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Sadhana Mishra samishra

Tragedy

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Sadhana Mishra samishra

Tragedy

प्रेम का अवसान

प्रेम का अवसान

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बहुत प्रेम था दोनों में, लड़की नदी सी शोख प्रवाह मान, 

इठलाती, बलखाती, सुंदर सपनों की दुनिया में खोई--खोई सी, फिर मिला सुंदर, सजीला एक नौजवान, जो इतनी मीठी बाँसुरी बजाता था कि लगता था कि साक्षात कृष्ण ही बजा रहे हैं। लड़की खो गई बाँसुरी की तान में, सजीला नौजवान बह गया नदिया के उफान में....

नतीजा ...सारी दुनिया से लड़--झगड़कर चल पड़े। एक वह घर बनाने जहाँ सिर्फ वे दोनों हो, मीठी बाँसुरी की तान हो, बस...स्वर्ग ही स्वर्ग हो...और कुछ न हो।

पर हाँ... इस पेट की आग ने जमीन पर पटक ही दिया।

अब लड़के के हाथों में मजूरी थी, लड़की चूल्हा फूंक रही थी...बाँसुरी परछत्ती पर पड़ी थी, और घर में नून, तेल, लकड़ी की गूँज थी।

लड़की असहाय थी, लड़का निराश था। सालों से घर ने सुनी नहीं बाँसुरी की तान थी। अब तानों का शोर था। जिंदगी का नर्क था। धीरे--धीरे गृहस्थी भी जुड़ने लगी।

बच्चों के शोर से घर भरने लगा, पर वह बाँसुरी परछत्ती पर अवशेष बन कर पड़ी ही रह गयी। एक दिन लड़की ने आँखों में आँसू भर,... उसे तोड़ चूल्हे में झोंक दिया। यह उस प्रेम का अवसान था।


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