बेटी की मुहब्बत
बेटी की मुहब्बत
"पापा- पापा क्या आप फौजी हो ?" नन्हीं आरू ने पिता से प्रश्न किया।
"हाँ बेटी।" पिता ने बेटी को गोद में उठा लिया।
"पापा, मुझे भी बड़ा होकर फौजी बनना है।" आरू ने कहा।
"क्यों बेटी ?" पिता ने सवाल किया।
"क्योंकि मुझे आपकी ये वर्दी बहुत पसंद है।" आरू ने पापा की कमीज पर हाथ फेरा।
"अच्छा, मुझसे भी ज्यादा ?"
"ये नहीं बताऊंगी, लेकिन मैं इस वर्दी को बहुत प्यार करती हूँ।"
"अच्छा ! तब तो तुम बड़ी होकर जरूर फौजी बनोगी और अपने पापा का नाम रोशन करोगी।" ऐसा कहकर फौजी ड्रेस पहने पिता ने बेटी का माथा चूमा और उसे बाय कहकर ड्यूटी के लिए चल दिए।
तेरह साल बाद आरू एयरफोर्स में हो भर्ती हो गई और भर्ती होने के दो साल बाद ही भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर घाटी में भयंकर युद्ध छिड़ा।
पायलट आरोही के विमान ने युद्ध क्षेत्र में दुश्मनों के अनेक टैंकों को तबाह किया, लेकिन दुर्भाग्य से दुश्मन की एक मिशाइल उसके विमान से जा टकराई।उसी समय धमाके की आवाज के साथ आसमान में आग और धुंए का गुबार-सा उठा। पायलट आरोही अदम्य वीरता का प्रदर्शन करती हुई युद्धक्षेत्र में शहीद हो गई थी।आज आरोही के घर पर अत्यधिक भीड़ जमा हुई थी। हवा में भारतीय सेना और पायलट आरोही के नारे गूंज रहे थे।
जब फौजियों ने आरोही के पार्थिव शरीर को गाड़ी से नीचे उतारा तो उसके रिटायर्ड पिता दौड़ते हुए आये और उन्होंने शव से चादर हटाया। वहाँ पर आरोही का शरीर नहीं बल्कि केवल उसकी वर्दी थी।
पिता को इस बात का एहसास हो चुका था कि उनकी बेटी को उनसे ज्यादा उनकी वर्दी से मुहब्बत थी।