Soni Gupta

Abstract

5.0  

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परोपकार का फल

परोपकार का फल

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एक बार एक गाँव में कुछ व्यक्ति मिलकर एक गरीब व्यक्ति को पीट रहे थे। वह गरीब व्यक्ति कुछ नहीं बोल रहा था ,सिर्फ मार खा रहा था और अपने हाथों से बचने की कोशिश कर रहा था I

तभी वहां से गुजरते एक परिवार के बच्चे (मोहन)ने अपने पिता से कहा पापा सभी लोग उस आदमी को क्यों मार रहे हैं I सभी को इस बात की जिज्ञासा थी की उस गरीब को क्यों मारा जा रहा है I पूरा परिवार वहां तक पहुंचा और वहां खड़े लोगों से पूछा आप सभी इसे इतना क्यों मार रहे हो ,तभी एक व्यक्ति गुस्से से तन मनाता हुआ चिल्लाया तुम्हें दिख नहीं रहा यह गन्दा व्यक्ति चोर है I मेरे घर का कुछ कीमती सामान चोरी हो गया है और यह व्यक्ति मेरे घर के आस -पास ही घूम रहा था I मोहन के पिता ने कहा जरुरी नहीं की इसने ही आपके घर चोरी की है I

आपको नहीं देखा इसके कपड़े इसकी हालत देख कर पता चलता है की इसने ही चोरी की है I

मोहन के पिता ने सबको रोकते हुए उस गरीब को उनके चंगुल से बचाया ,और उससे पूछा क्या तुमने चोरी की है I

गरीब व्यक्ति ने सर हिलाते हुए न में जबाव दिया I तब सब को पता चला वह नहीं बोल सकता ,उसने इशारे से बताया मेरा बच्चा दस साल का है और वह नहीं मिल रहा मैं उसी को ढूंड रहा था I

मोहन के पिता उसके इशारे को समझ गए ,और उसे पुलिस के पास ले गए I उसका बेटा वहीं बेंच में बैठा था वह भी गूंगा था I पुलिस से बात की तो पता चला इसने एक चोर को पकड़ा है इसलिए इस बच्चे को इनाम दिया जायगा I मोहन के पिता सारी बातों को समझ गए I

गरीब व्यक्ति अपने बच्चे को पाकर बहुत खुश हो जाता है और उससे लिपट कर रोने लगता है I

गाँव के लोग अपने किए पर बहुत शर्मिंदा होते हैं।


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