Rajeshwar Mandal

Romance

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Rajeshwar Mandal

Romance

प्रवासी मन

प्रवासी मन

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 एक लम्बे अरसे बाद फोन आया था आज ।

बोली किस पर लिखे हो,

 मैंने असहज भाव से पुछा क्या ? 

 अरे वही कल जो फेसबुक पर अपलोड किये हो 

 "न नथिया 

 न बिंदिया 

 न लब गुलाब पर घायल हुआ 

 देख केस विन्यास तुम्हारी 

 ये मन तुम्हारा कायल हुआ।"


अब छोड़ो भी

यूँ ही टाइम पास के लिए लिखते रहता हूँ- मैंने कहा 

नहीं नहीं बता भी दो। अब छुपाने से क्या फायदा। 

जो होना था वो हो गया। जबरदस्ती मैं तुम्हारे जीवन में दखल अंदाजी करने थोड़े ही आ रही हूँ।

 मेरे टाइम में तो नहीं लिखते थे इतना सुंदर सुंदर 

एक बात बोलूँ ,विश्वास करोगी ?

 बोलो.... तुम ही पर लिखे हैं। लिखने के सिवाय मेरे जीवन में अब बचा ही क्या ? 

एक गहरा सन्नाटा.... 


फोन रखते हुए रुआंसे होकर सिर्फ इतना ही बोल पायी -तुम तो लिख भी लेते हो और एक हूँ मैं ???


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