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Surendra kumar singh

Tragedy Others

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Surendra kumar singh

Tragedy Others

परिंदा

परिंदा

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शहर के बीच एक विशाल बृक्ष था,अब भी है मगर सुख चुका है। पहले इसमें पत्तियां निकलना बंद हुयीं। फिर छोटी छोटी टहनियां सूखने लगीं--और फिर धीरे धीरे पूरा पेड़ जड़ से सुख गया। बरसात में पानी से भींग भींग कर इसकी टहनियां सड़ गयीं और अब तो जब भी हवा का झोंका आता है भर भराकर इसकी टहनियां जमीन पर गिरती रहती हैं।

आजकल यह पेड़ शहरवासियों के लिये विस्मय का केंद्र बन गया है---अक्सर एक परिंदा आता है---पेड़ की किसी सुखी डाल पर बैठकर मस्ती से गुनगुनाता है, उसकी आवाज इतनी प्यारी है कि जब भी वह आता लोग उसे देखने के लिये अपनी दुकान से बाहर निकल आते हैं। लोग उसको देखते हैं और उसकी मधुर आवाज का आनंद उठाते हैं। कभी वैसा परिंदा लोगो ने अपने जीवन मे देखा नहीं था। कभी उतनी सुंदर आवाज लोगों ने सुनी नहीं थी।जब भी आप शहर जायें उसकी चर्चा सुनने को मिल सकती है। जैसे ही वह आता है उसकी आवाज वातावरण में गूंजने लगती है आवाज आने लगती है परिंदा आ गया परिंदा आ गया। सम्मोहन का एक केंद्र बन गया है परिंदा और अब तो राजा भी उसकी आवाज सुनने को मचलता है। बड़े बड़े अधिकारी भी छिप छिप कर उसकी आवाज को सुनते हैं।

एक दिन एक शिकारी आया--उसने निशाना लेकर गन से फायर कर दिया। एक मोटी सी डाल टूट कर जमीन पर गिरी और उसके कुछ सहयोगी घायल हो गये और परिंदा उससे ऊपर वाली डाली पर बैठकर गुनगुनाने लगा। खैर शिकारी ने दूसरी बार अपना निशाना साधा और ट्रिगर दबा दिया, इस बार थोड़ी और मोटी डाल टूट कर जमीन पर गिरी और उसका एक सहयोगी गम्भीर रूप से जख़्मी हो गया। शिकारी ने उसकी मरहम पट्टी के लिये अपने एक आदमी के साथ डॉक्टर के पास भेज दिया। परिंदा अब की बार और नीचे आकर एक डाल पर बैठकर गुनगुनाने लगा।

शिकारी ने तीसरी बार निशाना लिया और फिर फायर कर दिया इस बार और एक मोटी डाल टूटकर उसकी कार पर आ गिरी और उसकी कार चकनाचूर हो गयी। परिंदा सरक कर थोड़ा और नीचे सरक कर बिल्कुल तने के पास बैठकर और तेज और मधुर आवाज में गुनगुनाने लगा। शिकारी के माथे पर पसीने की बूंदे झिलमिलाने लगीं। कभी वो अपनी गन को देखता, कभी परिंदे को देखता कभी अपनी टूटी हुयी कार को देखता। उसने अपनी गन दीवार के सामने खड़ी की अपना पसीना पोंछा और सामने लगे हैंड पम्प पर पानी पीने लगा। अभी वह पानी पीकर अपना मुंह रुमाल से पोंछ ही रहा था कि एक आदमी ने कड़कती हुयी आवाज में कहा कि परिंदे का शिकार करने के लिये तुम्हें गिरफ्तार किया जाता है।

शिकारी ने हकलाते हुये कहा लेकिन परिंदा तो अभी भी पेड़ पर गुनगुना रहा है।

फिर भी तुम्हें परिंदे की हत्या की कोशिश में गिरफ्तार किया जाता है। तुम अपनी गन को देखो उसकी बैरल में खून से रंगा हुआ परिंदा टँगा हुआ है।

लेकिन परिंदा तो अपनी मधुर आवाज में गुनगुना रहा है। आप उसकी आवाज सुन रहे हैं उसे देख रहे हैं तो दूसरा परिंदा जो मेरी गन पर टँगा हुआ है किसी की साजिश है।

आखिर तुमने परिंदे की हत्या की कोशिश की है और तुम्हें गिरफ्तार किया जाएगा।

आप जानते हैं परिंदा मरा नहीं है मैं भी उसको मारना नहीं चाहता था उसकी आवाज मुझे भी बहुत प्यारी लगती है लेकिन उसकी हत्या के लिये एक करोड़ की सुपारी मिली है। उसकी हत्या की कोशिश मेरे व्यापार का हिस्सा है।

चलो तो सुपारी देने वाले का नाम और पता बताओ। इसके बाद उसने अपनी जेब से तीन फ़ोटोग्राफ दिखाया और बोला बताओ इसमें कौन कौन से हैं।

अरे ये सब तो वही हैं आप को कैसे पता चला।

मैं शासन की तरफ से परिंदे की सुरक्षा के लिए नियुक्त हूँ। कुछ बता सकते हो कि वो लोग परिंदे की हत्या क्यो करना चाहते हैं।

परिंदा तो शहर का चैन है उसकी आवाज शहर की विशिष्टता है और सुपारी देने वाले चैन और राजा के दुश्मन हैं।



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