माँ से बड़ी वंडरवुमन कोई नहीं
माँ से बड़ी वंडरवुमन कोई नहीं


आज फिर माँ की आंखों में आंसू थे। मैंने पूछा- "माँ क्या हुआ ?" वह कुछ नहीं बोली हमेशा की तरह। मेरे भीतर क्रोध था। या यूँ कहिये कि गुस्से का एक धधकता हुआ ज्वालामुखी, लेकिन यह ज्वालामुखी कुछ ही देर में शांत हो गया, क्योंकि आंसू बांटने वाले भी अपने ही थे कोई गैर नहीं।
आज मैं पूरे बत्तीस साल का हो गया हूँ, लेकिन मुझे अच्छी तरह याद है जब मैं पांच साल का था, तब भी मां की यही स्थिति थी। माँ के अलावा इतनी सहनशक्ति शायद किसी और में नहीं हो सकती। माँ सहनशक्ति का भंडार है। ममता की मिसाल है। माँ संघर्षों की पूरी कहानी है। माँ ने सारी वेदनाओं, सारे कष्टों को दरकिनार कर एक गरीब परिवार को बड़ी ही संजीदगी से संभाला। खेती की। घर संभाला। पिता के नखरों, बुरी आदतों को सहा। सिर्फ इसलिए कि बच्चों को एक खूबसूरत जिंदगी मिल सके। इसीलिए मुझे लगता है कि माँ से बड़ी वंडरवुमन कोई नहीं है। माँ धूप है, छांव है। खुशियों का पूरा गाँव है। जो पार लगादे डूबते को। माँ इक ऐसी नाव है।।