छठ
छठ
लोक आस्था एवं सूर्य उपासना का महापर्व छठ के अवसर पर आज ही शाम में अस्ताचलगामी सूर्य देवता को संध्या अर्घ देना है।
दिल्ली, पंजाब ,बंबई, सूरत सब जगह से काम करने वाले भैया लोग घर पहुंच चुके हैं।
रामू का फोन भी अभी अभी आया है। बड़ी मुश्किल से मालिक छूट्टी दिया है । दूई ट्रेन बदल बदल कर आना पड़ रहा है। देरी हुआ है इस बार मगर अरघ बेर तक पहुंच जायेंगे।
फोन पर ही नुनुआ छुरछुरी पटाखा दूई पैकेट लाने का फरमाईश पापा से कर बैठते हैं।
पटना, रांची, दिल्ली में पढ़ने वाला लईका लईकी भी घर कल्हे आ गये है।
बिरेन सिंह सिपाही है पटना में। पटना का छठ जानवे करते हैं। बाहर से पुलिस फोर्स मंगाना पड़ता है विधि व्यवस्था के बावत, सो विरेन सिंह का छुट्टी नामुमकिन।
सार्जेंट मेजर के पास तीन दिन से गिरगिरा रहे थे छुट्टी के लिए। अंत में नारियल छुआकर कसम खिलाये सच सच बोलो घर में परब है कि नहीं। आखिरकार छुट्टी मिल गई।
वोलेंटियर टीम के हेड है जीतन मोहली। सहयोगियों के साथ गांव से घाट तक सफाई में लग चुके है।
गलती से मझिला काका खैनी खाकर दुआरी पर थूक दिये। काकी से एक घंटा से प्रवचन सुन रहे हैं।
लाउडस्पीकर वाले भैया हू - हा कर माइक टेस्ट कर रहे हैं।
जैसे ही कैसेट लगया--
मारबो रे सुगवा धनुष से
सुगा गीरे मुरछाई,,,,,,
माहौल एकदम से भक्तिमय हो गया।
ढुनमुन काकी दुनू हाथे आंचर उठा दिनकर की ओर मुंह कर खड़ी हो गई।
दौड़े दौड़े रुनझुन भाभी आकर बोली बउआजी एकर बाद उ वाला कैसेट लगाऊ न
मोर भैया जायेला महंगा मुंगेर
लेले अईह हो भईया गेंहू के मोटरिया़़़़़़़
बचवन सब की टोली भी झुंड में पहूंच चुका है। इसी में से एक आवाज आया- खेसारी लाल का कोनो भोजपुरी लगाइये न।
सुनते ही विशेसर काका भड़क गये। केकर बेटा है रे भागता है कि नहीं यहां से।
मियां टोली के रहमान चच्चा एक सप्ताह पहले एग्यारह सौ एक रुपया विनेसर काका के यहां पहुंचा दिये है। बोले छठी मईया के कृपा से रिजवान को इस साल बीपीएससी से टीचर का नौकरी मिला है,सो एगो सूप हमरो तरफ से रहा।
घाट पर जेतना लोग।सबके मन में कुछ न कुछ मन्नत।
जय हो छठी मईया
तोहर महिमा अपरम्पार।