वो कौन थी ?
वो कौन थी ?
रवि ने धीरे से दरवाजा खोला, जो अंदर से भेड़ रखा था और घर के भीतर आकर कुर्सी में धम्म से समा गया। अपना चेहरा उसने दोनों हाथों की हथेलियों से ढाँँप लिया ।आज पहली बार उसके साथ ऐसी घटना घटी थी जिसने उसके देह में हलचल मचाकर रख दी थी ।
सुधा शर्मा नहाने के लिए बाथरूम में गई हुई थी। नहा कर के तोलिये से बालों को झाड़ते हुए कमरे में आई तो रवि को देखकर अवाक सी खड़ी रह गई उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि रवि अचानक इस प्रकार घर आ जाएगा ।
"क्या बात है बेटे?"
तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं लगती और फिर तुम इस तरह बिना बताए अचानक .."..
"मां मुझे आज एक सवाल का जवाब चाहिए ।" सुधा देवी की बात काटकर बोला रवि।
" किस सवाल का? "
"यही की ,ठाकुर रणवीर के बेटे प्रताप ने तुम्हें वेेेश्या क्यों कहा?"
रवि के मुंह से ऐसे वचन सुनकर सुधा ठगी सी खड़ी रह गई ।जैसे सोच रही हो-
"गमों के पहाड़ झेले हैं मैंने ,
जब पतझड़ का जमाना था।
आँँधियों की ठोकर खाई बहोत,
दुख ही मेरा ठिकाना था।
मुद्दतों बाद पाई थी थोड़ी सी खुशी मैंने ,
आज इस तूफान को भी आना था।"
"क्या सोच रही हो? जवाब दो मुझे मेरे सवाल का ,जवाब चाहिए मां .."अपराधियों की भाँँति खड़ी सुधा देवी समझ नहीं पा रही थी कि वह क्या जवाब दें?
क्योंकि यह प्रश्न भी उससे कभी पूछा जाएगा ।सपने में भी नहीं सोचा था ।