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Ajeet dalal

Romance

4  

Ajeet dalal

Romance

प्रेम - सीमा

प्रेम - सीमा

4 mins
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"क्या हो गया? राज बेटे।

तुमने ऐसा क्यों किया?"

- शारदा ने भर्राये गले से कहा।

 "मां ..मां.. मैं अन्नूू बिना नहीं रह सकता। मैं उसे बहुत प्यार करता हूं और वह भी मुझसे बहुत प्यार करती है। " राज ने हॉस्पिटल में बेड पर लेटे- लेटे अध खुली आंखों से कहा।

" क्या बात है बेटे, खुल कर बताओ। कौन है ये अन्नूू? "

 "मां ,मुझे मर जाने दो,प्लीज,। मैं आपके हाथ जोड़ता हूं। अन्नू के बिना मैं एक पल भी नहीं रह सकता। मैं उसे बहुुुत चाहता हूँ और वह भी मेरे बिना मर जायेगी "- राज रोते-रोते बोला।

अन्नू राज की क्लासमेट थी और 3 साल से उन दोनों मे अफेयर चल रहा था। कई बार एक दूसरे.के.साथ जीने मरने की कसमें खा चुके थे। परंतु होता वही है जो खुदा को मंजूर होता है 

 जैसे ही राज को खबर लगी कि अन्नू की सगाई कहीं और हो गई है खुद को संभाल नहीं पाया। उसे लगा कि जैसे सब कुछ खत्म हो गया है। अब उसके जीवन में कुछ भी शेष नही बचा। मरना ही शेष था और वह मर जाना चाहता था। बस मर जाना चाहता था और इसी कारण उसने आज अपनी जीवन लीला समाप्त करने के लिए जहर पी लिया था।

 यह तो जीवन था उसका कि उसकी मां ने समय रहते उसको देख लिया और उसको हॉस्पिटल पहुंचा दिया ,जरा देर और हो जाती तो वह हमेशा के लिए भगवान का प्यारा हो जाता।  

राज हॉस्पिटल में बेहोश पड़ा था। शारदा बेड पर सिरहाने बैठकर राज के बालों में हाथ फेर रही थी और उसकी आंखों से झर झर आंसू बह रहे थे। वह समझ ही नहीं पा रही थी कि आज राज के साथ ऐसा क्या हुआ कि इतना बड़ा कदम उठा लिया था। कुछ समझ नहीं पा रही थी वह बस राज के होश में आने का इंतजार कर रही थी।

कुछ देर बाद राज कुछ होश में आने लगा था। शारदा उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थी

राज होश में आया तो शारदा उससे बातें कर रही थी।

राज लगातार बोले जा रहा था " मां ,मैंने

 उसके पापा जी से बहुत विनती की। परंतु वह नहीं माने।

वो उसकी शादी कहीं और कर देंगे, मैं उसके बिना नहीं जी पाऊंगा। मैं मर जाऊंगा। उसके बिना मेरी जिंदगी पूरी नहीं हो सकती और फिर वह भी मुझे बहुत प्यार करती है मां।"

 "वह तुमसे बहुत प्यार करती है तो मैं क्या करती हूं बेटे ?क्या मैं तुमसे प्यार नहीं करती ?

क्या तुम्हारे बिना मैं मेरी जिंदगी अधूरी नहीं है ?

क्या मैं तेरे बिना जी पाऊंगी ?

और तेरे पापा, जो तुझे देखे बिना खाना भी नहीं खाते।

क्या वह तुमसे प्यार नहीं करते बेटा?"

बोलते बोलते शारदा आवेश मेंं आ गई।

"अन्नू को कितने दिन से जानते हो?

दो या तीन साल। अरे! हमें देख, हम तो तुझे तब से प्यार करते हैं जब तू इस दुनिया में भी नहीं आया था। और आज अन्नू ही तेरी सब कुछ हो गई। तेरे जीवन पर हमारा कोई अधिकार नहीं है क्या?

 सिर्फ 3 साल में ही सारा अधिकार उसका हो गया। "

 शारदा आवेश में थर- थर कांपने लगी।

"ऐसा नहीं है मां," रोते हुए बोला राज।

"अगर ऐसा नहीं है तो तूने प्रेम -सीमा इतनी छोटी कयूँँ रखी। सिर्फ एक लड़की नहीं मिली तो जीवन लीला समाप्त करने चला था।

एक बार भी नहीं सोचा कि तेरे जाने के बाद हमारा क्या होगा?

 क्या तेरा यह जीवन सिर्फ एक लड़की के लिए ही हुआ था?

क्या एक लड़की के लिए ही तूने जन्म लिया था ?

क्या अपने मां बाप के प्रति कोई दायित्व नहीं।

 क्या माता- पिता से तुझे कोई प्यार नहीं ?

तूने एक बार भी नहीं सोचा कि तेरे जाने के बाद हमारा क्या होगा?"

 "माफ कर दो मांं .. गलती हो गई।"

 " बेटा, प्रेम का दायरा इतना छोटा नहीं है बहुत बड़ा है। बरगद है बरगद। जिसकी जड़ें भाई- बहन, माता -पिता , गुरु -शिष्य से लेकर रिश्तेदारों तक फैली हुई है।

कसम खाओ कि आज के बाद कोई ऐसा काम नहीं करोगे। "

मां ..

इतना कहकर राज ने अपराधियो की भाँति अपना सिर मां की गोद में छुपा लिया। और फफक -फफक कर रोने लगा।

 मां शारदा की आंखों के मोती टूट -टूटकर उसके सिर पर ऐसेे गिर रहे थे मानो उसके भीतर छाये अन्धकार को दूर कर रहे हो। और उसकी आत्मा प्रकाशमान हो रही हो।

राज केे मन में बस एक ही ख्याल आ रहा था -

कितनेे अनाथ होते होंगे वो बच्चे,

जिनके पिता साथ नहीं होता।

कितनी अभागी होती होंगी वो बहिने,

भाई जिनके पास नहींं होता।

अरे ! हम तो मिट ही चुके थे आज,

गर सर पे मां का हाथ नहीं होता।


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