब दी, हाँ, भाई हम दोनों यहीं रहते हैं ,फिर कबूतर ने कहा मैं तो एक सेठ के घर की छत बने सीढ़ी घर में रहता हूँ और उनका उतना सारा अनाज बिना फिक्र के जीवन गुजर हो रहा है। तुम दोनों को लगा कि मैं तुम दोनों से मदद की आशा में यहाँ तक आया हूँ। कौआ ने उसकी बात को काटते हुए कहा ऐसी बात नहीं है लेकिन किसी को यूँ गुमसुम देखकर रहा नहीं जाता है।
इस प्रकार कुछ दिन बीत गए अब कबूतर रोज आने लगा बातचीत तो बहुत अच्छी होती थी लेकिन कबूतर बात बात में उन दोनों के रंग को लेकर मजाक उड़ाने से पीछे नहीं हटता था। कबूतर कहता तुम दोनों तो काले हो और मुझे देखो मैं सफेद रंग का हूँ कितना सुंदर, कितना प्यारा हूँ। इस पर कोयल ने कहा देखो मित्र कोई रंग से श्रेष्ठ नहीं होता है सब में कुछ न कुछ गुण निहित होता है जो उसे अपने आप में अनोखा बनता है।
एक दिन की बात है कोयल और कौए ने देखा कि एक आदमी ने उस पेड़ के नीचे अनाज के कुछ दाना छिटकर जाल बिछा दिया और वहां से चला गया और एक पेड़ के पीछे जाकर छिप गया। तभी वहां कबूतर आ गया और अपनी आदत के अनुसार उन दोनों को चिड़ाने लगा और इसी बीच उसकी नजर फैले हुए अनाज के दाने पर गया बिना सोचे समझे वह दाना खाने के लिए नीचे उतरने लगा कोयल और कौआ के बहुत मना करने पर भी वह बोला हाँ हाँ मैं सब समझता हूँ तुम दोनों मुझसे जलते हो और मेरे जाने के बाद सब खाना चाहते हो।
नीचे उतरते ही जाल में फंस गया अब उसका हालत बहुत बुरा हो गया शिकारी यह देखकर बहुत खुश हुआ इस बीच कोयल और कौआ कुछ बात की और उड़ गया। कबूतर चिल्लाता रहा मत जाओ मुझे माफ़ कर दो। तब तक कोयल दूसरे पेड़ पर जाकर अपनी मधुर आवाज निकालने लगा ,जिसको सुनकर वह शिकारी मन्त्रमुग्द्ध हो गया इस बीच कौआ ने अपने पंजे और पंखों से शिकारी पर हमला कर दिया दो घटनाओं को एकबार होते देख उसके समझ में नहीं आया कि क्या करें क्या न करें और वह वहां से भाग गया फिर उन दोनों ने मिलकर अपने चोंच की सहायता से कबूतर को बंधन मुक्त कर दिया। तब कबूतर ने कहा मुझे माफ़ कर दो मैं अब समझ गया कि सब में एक गुण निहित होता है मैं तुम दोनों के रंग को लेकर तुम दोनों को रोज नीचा दिखता रहा लेकिन आज तुम दोनों के गुण के कारण मैं तुम दोनों के साथ हूँ। बहुत बहुत धन्यवाद मित्रों। फिर तीनों उसी पेड़ की एक डाली पर रहने लगे।
सीख हमें बिना सोचे समझे कुछ नहीं करना चाहिए और किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए क्योंकि प्रत्येक में कुछ गुण होता है जो उसे अनोखा बनता है।
