STORYMIRROR

केसरिया उमापति

Tragedy

3  

केसरिया उमापति

Tragedy

प्रिय डायरी (चाय की टपरी)

प्रिय डायरी (चाय की टपरी)

2 mins
226

"अरे, चल न रे! पुलिस यहाँ गली में थोड़े ना आएगी, जो डर रहा है? चल, फटाफट जाकर चाय और दो फूँक (सिगरेट) मार कर आते हैं", सोनू ने रोनी से कहा और उसे बाइक पर बिठा लिया। रोनी मोबाइल से जफर को कॉल किया। आगे जाने पर तीनों सोनू के बाइक पाए सवार हो चल दिये चाय की टपरी पर। तीनों ने मास्क पहन रखे थे। शाम लगभग छः बजे रहा होगा। थोड़ी ही देर में तीनों चाय की दुकान के पास थे, लेकिन ये क्या? दुकान बन्द? आसपास देखा तो पूरा सड़क और बाजार बंद और सुनसान पड़ा था। तभी पुलिस की गाड़ी वहाँ पहुँच गई। पुलिस को देखकर तीनों भागने लगे लेकिन तब तक पुलिस की लाठी उनपर बरस चुकी थी। तीनों पुलिस के सामने हाथ पैर जोड़ने लगे। पुलिस ने उनके घर फोन किया और अन्तिम चेतावनी देकर छोड़ दिया। तीनों जब घर वापस आये तो घरवालों ने भी गालियों से उनका स्वागत किया। सुबह हुई, जब रोनी ने अखबार खोला तो हाथ पाँव फूल गए। उसने सोनू को फ़ोन किया और अखबार देखने को बोला। चाय वाला भैया कोरोना पॉजिटिव था! उसने सभी से यह बात छुपा कर रखी थी। तीनों भागते हुए अस्पताल पहुँचे और जाँच करवाई तो सभी संक्रमित निकले। डॉक्टर ने उन्हें हॉस्पिटल में आइसोलेट कर दिया और उनके परिवार के सभी सदस्यों को जाँच के बाद क्वारंटाइन में रख दिया। युवक होने के कारण तीनों बच तो गए, लेकिन चाय वाला चार दिनों तक ही जिंदा रह सका। उस चाय वाले के संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति और परिवार, दोस्त की सक्रीनिंग हुई। पता चला कि दो दिनों के भीतर ही आधा शहर उसके चपेट में आ गया। शहर को ही सील करना पड़ा और सारे हॉस्पिटल मरीज से भर गए। चाय वाले की एक छोटी सी गलती पूरे शहर पर भारी पड़ गई थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy