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Pawanesh Thakurathi

Abstract

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Pawanesh Thakurathi

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प्रेम का रंग

प्रेम का रंग

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अजय अदिति के चेहरे पर

रंग लगाने के लिए झपटा

"बस एक बार और लगाने दो !"


"कितनी बार लगाओगे

तीन बार तो लगा चुके।"

अदिति ने जवाब दिया।


"नहीं, दो ही बार तो लगाया है।"

अजय ने अपने हाथ अदिति के

चेहरे की ओर बढ़ा दिए।


"दो बार तो अभी लगाया

जो पहली बार लगाया

तुमने प्रेम का रंग।


उसका क्या ?"

अदिति मुस्कुराई।

"अच्छा। रहने देता हूँ बाबा।"

ऐसा कहकर अजय ने

अदिति को सीने से लगा लिया।


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