परदेसी के नाम पाती
परदेसी के नाम पाती
ओ प्रिय मेरे हृदय निवासी,
मेरे परदेसी पिया जी कैसे हैं आप? मैं तो यहाँ सकुशल हूँ। आपके आदेशानुसार पूरी लगन और निष्ठा से परिवार की सेवा में तैनात हूँ। आशा करती हूँ आप भी वहाँ सकुशल होंगे और हम सभी को याद करते हुए कभी हँसते तो कभी रो देते होंगे। यहाँ सभी आपको बहुत याद करते हैं। मेरा तो दिन परिवार की सेवा में गुजर जाता है लेकिन शाम होते ही अन्तर्मन की अजीब सी हालत हो जाती है। जैसे तन-मन दोनों से ही मेरा जोर खत्म हो जाता है आपका ख्याल आपके एहसास मेरी सांसों को छूकर मेरी रूह पर भी वशीकरण कर लेते हैं। <
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ओ परदेसी पिया जी बेचैनियां बेहद सताती है, तड़पाती हैं रुलाती हैं, ऐसा लगता है जैसे प्राण ही निकल लेंगी। काटने को दौड़ता है हर रात की जुदाई का कहर.. और सबके होते हुए भी एक अकेलापन महसूस होता है हरेक पल मुझे आपके बिन।
समझती हूं मैं घर की इन जिम्मेदारियों ने आपको मुझसे दूर रखा हुआ है लेकिन भावनाओं पर तो मेरा भी जोर नहीं है न।
विराम देती हूँ अब अपने शब्दों को इस उम्मीद के साथ की शीघ्र ही आप सकुशल घर वापस लौटेंगे। सभी की तरफ से आपको ढेर सारा प्यार-दुलार..
आपकी स्वदेशी विरहिन
अनामिका