Kumar Vikrant

Tragedy

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Kumar Vikrant

Tragedy

प्रतिकार

प्रतिकार

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"क्या फालतू पोस्ट करती रहती हो? जब साहित्यिक ग्रुप जॉइन किए है तो थोड़ा बहुत साहित्य भी रच लिया करो।"

"ज्यादा बकवास मत करो, तुम अपने साहित्य सृजन पर ध्यान दो, जब कभी लिखती हूँ तो लाइक्स के ढेर लग जाते है, फलाना ग्रुप का एकमात्र एडमिन तक लाइक करके जाता है मेरी पोस्ट को।"

"ये तो बहुत ही अच्छी बात है, इसलिए तो कहता हूँ कि साहित्य सृजन को प्राथमिकता दो। ये डांस की पोस्ट डालकर, अपनी फोटो पोस्ट कर उसपर आवारा लोगों के लफंगई से भरे कमेंट्स पर दिल लुटाते हुए ओछापन महसूस नहीं होता तुम्हें?"

"लिमिट क्रॉस मत कर, मेरी वाल है चाहे वहाँ नाचू या अपने पिक्चर डालू तुम्हे क्या तकलीफ है, सुंदर हूँ इसलिए अच्छे कमेंट आए तो उनपर दिल क्यों न लुटाऊ? तुम्हे क्या तकलीफ है?"

"कोई तकलीफ नहीं, जिस आवारा के कमेंट पर दिल लुटाया है न उसने एक दिन एक महिला की पोस्ट पर अश्लील गाली दी थी, जो एक महिला का खुलेआम अपमान कर सकता है, उसकी निगाह में तुम्हारी क्या इज्जत होगी इसका अंदाजा तुम खुद ही लगा लो।"

"वो औरत ही आवारा होगी, तभी तो गाली दी उस लड़के ने उसे………"

"तुम्हारे हिसाब से गाली दिया जाना आवारागर्दी रोका जाना है?"

"दिमाग खराब मत करो और आवारा औरतो की पैरवी न करो।"

"वाह भाई वाह आवारागर्दी का ये नया पैमाना बड़ा अच्छा लगा। जो गाली का प्रतिकार करे वो आवारा लेकिन जो जबरदस्ती आवारा लोगो की वाल पर जाकर उनके भोंडे चश्मे और फटीचर गमछे के कसीदे पढ़े, द्विअर्थी अश्लील पोस्ट पर जाकर द्विअर्थी अश्लील कमेंट करे, द्विअर्थी अश्लील पोस्ट बनाने वाले को अच्छे चरित्र का बोले, विभिन्न ग्रुप्स के एडमिन्स की शान में कसीदे पढ़े वो सचरित्र। धन्य हो देवी तुम और तुम्हारे विचार।"

"तुम लिमिट क्रॉस कर गए, तुम कौन होते हो ये सब बकवास करने वाले? मैं कोई पर्दानशी महिला नहीं हूँ जो दिल में आएगा करुँगी, तुम्हे तकलीफ है तो दफा हो जाओ।"

"अरे यही तो कह रहा हूँ मैं ये साहित्य के ढकोसला छोड़ो, यही सब करो। एक बार तुमने कहा भी था कि तुम्हे साहित्य वाहित्य से कुछ ज्यादा लेना देना नहीं है। तब मै तुम्हारी बात नहीं समझा था, लेकिन अब समझ आया तुम्हे साहित्य से लेना-देना तो नहीं है लेकिन उसी साहित्य के बहाने आवारा लोगो की वाल पर भटकना, ओछे कमेंट करना, अश्लील हँसी ठट्टा करना, यही सब पसंद है। अब मैं बिलकुल दफा हो जाता हूँ; तुम लगी रहो, जब कोई दुत्कार कर, बेइज्जत करके भगा दे तो आ जाना, कुछ साहित्यिक प्रतिकार कर देंगे उस दुत्कारने वाले का का, तब तक विदा।"


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